#BiharElectionResult2025 : बिहार में फिर एक बार, नीतीशे कुमार !, दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनी जेडीयू

बिहार में चुनाव नतीजों के जो रुझान दिख रहे हैैं, उसमें नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने चौंकाने वाला प्रदर्शन करते हुए दिख रही है। जेडीयू रुझानों में दूसरी बड़ी पार्टी बनती हुई दिख रही है

Update: 2025-11-14 05:53 GMT

बिहार विधानसभा चुनाव के अब तक के रुझान इस बात का संकेत दे रहे हैं कि फिलहाल नीतीश कुमार चैम्पियन बनकर उभरे हैं। ये बात भी साबित होती दिख रही है कि फिलहाल बिहार की राजनीति में नीतीश का कोई सानी नहीं है।

चुनाव से पहले जिन नीतीश कुमार को चुका हुआ मान लिया गया था, जिनकी राजनीति के मर्सिये गाए जाने लगे थे। जिनको लेकर कोई ये आश्वस्त नहीं था कि वो बतौर मुख्यमंत्री अगली पारी खेल पाएँगे या नहीं, चुनावी रुझान बता रहे हैं कि नीतीश कुमार ने उन तमाम अटकलों, उन तमाम चर्चायों को धता बता दिया है। एनडीए में उनकी सहयोगी बीजेपी, जोकि उनको अगला मुख्यमंत्री घोषित करने में हिचक रही थी, उसको भी बड़ा जवाब मिला है।

साल 2020 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की पार्टी 43 सीटों पर सिमट गई थी। तब कई सीटों पर एनडीए से बाहर होकर चुनाव लड़े चिराग पासवान ने नीतीश कुमार की पार्टी को बहुत नुकसान पहुंचाया था। लेकिन जैसे कि रुझान दिख रहे हैं, नीतीश कुमार ने पांच साल में ही भरपाई कर ली है। फिलहाल वो अपनी पार्टी की सीटें डबल करते हुए दिख रहे हैं।

गौर करने वाली बात ये है कि एनडीए में बीजेपी और जेडीयू दोनों ने जब सीट शेयरिंग की तो दोनों पार्टियों ने 101-101 सीटों पर लड़ना तय किया। अभी जो रुझान दिख रहे हैं, उसमें नीतीश की पार्टी जेडीयू का सबसे अच्छा स्ट्राइक रेट दिख रहा है।

बीजेपी तो पिछले चुनाव में भी संख्याबल के लिहाज़ से नंबर-दो पार्टी थी। उसे तब 74 सीटें मिली थी। इसलिए रुझानों में बीजेपी तो अपनी संख्या को बरकरार रखने में और उसे बढ़ाने में कामयाब होती दिख रही है। लेकिन नीतीश कुमार की पार्टी का 2020 की 43 सीटों से बढ़कर लगभग दोगुना हो जाना किसी को भी चौंका सकता है। जबकि पिछले चुनाव (2020) की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी का रुझानों में ऐसा हश्र होना भी हैरान कर रहा है। आरजेडी रुझानों में संख्याबल के लिहाज़ से लगभग आधा हो गई है।

तो आखिर ऐसा कैसे हुआ? एनडीए बिहार में इतनी बड़ी जीत की तरफ कैसे बढ़ रही है? क्या इस करिश्मे में नीतीश कुमार सबसे बड़ा फैक्टर बनकर उभरे हैं? क्या उनको सहानुभूति वोट पड़ा? नतीजे आने के बाद इसको अभी अलग-अलग तरीके से एनालाइज किया जाएगा। लेकिन ट्रेंड बता रहे हैं कि नीतीश बड़ी वजह बने हैं। हालांकि इस बड़ी कामयाबी की कोई एक वजह नहीं हो सकती। लेकिन ऐन चुनाव से पहले 'जीविका दीदी योजना' वाले नीतीश कुमार के दांव ने बड़ा काम किया है। महिलाओं के खाते में 10 हज़ार रुपये पहुंचाना वाकई मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है।

वोट देने से पहले ही करीब सवा करोड़ महिलाओं के खाते में सरकार ने 10 हज़ार रुपये पहुंचा दिए। इसे भले ही विपक्षी दलों ने चुनाव जीतने के लिए सरकारी घूस करार दिया लेकिन इसका असर चुनाव में देखने को मिला है। इसका प्रकटीकरण महिलाओं के मतदान प्रतिशत में भी हुआ। बिहार में इस बार रिकॉर्ड 67% वोटिंग हुई। यह 1951 के बाद से अब तक का सबसे ज्यादा वोटिंग परसेंटेज है। और सबसे ज़्यादा गौर करने वाली बात ये है कि महिलाओं का मतदान प्रतिशत पुरुषों के मुकाबले लगभग 9% ज्यादा रहा। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में इस बार जहां पुरुषों का मतदान प्रतिशत- 62.8 % रहा, वहीं महिलाओं का मतदान प्रतिशर रहा 71.6%।

दूसरी सबसे बड़ी बात ये है कि इस चुनाव में नीतीश कुमार को कुछ साबित नहीं करना था। उनके पास उनका 20 साल का रिपोर्ट कार्ड था। इन दो दशक में बच्चियों को साइकिल बांटने से लेकर जीविका दीदी को 10 हज़ार रुपये देने तक के उनके फैसले सबके सामने हैं। इसका क्रेडिट नीतीश को जाता है कि उन्होंने महिला वोट को एक नई पॉलिटिकल फोर्स बना दिया। दूसरी तरफ, तेजस्वी यादव की महिलाओं को लेकर की गई घोषणाओं की परख होनी थी। उसमें शर्त ये थी कि सरकार की स्थिति में फैसले लिए जाएँगे जबकि नीतीश तो सरकार में रहकर लाभ पहुंचा रहे थे।

तो कुल मिलाकर अब सबसे दिलचस्प ये देखना होगा कि जो बीजेपी चुृनाव से पहले नीतीश कुमार को अगला मुख्यमंत्री घोषित करने में हिचक रही थी, क्या इस परफॉर्मेंस के बाद उसके रुख में कुछ बदलाव आएगा?

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