बंगाल में BJP की 1,000 से ज्यादा CAA कैंप लगाने की योजना, बांग्लादेश सीमा से लगे जिलों पर रहेगा खास फोकस
सूत्रों ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद ये कार्यकर्ता अपने इलाकों में लौटकर लोगों को नागरिकता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कराने में मदद करेंगे — ताकि यह प्रक्रिया SIR शुरू होने से पहले पूरी की जा सके।
दीवाली और काली पूजा के खत्म होते ही पश्चिम बंगाल भाजपा ने राज्यभर में 1,000 से अधिक नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) कैंप लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। यह कदम राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) से पहले उठाया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स में वरिष्ठ भाजपा नेताओं के हवाले से बताया गया है कि जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, पार्टी ने इन कैंपों की संख्या बढ़ाने और बांग्लादेश से आए पीड़ित हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता के लिए आवेदन करने के लिए प्रेरित करने का निर्णय लिया है।
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष और सांसद समिक भट्टाचार्य के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि,“यह भाजपा का एजेंडा शुरू से ही था। कोविड महामारी के कारण नियमों को तय करने में थोड़ी देरी हुई, लेकिन अब हम पूरी तरह तैयार हैं।”
उन्होंने बताया कि राज्यभर में 1,000 से अधिक कैंप लगाए जाएंगे, खासकर उन सीमावर्ती क्षेत्रों में, “जहां जनसांख्यिकी पहले ही बदल चुकी है।”
उन्होंने कहा, “हम देख रहे हैं कि कई जिलों की जनसंख्या संरचना बदल रही है, विशेष रूप से सीमा वाले क्षेत्रों में; इसलिए वहां अधिक कैंप लगाए जाएंगे।”
भाजपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी का मुख्य फोकस बांग्लादेश से सटे जिलों पर होगा — दक्षिण बंगाल के उत्तर 24 परगना और नदिया तथा उत्तर बंगाल के कूचबिहार और उत्तर दिनाजपुर। एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि भाजपा इकाइयों के अलावा अन्य हिंदू संगठनों और कई स्थानीय क्लबों को भी इस अभियान में शामिल किया जा रहा है।
बुधवार को भाजपा के संगठन महासचिव बी.एल. संतोष की अगुवाई में बंगाल भाजपा ने एक वर्कशॉप आयोजित की, जिसमें पार्टी कार्यकर्ताओं, नेताओं और “गैर-राजनीतिक” संगठनों के प्रतिनिधियों को CAA से संबंधित प्रशिक्षण दिया गया।
सूत्रों ने बताया कि प्रशिक्षण के बाद ये कार्यकर्ता अपने इलाकों में लौटकर लोगों को नागरिकता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन कराने में मदद करेंगे — ताकि यह प्रक्रिया SIR शुरू होने से पहले पूरी की जा सके।
एक वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा, “सबसे ज़रूरी है कि आम जनता को समझाया जाए कि CAA क्यों आवश्यक है। इसके बारे में बहुत सी गलतफहमियां फैलाई गई हैं, जिससे लोग डरते हैं।”
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग द्वारा जल्द ही SIR की घोषणा किए जाने की उम्मीद है, और पार्टी के लिए ये कैंप 2002 के बाद भारत में प्रवेश करने वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता दिलाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
“पार्टी के वरिष्ठ नेता और कार्यकर्ता वर्कशॉप में इसलिए शामिल हुए ताकि वे खुद CAA के प्रावधानों और उससे जुड़े सवालों को स्पष्ट रूप से समझ सकें। अगर वे खुद आश्वस्त नहीं होंगे, तो दूसरों को आवेदन करने के लिए कैसे मना पाएंगे,” एक भाजपा पदाधिकारी ने कहा।
उन्होंने आगे कहा, “एक बड़ी समस्या यह है कि लोग नागरिकता के लिए आवेदन करने से डरते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें हिरासत शिविरों (detention camps) में भेज दिया जाएगा या घुसपैठिया कहा जाएगा। हमारा मुख्य लक्ष्य उन्हें समझाना और शिक्षित करना है।”
पश्चिम बंगाल भाजपा विधायक और शरणार्थी प्रकोष्ठ संयोजक असीम सरकार ने कहा, “साल 2000 से 31 दिसंबर 2024 तक जिनके नाम नहीं हैं, हम उन्हें नागरिकता प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने के लिए मनाएंगे। हमारी राज्य की मुख्यमंत्री ने पीड़ित हिंदू शरणार्थियों को CAA के तहत आवेदन न करने के लिए गुमराह किया है। CAA हिंदुओं के लिए है — यह एक लक्ष्मण रेखा है।”
उन्होंने कहा,“पीड़ित हिंदुओं के लिए नागरिकता की यह लड़ाई 2004 में ठाकुरनगर में मतुआ परिवार से शुरू हुई थी। हमने बंगाल से बाहर 18 राज्यों में शरणार्थियों के समर्थन में प्रदर्शन किए हैं।”
सरकार ने बताया कि उनकी हरिंगहाटा विधानसभा क्षेत्र में अभियान शुरू किया जाएगा ताकि लोगों को CAA के तहत आवेदन करने के लिए प्रेरित किया जा सके।
“हम माइक से घोषणाएँ करवाएंगे ताकि सभी जल्द से जल्द आवेदन करें,” उन्होंने कहा।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक, यह राज्यव्यापी अभियान पार्टी को हिंदू मतों को एकजुट करने और मतुआ व अन्य हिंदू शरणार्थी समुदायों तक पहुँचने में मदद करेगा — जो 2024 तक धार्मिक उत्पीड़न के चलते बांग्लादेश से बंगाल आए।
पार्टी नेताओं का दावा है कि CAA और SIR प्रक्रियाएं न केवल फर्जी और मृत मतदाताओं की पहचान में मदद करेंगी, बल्कि “गैरकानूनी मुस्लिम घुसपैठियों” को भी चिन्हित करने में सहायक साबित होंगी।