चेहरे पर यह मुस्कान? क्या केजरीवाल-मान के रिश्ते में आ रही कड़वाहट

आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने पंजाब सरकार के कुछ मंत्रियों को आमने सामने की बैठक के लिए बुलाया है। इसकी वजह से कयास लगाए जा रहे हैं कि मान के साथ संबंध में खटपट है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-10-10 08:31 GMT

Arvind Kejriwal Bhagwant Mann Relation:  क्या पंजाब के सीएम भगवंत मान और आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। दरअसल यह सवाल इसलिए उठ खड़ा हुआ क्योंकि केजरीवाल ने पंजाब सरकार के कुछ मंत्रियों को वन टू वन मीटिंग के लिए बुलाया था। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक वो विधायकों के साथ भी बैठक करने वाले हैं। अब यह पूरा मामला क्या है उसे समझने की जरूरत है। पंजाब की सरकार ने अनुराग वर्मा (1993 बैच) की जगह 1992 बैच के आईएएस अधिकारी के ए पी सिन्हा को चीफ सेक्रटरी बनाया। के ए पी सिन्हा, अनुराग वर्मा से वरिष्ठ है। वर्मा से वरिष्ठ सिन्हा को पिछले साल जून में मुख्य सचिव के रूप में कार्यभार संभालने के बाद पद से हटा दिया गया था।

वर्मा को अब राजस्व, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन, कृषि और किसान कल्याण, बागवानी और मृदा एवं जल संरक्षण के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव के रूप में तैनात किया गया है। सिन्हा जो पहले अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व के रूप में तैनात थे मार्च, 2022 में पंजाब में आप के सत्ता में आने के बाद से ही चर्चा में हैं। उन्हें राज्य के आबकारी और कराधान आयुक्त वरुण रूजम और अतिरिक्त आबकारी आयुक्त नरेश दुबे के साथ, पंजाब की 2022 की आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं के संबंध में इस साल मार्च में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा तलब किया गया था। राज्य की नौकरशाही के शीर्ष पायदान में बदलाव को आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा पंजाब में सरकारी मशीनरी पर अपनी पकड़ मजबूत करने के एक और संकेत के रूप में देखा जा रहा है।

बताया जा रहा है कि केजरीवाल आने वाले दिनों में पंजाब के आप विधायकों से मुलाकात कर सकते हैं। साथ ही उन्होंने यह भी संकेत दिया कि पार्टी नेतृत्व द्वारा सीएम मान के लिए एक डिप्टी नियुक्त किए जाने की संभावना है, जिसका वादा 2022 में किया गया था। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने संकेत दिया कि आप का राष्ट्रीय नेतृत्व मान की कार्यशैली से नाखुश है। आम चुनाव में पार्टी राज्य की 13 लोकसभा सीटों में से केवल 3 सीटें ही जीत पाईय़ लेकिन इससे उनके पक्ष में कोई मदद नहीं मिली।

यह बात तब और स्पष्ट हो गई जब केजरीवाल ने पिछले महीने मोहाली में मान के अस्वस्थ होने और अस्पताल में भर्ती होने पर उनसे मिलने नहीं गए।इसके अलावा, यह भी बताया गया कि 21 सितंबर को आतिशी द्वारा दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभालने के समारोह में मान को बोलने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया था। चंडीगढ़ लौटने पर मान ने अपने मंत्रिमंडल में फेरबदल किया। चार मंत्रियों को हटा दिया और पांच नए चेहरों को शामिल किया, जो यह दिखाने का प्रयास था कि वह सरकार के कामकाज को बेहतर बनाने के लिए कदम उठा रहे हैं।

अब इस विषय पर सियासत के जानकार कहते हैं कि पार्टी का मुखिया मंत्री, विधायक या मुख्य मंत्री को मिलने के लिए बुला सकता है। इसमें किसी तरह से तकनीकी बाधा तो नहीं है। लेकिन सवाल यह है कि किसी सरकार में मंत्री किस हैसियत से मिलता है। इस सवाल का जबाव भूसे की ढेर में सुई को खोजने जैसा है। लेकिन पंजाब की नौकरशाही को लेकर पहले से भी खबरें आती रही हैं कि सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। अगर आप दिल्ली को देखें तो अरविंद केजरीवाल सरकार के हिस्सा नहीं हैं। लेकिन वो सीएम के साथ मौका मुआएना करते हैं। वो मौका मुआयना कर सकते हैं। लेकिन अगर वो पार्टी के अध्यक्ष की हैसियत से करते हैं तो सरकार का कोई नुमाइंदा सार्वजनिक तौर क्यों नजर आता है। अगर वो विधायक की हैसियत से करते हैं तो अपने विधानसभा तक सीमित होना चाहिए। लेकिन जब वो सीएम के साथ इस तरह से दौरा करेंगे तो जाहिर सी बात है कि यह संदेश जाएगा कि उन्हें खुद अपनी ही सरकार की कार्यप्रणाली पर भरोसा नहीं है। 

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