6 हजार किमी लंबी सरहद की जिम्मेदारी, BSF को और मजबूत करने की जरूरत
BSF: सीमा सुरक्षा बल के जवान भारत की पूर्वी और पश्चिमी सीमा की हिफाजत करते हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर संसाधन के स्तर पर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
Border Security Force News: भारत-बांग्लादेश सीमा पर बढ़ते तनाव तथा पाकिस्तान से लगी सीमा के सशस्त्र तस्करी का केंद्र बनने के कारण, मानव शक्ति की कमी से जूझ रहे सीमा सुरक्षा बल को उच्च तकनीक की सख्त जरूरत है।सीमा सुरक्षा बल में करीब 2.65 लाख जवान हैं जो देश के पूर्वी हिस्से में 4,069 किलोमीटर लंबी भारत-बांग्लादेश सीमा (India Bangladesh Border) और पश्चिमी हिस्से में पाकिस्तान (India-Pakistan border security) के साथ 2,289 किलोमीटर लंबी सीमा की रखवाली करते हैं। इसका मतलब है कि एक किलोमीटर सीमा की रखवाली के लिए करीब 41 जवान हैं।
गैर-सीमा-संबंधी कर्तव्य
लेकिन यह एक सरल गणना है। बल के जनशक्ति (BSF Manpower) का एक बड़ा हिस्सा गैर-सीमा-संबंधित कर्तव्यों में लगा हुआ है, जिसमें रक्षा और सुरक्षा से असंबंधित केंद्र सरकार की नागरिक योजनाओं का कार्यान्वयन भी शामिल है।वह भी तब जब बल की कम से कम 20 प्रतिशत ताकत 45-60 वर्ष की उच्च आयु वर्ग में है, और लगभग 20 प्रतिशत कम चिकित्सा श्रेणी में है, जो उन्हें परिचालन जिम्मेदारियों के लिए अनुपयुक्त बनाता है।नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने 2019 में सीमा पर ऑपरेशनल ड्यूटी के लिए आयु सीमा 57 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी। 1998 तक यह आयु सीमा 55 वर्ष थी
घटती जनशक्ति
छुट्टियों, खेलकूद, बैण्ड और समारोह संबंधी गतिविधियों के कारण प्रभावी परिचालन जनशक्ति की संख्या और भी कम हो जाती है।बीएसएफ के पास 13 फ्रंटियर हैं, जिनमें से प्रत्येक में लगभग 300 खिलाड़ी और 60 से 65 सदस्यों की टुकड़ी है, जिन्हें औपचारिक ड्यूटी के लिए नियुक्त किया गया है, जिन्हें नियमित निगरानी और युद्ध संबंधी कार्यों से मुक्त रखा गया है। उनकी कुल संख्या तीन से अधिक बटालियनों के बराबर होगी।
बीएसएफ में 193 बटालियन हैं, जिनमें चार आपदा प्रबंधन बटालियन शामिल हैं, जिनमें से प्रत्येक में करीब 1,200 जवान और अधिकारी हैं। एक बटालियन में सात कंपनियां होती हैं। इनमें से कई बटालियन कानून-व्यवस्था बनाए रखने के काम में लगी हुई हैं। जातीय संघर्ष से जूझ रहे मणिपुर में 15 बटालियन या 105 कंपनियां तैनात हैं। अन्य 14 बटालियन यानी 98 कंपनियां वर्तमान में ओडिशा और छत्तीसगढ़ में नक्सल विरोधी (BSF operation in Naxal Area) अभियानों में लगी हुई हैं।
कुछ और काम करने पड़ते हैं
इसके अलावा, बल को कभी-कभी चुनाव ड्यूटी, राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन, “स्वच्छता ही सेवा” अभियान, सभी CAPFs के बीच ई-आवास योजना की निगरानी, वृक्षारोपण आदि जैसी योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए भेजा जाता है, जिससे सीमा की सुरक्षा के लिए बल की जनशक्ति और भी कम हो जाती है। इस साल अक्टूबर तक बीएसएफ ने पूरे भारत में विभिन्न स्थानों पर 25 लाख से अधिक पौधे लगाए हैं।संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन के तहत 21 महिलाओं सहित 160 कर्मियों का एक दल कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य के उत्तरी किवु प्रांत में तैनात है। इसके अलावा, तीन बटालियनें मुख्य रूप से प्रशासनिक और अन्य कार्यों के लिए नई दिल्ली स्थित बीएसएफ मुख्यालय (BSF Headquarter Delhi) में तैनात हैं, जिनका सीमा सुरक्षा से कोई संबंध नहीं है।
