IAS पूजा खेडकर मामले में नया खुलासा, मेडिकल कॉलेज ने बताया सर्टिफिकेट का सच

पूजा खेडकर ने ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कोटा का उपयोग करके एमबीबीएस में प्रवेश प्राप्त किया था. लेकिन उसमें विकलांगता का जिक्र नहीं था.

Update: 2024-07-15 12:51 GMT

Controversial Trainee IAS Pooja Khedkar: ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ सत्ता के कथित दुरुपयोग और नियुक्ति के नियमों के उल्लंघन के विवाद के बीच नई खबर सामने आई है. ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, पूजा खेडकर ने ओबीसी नॉन-क्रीमी लेयर कोटा का उपयोग करके एमबीबीएस में प्रवेश प्राप्त किया था. लेकिन उसमें विकलांगता का जिक्र नहीं था.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खेडकर ने कथित तौर पर वंजारी समुदाय के लिए आरक्षित ओबीसी घुमंतू जनजाति-3 श्रेणी के तहत पुणे के काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस के लिए एडमिशन लिया था. उस समय पूजा खेडकर के पिता महाराष्ट्र में नौकरशाह थे.

रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि खेडकर ने निजी कॉलेज की प्रवेश परीक्षा के माध्यम से प्रवेश प्राप्त किया और उनके कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (सीईटी) स्कोर पर विचार नहीं किया गया. हालांकि, काशीबाई नवले मेडिकल कॉलेज के निदेशक अरविंद भोरे ने कहा कि खेडकर ने साल 2007 में सीईटी के माध्यम से प्रवेश लिया था. भोरे ने यह भी दावा किया कि विवादास्पद आईएएस अधिकारी ने एक मेडिकल फिटनेस प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया था, जिसमें किसी भी विकलांगता का जिक्र नहीं था.

भोरे ने न्यूज एजेंसी को बताया कि उन्होंने जाति प्रमाण पत्र, जाति वैधता और गैर-क्रीमी लेयर प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए थे. उन्होंने मेडिकल फिटनेस का प्रमाण पत्र भी प्रस्तुत किया था. हालांकि, उनमें से किसी में भी विकलांगता का जिक्र नहीं है.

बता दें कि पूजा खेडकर की गैर-क्रीमी ओबीसी स्थिति और बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्ति (पीडब्ल्यूबीडी) प्रमाण पत्र जांच के दायरे में हैं. पूजा खेडकर ने अगस्त 2022 में पुणे से पीडब्ल्यूबीडी प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था. लेकिन डॉक्टरों ने यह कहते हुए अनुरोध ठुकरा दिया कि यह संभव नहीं है. उनके पिता और रिटायर्ड नौकरशाह दिलीप खेडकर ने लोकसभा चुनाव लड़ा था और अपने चुनावी हलफनामे में 40 करोड़ रुपये की संपत्ति घोषित की थी. उन्होंने एक मीडिया हाऊस को बताया कि विकलांगता प्रमाण पत्र वैध था. उनकी बेटी को मानसिक बीमारी की एक निश्चित श्रेणी है, जिसे विकलांगता प्रमाण पत्र जारी करने से पहले चिकित्सा पेशेवरों द्वारा सत्यापित किया गया था.

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