ठाकरे ब्रदर्स की एकता पर बदले कांग्रेस के सुर, अकेले चुनाव लड़ने को लेकर पूर्व सीएम चव्हाण ने दिए संकेत
पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, शिवसेना (UBT) और राकांपा (SP) अगर उन दलों से गठबंधन करते हैं जो कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष और संविधान आधारित विचारधारा के विरोधी हैं, तो हम उसे स्वीकार नहीं करेंगे।;
23 साल बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एक ही मंच साझा किया, जिससे महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरण बनने और पुराने ढहने लगे हैं। जहाँ एक ओर शिंदे गुट को वोट बैंक खिसकने की चिंता सताने लगी है, वहीं कांग्रेस के तेवर भी अब बदलते दिखाई दे रहे हैं।
चव्हाण का बड़ा बयान
पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि अगर कांग्रेस इस साल के अंत में मुंबई समेत पूरे राज्य में होने वाले नगर निकाय चुनाव अकेले लड़ती है, तो इसमें कोई हैरानी नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने पीटीआई से बातचीत में कहा कि महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के कुछ कार्यकर्ताओं द्वारा मराठी भाषा को लेकर लोगों पर हमले किए जाने की घटनाएं राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती हैं, और इसके लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को जिम्मेदार ठहराया।
गठबंधन पर सवाल, वैचारिक विरोधी मंजूर नहीं
चव्हाण ने कहा, “कांग्रेस पार्टी ‘इंडिया’ गठबंधन में शिवसेना (UBT) और राकांपा (SP) के साथ है। अगर वे समान विचारधारा वाली किसी अन्य पार्टी को साथ लेना चाहते हैं तो यह उनका निर्णय है।
लेकिन अगर वे उन दलों से गठबंधन करते हैं जो कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष और संविधान आधारित विचारधारा के विरोधी हैं, तो हम उसे स्वीकार नहीं करेंगे।”
स्थानीय चुनावों में अलग रास्ता संभव
चव्हाण ने बताया कि दिल्ली में हाल ही में कांग्रेस की बैठक में उन्होंने यह विचार रखा कि नगर निकाय चुनाव ‘इंडिया’ गठबंधन के साथ मिलकर लड़े जाएं या अलग से।
उन्होंने कहा कि “अतीत में हमने लोकसभा और विधानसभा चुनाव गठबंधन के साथ लड़े थे, लेकिन स्थानीय निकाय चुनाव अलग-अलग लड़े। अगर कांग्रेस मुंबई, पुणे और नागपुर के चुनाव अकेले लड़े, तो इसमें कोई अचरज नहीं होना चाहिए।”
MNS और भाषा विवाद: हिटलर जैसी मानसिकता का आरोप
मीरा-भायंदर में मराठी अस्मिता को लेकर हुए विरोध प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए चव्हाण ने कहा, “यह RSS द्वारा संचालित केंद्र सरकार की नीति है – ‘एक राष्ट्र-एक भाषा’, ‘एक राष्ट्र-एक धर्म’, ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’। यह 1930 के दशक के हिटलर के जर्मनी जैसी मानसिकता है।”
उन्होंने केंद्र पर प्राथमिक कक्षाओं में हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए कहा, “हम हिंदी के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन कक्षा 1 से इसे थोपना गलत है। इससे बच्चों पर भाषा का अनावश्यक बोझ पड़ेगा, शिक्षक और सामग्री की भी कमी है। इससे मातृभाषा और अंग्रेज़ी पर पकड़ कमजोर होगी।”
जनता ने किया विरोध, सरकार ने लिया कदम पीछे
चव्हाण ने कहा कि महाराष्ट्र की जनता ने एक स्वर में इसका विरोध किया, जिसके बाद राज्य सरकार को केंद्र की नीति वापस लेनी पड़ी। “मुख्यमंत्री और सरकार को यह समझ में आ गया कि जनता के विरोध के आगे यह नीति नहीं चल पाएगी।”
उद्धव और राज ठाकरे की संयुक्त रैली पर चव्हाण ने कहा, “अगर दो भाई बीएमसी चुनाव एक साथ लड़ने आते हैं तो यह स्वागत योग्य है। लेकिन कोई भी कानून-व्यवस्था अपने हाथ में नहीं ले सकता।” मीरा-भायंदर की घटना पर उन्होंने कहा, “अब जब सरकार ने आदेश वापस ले लिया है, तब यह प्रदर्शन क्यों? शिवसेना और मनसे को जो चाहिए था वो मिल गया, अब कानून तोड़ने का औचित्य नहीं है।”
चव्हाण ने मुख्यमंत्री फडणवीस पर कटाक्ष करते हुए कहा, “राज्य में बहुदलीय सरकार है, कोई किसी की नहीं सुनता। विधायक और मंत्री CM के आदेश नहीं मानते। फडणवीस केवल अपनी गठबंधन सरकार को बचाने में व्यस्त हैं और मंत्री मनमानी कर रहे हैं।”