क्या AAP के लिए आसान है 2025 की लड़ाई, मनीष सिसोदिया हुए मुखर

आंदोलन के गर्भ से निकली आम आदमी पार्टी की दिल्ली में सरकार है। 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव पर हर किसी की नजर है कि क्या आप वापसी करेगी या मौका किसी और को मिलेगा।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-08-13 03:18 GMT

Delhi Assembly Elections 2025:  सियासत की अपनी भाषा होती है। उस भाषा को जिस दल ने समझा उसकी राह सत्ता तक आसान हो जाती है। यहां पर हम बात आम आदमी पार्टी, दिल्ली सरकार और 2025 में होने वाले विधानसभा चुनाव की करेंगे। पिछले डेढ़ साल से इस पार्टी को दिल्ली एक्साइज स्कैम में मुश्किलों का सामना करना पड़ा है। डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया जब तिहाड़ जेल में दाखिल हुए तो केजरीवाल सरकार पर दबाव बढ़ा और उन्हें इस्तीफा लेना पड़ा। 17 महीने के बाद सिसोदिया की रिहाई हो चुकी है और वो अब दिल्ली की सड़कों पर सक्रिय है। 2025 में एक बार आम आदमी पार्टी की सरकार बनाने का दावा भी कर रहे हैं। लेकिन आप के लिए माहौल क्या 2015, 2020 की तरह है या अब दिल्ली की जनता का मिजाज बदला हुआ है उसे समझने की कोशिश करेंगे। 

70 विधानसभाओं में पैदल मार्च
दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आप अपने अभियान की शुरुआत वरिष्ठ नेता मनीष सिसोदिया के साथ करेगी, जो सभी 70 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं तक पहुंचने के लिए पैदल मार्च निकालेंगे। सिसोदिया ने कहा कि सोमवार को हुई बैठक में दिल्ली विधानसभा चुनाव की तैयारियों पर चर्चा हुई। उन्होंने कहा, "स्वतंत्र भारत के इतिहास में आप पहली पार्टी है, जिस पर लगातार हमले हो रहे हैं। यहां तक ​​कि पार्टी के शीर्ष नेता को भी जेल में डाल दिया गया है। भाजपा के लोग भी सोच रहे होंगे कि स्वतंत्रता सेनानियों के बाद पहली बार ऐसे लोग आए हैं, जो न टूट रहे हैं और न ही झुक रहे हैं।

14 अगस्त से पदयात्रा
बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए आप के संगठन महासचिव पाठक ने कहा कि सिसोदिया हरियाणा में भी पार्टी के लिए प्रचार करेंगे, जहां इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। पाठक ने कहा कि सिसोदिया की पदयात्रा 14 अगस्त को शुरू होगी और यह लोगों को भाजपा की काम में बाधा डालने और उन्हें परेशान करने की "प्रवृत्ति" के बारे में बताएगी। उन्होंने कहा, "बैठक में यह संकल्प लिया गया कि विधानसभा चुनाव भाजपा की आम आदमी पार्टी को तोड़ने की साजिशों को हराने के लिए लड़े जाएंगे। पार्टी को तोड़ना असंभव है।" उन्होंने कहा कि आप तैयार है और दिल्ली के लोग भी भाजपा को सबक सिखाने के लिए तैयार हैं ताकि वह चुनाव जीतने और देश में कहीं और पार्टियों को तोड़ने के लिए "गंदी राजनीति" करने की हिम्मत न कर सके।

 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप ने 70 में से 62 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया। 2015 के चुनाव में पार्टी ने 67 विधानसभा सीटें जीती थीं। इस बार आप भाजपा से मुकाबला करने के लिए कमर कस रही है। केजरीवाल की गिरफ्तारी से आहत पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट से सिसोदिया को जमानत मिलने के बाद बढ़ा है।

राह इतनी आसान नहीं

सवाल यह है कि आम आदमी पार्टी की राह आसान होगी या उलटफेर हो जाएगा। इस विषय पर हमने दिल्ली में रहने वाले लोगों के बात की। मुखर्जी नगर इलाके में रहने वाले गिरधारी लाल मौर्य कहते हैं कि कोई भी दल एंटी इंकम्बैंसी से इनकार नहीं कर सकता। लेकिन अब जनता अपने दिमाग का इस्तेमाल करती है। अगर ऐसा ना होता तो यूपी में योगी आदित्यनाथ, मध्य प्रदेश में बीजेपी की वापसी, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की वापसी यही नहीं केंद्र में मोदी सरकार तीसरी दफा नहीं आते। अगर आप दिल्ली की बात करें तो आम आदमी पार्टी के लोकलुभावन नीतियों से लोगों को राहत तो मिली है। लेकिन आप दिल्ली के हालात को देखिए और उनके वादों पर गौर करिए तो हालात कहां सुधरे हैं। यानी कि जो अव्यवस्था बीजेपी या कांग्रेस के समय में थी आज वो कायम है। 

दिल्ली के ओल्ड राजेंद्र नगर कोचिंग सेंटर को देखिए या पटेल नगल की घटना को लीजिए तो सवाल खड़े होते हैं। यही नहीं आप यमुना नदी की सफाई को देखिए। केजरीवाल जी कहा करते थे कि 2025 तक आचमन कर सकते हैं। लेकिन क्या हुआ। यानी कि आम आदमी पार्टी की सरकार को सिर्फ सत्ता प्राप्ति ही है लिहाजा ये भी अलग नहीं है। ये लोग जब सत्ता में आए तो कुछ अलग करने का वादा किए। हालांकि हुआ क्या। कुछ नहीं बदला। 

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