Badlapur Encounter: आरोपी की मां ने सवाल किए खड़े, सीएम शिंदे ने किया पुलिस का बचाव

बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले में संदिग्ध अक्षय शिंदे सोमवार शाम को मुठभेड़ के दौरान मारा गया. आरोपी अक्षय शिंदे की मां ने एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं.

Update: 2024-09-23 17:39 GMT

Badlapur sexual assault case: बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले में संदिग्ध अक्षय शिंदे सोमवार शाम को मुठभेड़ के दौरान मारा गया. आरोपी अक्षय शिंदे की मां ने एनकाउंटर पर सवाल उठाए हैं. अलका शिंदे ने ठाणे पुलिस के सभी दावों को खारिज किया है. वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बदलापुर यौन उत्पीड़न के आरोपी को गोली मारने की पुलिस कार्रवाई का सोमवार को बचाव किया.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, एक इंटरव्यू में आरोपी की मां ने कहा कि मैं सोमवार को तलोजा जेल में शाम 4.30 बजे अक्षय से मिली थी. मैं सुबह से ही उससे मिलने का इंतजार कर रही थी. लेकिन आखिरकार मुझे उससे 15 मिनट बात करने का मौका मिला. उसने मुझे बताया कि उसके मामले में चार्जशीट दाखिल हो चुकी है और पूछा कि क्या मैं उसे जेल से बाहर निकालने की कोशिश कर रही हूं. उसने कहा कि जब मैं पिछले सोमवार को उससे मिलने गई थी तो पुलिस अधिकारियों ने उसे पीटा था.

उन्होंने कहा कि यह पहले से ही योजनाबद्ध था. ऐसा लगता है कि यह कुछ राजनीतिक नेताओं के इशारे पर किया गया है. अलका शिंदे ने पुलिस के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि मेरे बेटे को दिवाली के पटाखों से डर लगता था. यह अविश्वसनीय है कि उसने बंदूक उठाई और कुछ राउंड फायर किए. मेरा बेटा शोर से डरता था. उन्होंने आगे कहा कि वह मेरे द्वारा पकाया गया खाना खाने के लिए बेताब था और तब तक चाहता था कि मैं उसे जेल कैंटीन से खाना खरीदने के लिए कुछ पैसे भेजूं.

अपने बेटे के खिलाफ़ आरोपों के बारे में संदेह व्यक्त करते हुए अलका शिंदे ने कहा कि जेल जाने के दौरान मैंने हमेशा उससे पूछा कि क्या उसने अपराध किया है और उसने मुझे बताया कि उसने नहीं किया है. हालांकि, अगर उसने अपराध किया भी है तो भी सरकार और पुलिस को अपनी जांच पर भरोसा रखना चाहिए और इस मामले को निष्पक्ष रूप से संभालने का साहस रखना चाहिए. निष्पक्ष सज़ा, भले ही वह मृत्युदंड ही क्यों न हो, उचित होती. लेकिन यह एक बड़ा अपराध है कि मेरे बेटे को अपना केस लड़ने का मौका भी नहीं मिला. उन्होंने मामले के व्यापक निहितार्थों पर सवाल उठाते हुए पूछा कि स्कूल के बड़े ट्रस्टियों का क्या हुआ? पैसे के कारण वे पुलिस हिरासत में क्यों नहीं हो सकते?

अलका शिंदे ने न्याय पाने की कसम खाते हुए कहा कि पुलिस को अपनी जांच पर भरोसा नहीं है. इसलिए उन्होंने यह अपराध किया है. अक्षय ऐसा नहीं कर सकता और मैं उसके लिए न्याय की लड़ाई लड़ूंगी.

वहीं, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने बदलापुर यौन उत्पीड़न के आरोपी को गोली मारने की पुलिस कार्रवाई का सोमवार को बचाव किया. सीएम शिंदे ने कहा कि उसे (अक्षय शिंदे को) जांच के लिए ले जाया गया. क्योंकि उसकी पूर्व पत्नी ने यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज कराया है. उसने एक पुलिसकर्मी नीलेश मोरे पर गोली चलाई, जो घायल हो गया और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. पुलिस ने सेल्फ डिफेंस में यह कार्रवाई की. जांच के बाद और जानकारी सामने आएगी.

बता दें कि 23 वर्षीय अक्षय शिंदे को मुंब्रा बाईपास के पास ठाणे क्राइम ब्रांच द्वारा जांच के लिए ठाणे ले जाते समय पुलिस ने गोली मार दी थी. शिवसेना (यूबीटी) और कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने गड़बड़ी का आरोप लगाया.

विपक्ष हर चीज पर सवाल उठाता है: फडणवीस

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भी ठाणे पुलिस का बचाव करते हुए कहा कि उसकी (अक्षय शिंदे) पूर्व पत्नी ने यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई है. पुलिस वारंट के साथ उसे जांच के लिए ले जा रही थी. उसने पुलिस की बंदूक छीन ली और पुलिस कर्मियों पर और हवा में भी गोली चलाई. पुलिस ने आत्मरक्षा में उस पर गोली चलाई.

उन्होंने कहा कि उसे अस्पताल ले जाया गया. डॉक्टर बाद में इसकी घोषणा करेंगे. लेकिन हमारे पास जो प्रारंभिक जानकारी है, उसके अनुसार उसकी मौत हो गई है. विपक्ष हर चीज पर सवाल उठाता है. वही विपक्ष उसे फांसी पर लटकाने की मांग कर रहा था. अगर उसने पुलिस पर हमला किया होता तो क्या पुलिस आत्मरक्षा नहीं करती? इस पर कोई मुद्दा बनाना गलत है.

बता दें कि ठाणे के बदलापुर कस्बे में स्कूल के शौचालय में अक्षय शिंदे द्वारा दो नाबालिग लड़कियों के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किए जाने के बाद पिछले महीने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. स्कूल ने 1 अगस्त को शिंदे को अपने शौचालयों की सफाई के लिए अनुबंध के आधार पर नियुक्त किया था. 12 अगस्त को स्कूल के शौचालय में कथित तौर पर दो नाबालिगों के साथ दुर्व्यवहार किया गया था. आरोपी को 17 अगस्त को गिरफ्तार किया गया था. 3 सितंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने पुलिस से कहा कि वह एक "ठोस" मामला बनाए और जनता के दबाव में जल्दबाजी में आरोप पत्र दाखिल न करे.

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