स्थिति गंभीर
इन आंकड़ों का उल्लेख करते हुए बीएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने द फेडरल को बताया कि हाल के महीनों में भारत-बांग्लादेश सीमा पर स्थिति गंभीर होने के बाद जवानों की कमी की समस्या और अधिक बढ़ गई है।बढ़ते खतरे के कारण बीएसएफ ने बांग्लादेश सीमा (India Bangladesh Border) पर कुछ इलाकों में सीधे जीरो लाइन पर बल तैनात कर दिया है, जैसे कि मुर्शिदाबाद जिले में फरक्का से लेकर काकमरीचर तक का पूरा इलाका। इस तैनाती से सीमा सुरक्षा में वृद्धि होने और सर्वेक्षण तथा सीमा बाड़ लगाने की प्रक्रिया में आसानी होने की उम्मीद है।भारत-बांग्लादेश सीमा पहले से ही मादक पदार्थों, जाली मुद्राओं, सोने और चांदी की तस्करी का एक प्रमुख पारगमन मार्ग है।
नशीले पदार्थों की जब्ती
बल द्वारा किए गए संकलन के अनुसार, इस वर्ष 31 अक्टूबर तक बीएसएफ द्वारा जब्त किए गए कुल 12298.937 किलोग्राम मादक पदार्थों में से 11866.788 किलोग्राम पूर्वी सीमा पर जब्त किए गए। इसी तरह, 32 लाख रुपये के अंकित मूल्य वाले नकली भारतीय नोटों की पूरी जब्ती (Narcotics Smuggling) पूर्वी सीमा पर की गई। इस वर्ष बीएसएफ द्वारा जब्त किए गए कुल तस्करी वाले सोने और चांदी में भी पूर्वी सीमा का योगदान 90 प्रतिशत से अधिक था।
बीएसएफ की जब्ती सूची से पता चला है कि पश्चिमी सीमा का इस्तेमाल मुख्य रूप से हथियारों, गोला-बारूद और विस्फोटकों की तस्करी के लिए किया जाता है। पाकिस्तान से इन वस्तुओं की तस्करी के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जाता है। इस साल अक्टूबर में बीएसएफ ने पंजाब के फाजिल्का के एक सीमावर्ती गांव से एक किलो आरडीएक्स विस्फोटक जब्त किया था, जिसे कथित तौर पर पाकिस्तान से ड्रोन के जरिए गिराया गया था।पश्चिमी सीमा पर तैनात बीएसएफ जवानों ने इस साल अक्टूबर तक 257 ड्रोन को मार गिराया या जब्त किया। सूत्रों ने बताया कि पकड़े गए ड्रोन में से लगभग सभी चीन में बने थे।
बीएसएफ अधिकारी ने कहा कि हालांकि पूर्वी सीमा पर तस्करी गतिविधियों के लिए ड्रोन का उपयोग अभी तक नहीं देखा गया है, लेकिन पाकिस्तान भारत विरोधी गतिविधियों के लिए बांग्लादेशी धरती का उपयोग करने की कोशिश कर सकता है, जैसा कि उसने 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में ढाका में कथित रूप से इस्लामाबाद समर्थक सरकारों की मदद से किया था
इलेक्ट्रॉनिक निगरानी
संभावना यह है कि बल ज़मीन पर अपनी ताकत का पुनर्मूल्यांकन करे और तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाए। बल अब कमज़ोर इलाकों की इलेक्ट्रॉनिक निगरानी बढ़ाने पर ज़्यादा ज़ोर दे रहा है। भारत-बांग्लादेश और भारत-पाकिस्तान सीमाओं (India Pakistan Border) पर 600 से ज़्यादा पहचाने गए कमज़ोर इलाके हैं।
बीएसएफ (BSF Technical Upgradation) ने सीसीटीवी/पीटीजेड (पैन-टिल्ट-जूम)/बुलेट कैमरे, इन्फ्रारेड सेंसर और कमांड-एंड-कंट्रोल सिस्टम के साथ इन्फ्रारेड अलार्म से लैस एकीकृत निगरानी तकनीक की स्थापना शुरू कर दी है। ड्रोन रोधी प्रणालियाँ भी लगाई गई हैं।अधिकारी ने बताया कि बिना बाड़ वाले इलाकों में इन्फ्रारेड अलार्म का इस्तेमाल बढ़ गया है। भारत-बांग्लादेश की 4,069 किलोमीटर लंबी सीमा में से करीब 800 किलोमीटर हिस्सा बिना बाड़ वाला है ।