बिहार में 65 लाख से ज्यादा वोटरों के नाम हटाए गए, ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में सबसे ज्यादा पटना से कटे नाम
विपक्षी दलों ने SIR प्रक्रिया की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि यह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ एनडीए को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।;
बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के तहत चुनाव आयोग ने शुक्रवार को जो आंकड़े जारी किए, उनके अनुसार राज्य की ड्राफ्ट वोटर लिस्ट में 65 लाख से अधिक मतदाता रिकॉर्ड से बाहर हो गए हैं। इस प्रक्रिया के बाद राज्य में कुल पंजीकृत मतदाताओं की संख्या 7.9 करोड़ से घटकर 7.24 करोड़ रह गई है।
चुनाव आयोग के मुताबिक SIR प्रक्रिया के तहत सभी 243 विधानसभा क्षेत्रों और 90,817 मतदान केंद्रों को कवर किया गया। आयोग का दावा है कि 65 लाख मतदाता इसलिए बाहर हुए क्योंकि कुछ की मृत्यु हो चुकी है, कुछ स्थायी रूप से राज्य से बाहर चले गए हैं, कुछ अपने पते पर नहीं मिले, और कुछ दो जगहों पर पंजीकृत पाए गए।
सबसे ज्यादा नाम कहां से हटे?
इन 65 लाख नामों में सबसे अधिक संख्या 3.95 लाख पटना से है, उसके बाद मधुबनी (3.52 लाख), पूर्वी चंपारण (3.16 लाख) और गोपालगंज (3.10 लाख) का स्थान आता है।
65 लाख की कमी का विवरण
SIR प्रक्रिया से पहले बिहार में कुल 7.9 करोड़ मतदाता पंजीकृत थे। चुनाव आयोग का दावा है कि इनमें से 22.34 लाख लोगों की मृत्यु हो चुकी थी।36.28 लाख लोग या तो स्थायी रूप से राज्य से बाहर चले गए थे या अपने पते पर नहीं मिले। 7.01 लाख लोग एक से अधिक स्थानों पर पंजीकृत पाए गए।
मसौदा सूची पर विरोध और आपत्ति
यह मसौदा मतदाता सूची आज सुबह चुनाव आयोग की वेबसाइट पर और बिहार के सभी 38 जिलों में प्रकाशित की गई। विपक्षी दलों ने SIR प्रक्रिया की आलोचना करते हुए आरोप लगाया है कि यह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ एनडीए को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से की गई है।
चुनाव आयोग ने क्या कहा?
मीडिया रिपोर्ट्स में चुनाव आयोग के हवाले से कहा गया है कि, “बिहार की मसौदा मतदाता सूची, जिसमें 243 विधानसभा क्षेत्रों और 90,817 मतदान केंद्र शामिल हैं, आज यानी 1 अगस्त 2025 को सुबह 11 बजे सभी राजनीतिक दलों को 38 जिलाधिकारियों के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही है।”
दावे और आपत्तियां अब 1 सितंबर तक
अब इस सूची के आधार पर दावे और आपत्तियों की प्रक्रिया शुरू हो गई है, जो 1 सितंबर तक चलेगी। जिन मतदाताओं को लगता है कि उनके नाम गलत तरीके से हटाए गए हैं, वे संबंधित अधिकारियों से शिकायत कर सकते हैं। यह केवल मसौदा सूची है, अंतिम सूची दावे-आपत्तियों की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही प्रकाशित की जाएगी।