मंच पर 3 घंटे, 7 कुर्सियों के साथ मायावती की रैली, लखनऊ में समर्थकों का रेला
कांशीराम की पुण्यतिथि पर होने वाली बीएसपी की रैली से क्या पार्टी को संजीवनी मिलेगी? बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने मंच पर कई कुर्सियां लगवाकर पहले ही इस बात का संकेत दे दिया है कि वर्तमान राजनीति से सामंजस्य करने के लिए पार्टी तैयार है।
Mayawati Lucknow Rally News: बहुजन समाज पार्टी की महारैली आज लखनऊ में होगी।बीएसपी संस्थापक कांशीराम की पुण्यतिथि पर कांशीराम स्मारक में होने वाली इस रैली को बीएसपी की उत्तर प्रदेश की राजनीति में ‘कमबैक ‘ रैली माना जा रहा है।बीएसपी सुप्रीमो मायावती 9 साल बाद इस तरह की रैली कर रही हैं इसलिए सबकी नज़र इस बात पर भी है कि को रैली में अपने संबोधन से बीएसपी अध्यक्ष क्या संदेश देती हैं।रैली के लिए सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं।
लखनऊ में बुधवार से ही रैली के लिए लोगों का आना शुरू हो गया था।रैली करीब 3 घंटे की होगी।कांशीराम की पुण्यतिथि पर होने वाली रैली में सबसे पहले कांशीराम को श्रद्धांजलि दी जाएगी।मुख्य रूप से बीएसपी सुप्रीमो मायावती ही रैली को संबोधित करेंगी।इस रैली को लेकर न सिर्फ़ बीएसपी के समर्थकों में उत्साह है बल्कि विपक्ष के दूसरे दलों और सत्तारूढ़ बीजेपी की नज़र भी है। 9 साल बाद मायावती एक बार फिर मंच पर ऐसे समय में आ रही हैं जब बीएसपी का वोटबैंक बिखर चुका है।2022 विधानसभा चुनाव में मात्र एक सीट और 2024 लोकसभा में उत्तर प्रदेश से शून्य के साथ पार्टी हाशिए पर पहुँच चुकी है।ऐसे समय में होने वाली मायावती के रैली के आयोजन को बीएसपी की भावी राजनीति का संकेत माना जा रहा है।
पहली बार मंच कर सात कुर्सियां
बीएसपी की रैली के लिए ‘लखनऊ चलो’ का नारा दिया गया है जो दीवारों पर और पोस्टर्स पर लिखा है।नीले झंडों से सजी सड़कें और रैली स्थल की और बढ़ते समर्थकों को कल रात से ही देखा गया।कहा जा रहा है कि रैली के लिए बीएसपी अध्यक्ष ने पांच लाख भीड़ जुटाने का टारगेट दिया है।रैली की तैयारी जोरों पर है। जानकारी के अनुसार मायावती तीन घंटे मंच पर रहेंगी।पहली बार मंच पर उनके साथ दूसरे नेता भी बैठेंगे।कहा जा रहा है मंच पर सात कुर्सियां लगायी गई हैं।भाई आनंद कुमार, भतीजे आकाश आनंद, जिन्हें मायावती ने हाल ही में राष्ट्रीय समन्वयक बनाया गया बनाया है और सतीश चंद्रा मिश्रा जैसे वरिष्ठ नेता भी मंच पर होंगे।वरिष्ठ पत्रकार रचना सरन कहती हैं ‘ मायावती के संबोधन पर सबकी नज़र रहेगी। वजह यह है कि उनके समर्थक यह चाहते हैं कि वो कमबैक करें।लंबे समय से वो खामोश रही हैं या सिर्फ़ प्रेस वक्तव्यों या सोशल मीडिया के ज़रिए बात की है।’
बीएसपी की भावी रणनीति का संकेत
यह रैली 2027 यूपी विधानसभा चुनाव से पहले बीएसपी की राजनीति का संकेत देगी और बीएसपी की रणनीति का आईना दिखाएगी ।वजह यह है कि सपा के पीडीए( PDA) की लोकसभा चुनाव में सफलता के बाद दलित वोट को लेकर भी मायावती के समाने चुनौती है।जबकि सपा-कांग्रेस ने बीएसपी की लगातार बीजेपी की ‘बी-टीम’ बताने की कोशिश कि है।वरिष्ठ पत्रकार मनमोहन कहते हैं ‘ पार्टी के प्रभारियों को भीड़ लाने की ज़िम्मेदारी दी गई है तो यह उनकी एक परीक्षा भी होगी।ऐसे में बीएसपी का आगे का सफ़र कैसा होगा इसकी झलक इस रैली से मिलेगी।’