शिलांग रेलवे लाइन: विकास या वजूद? रेलवे प्रोजेक्ट को लेकर फिर गरमाई सियासत

शिलांग रेलवे परियोजना मेघालय के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। लेकिन स्थानीय समुदायों की चिंताओं और बाहरी लोगों के आगमन की निगरानी के लिए तंत्र की आवश्यकता को लेकर विवाद जारी है।;

Update: 2025-05-22 17:38 GMT

मेघालय सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण सवाल खड़ा हो गया है—विकास या जनसांख्यिकी? राज्य की राजधानी शिलांग को जोड़ने वाली बर्निहाट-शिलांग रेलवे परियोजना को लेकर सरकार के सामने दो विकल्प हैं या तो परियोजना को आगे बढ़ाया जाए या फिर इसके लिए आवंटित ₹209 करोड़ की राशि लौटा दी जाए।

परियोजना का इतिहास और वर्तमान स्थिति

रेल मंत्रालय ने 2017 में बर्निहाट-शिलांग रेलवे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण हेतु ₹209 करोड़ की राशि मंजूर की थी। हालांकि, स्थानीय विरोध के कारण भूमि अधिग्रहण में कोई प्रगति नहीं हो पाई, जिससे मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा ने पिछले महीने इस राशि को लौटाने की प्रक्रिया शुरू करने की बात कही थी। लेकिन आर्थिक लाभ को ध्यान में रखते हुए, राज्य सरकार ने अब इस परियोजना पर पुनर्विचार करते हुए एक सर्वदलीय समिति गठित करने का निर्णय लिया है।

सर्वदलीय समिति और विपक्ष की प्रतिक्रिया

राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय समिति गठित करने का प्रस्ताव रखा है, जिसका उद्देश्य परियोजना का लागत-लाभ विश्लेषण करना और सभी संबंधित पक्षों से परामर्श करना है। हालांकि, कांग्रेस और वॉयस ऑफ द पीपल पार्टी (VPP) ने इस समिति में शामिल होने से इनकार कर दिया है। यूनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी (UDP), जो मेघालय डेमोक्रेटिक अलायंस (MDA) सरकार की प्रमुख सहयोगी है, ने समिति में शामिल होने की संभावना जताई है, लेकिन बाहरी लोगों के आगमन की निगरानी के लिए कोई तंत्र स्थापित किए बिना परियोजना के कार्यान्वयन का विरोध किया है।

इनर लाइन परमिट की मांग

मेघालय में बाहरी लोगों के आगमन को लेकर स्थानीय समुदायों में चिंता है। खासी स्टूडेंट्स यूनियन (KSU), जेन्तिया स्टूडेंट्स यूनियन (JSU) और अन्य दबाव समूहों ने परियोजना का विरोध करते हुए कहा है कि पहले बाहरी लोगों के आगमन की निगरानी के लिए एक मजबूत तंत्र स्थापित किया जाए। इनका मानना है कि रेलवे परियोजना से बाहरी लोगों का आगमन बढ़ेगा, जिससे राज्य की जनसांख्यिकी पर असर पड़ेगा, क्योंकि राज्य की 86 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या आदिवासी है।

इनर लाइन परमिट (ILP) की मांग भी इस मुद्दे से जुड़ी हुई है। ILP एक यात्रा दस्तावेज है, जो भारतीय नागरिकों को कुछ विशेष राज्यों में प्रवेश और निवास की अनुमति देता है। मेघालय सरकार ने ILP लागू करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय से अनुरोध किया है, लेकिन मंत्रालय ने राज्य को ट्रांजिट प्वाइंट मानते हुए इस पर आपत्ति जताई है।

परियोजना का उद्देश्य और चुनौतियां

बर्निहाट-शिलांग रेलवे परियोजना का उद्देश्य उत्तर-पूर्वी राज्यों की सभी राज्य राजधानियों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ना है। असम, त्रिपुरा, और अरुणाचल प्रदेश की राज्य राजधानियां पहले ही रेलवे नेटवर्क से जुड़ी हुई हैं। काम चल रहा है ताकि इंफाल (मणिपुर), कोहिमा (नागालैंड), आइजोल (मिजोरम) और गंगटोक (सिक्किम) को भी रेलवे से जोड़ा जा सके। केवल शिलांग को जोड़ने वाली रेलवे परियोजना शुरू नहीं हो पाई है, मुख्यतः इसलिए क्योंकि यह उत्तर-पूर्व का एकमात्र आदिवासी राज्य है, जिसे इनर लाइन परमिट (ILP) के तहत नहीं लाया गया है।

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