Delhi Coaching Centre Death: हाई कोर्ट ने CBI को सौंपी जांच, कहा- शुक्र है पानी का नहीं काटा चालान

दिल्ली हाई कोर्ट ने एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में डूबने से यूपीएससी के तीन अभ्यर्थियों की मौत की जांच सीबीआई को सौंप दी. कोर्ट ने कहा कि वह मामले को सीबीआई को सौंप रहे हैं, ताकि लोगों को जांच पर संदेह न हो.

Update: 2024-08-02 12:17 GMT

Delhi Coaching Centre UPSC Student Death: दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी के एक कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में डूबने से यूपीएससी के तीन अभ्यर्थियों की मौत की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी. कोर्ट ने कहा कि वह मामले को सीबीआई को सौंप रहे हैं, ताकि लोगों को जांच पर संदेह न हो. कोर्ट ने इस निर्णय के पीछे घटनाओं की गंभीरता और सरकारी कर्मचारियों द्वारा भ्रष्टाचार की संभावित संलिप्तता को कारण बताया.

पीठ ने कहा कि घटना की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए और यह सुनिश्चित करने के लिए कि लोगों को जांच के संबंध में कोई संदेह न हो, यह कोर्ट जांच को सीबीआई को सौंपता है. दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय सतर्कता आयोग को मामले की सीबीआई जांच की निगरानी के लिए एक वरिष्ठ अधिकारी को नामित करने का भी निर्देश दिया. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पुलिस और एमसीडी को फटकार लगाते हुए कहा कि यह नहीं समझ पा रहा है कि छात्र बाहर कैसे नहीं आ पाए.

पीठ ने पूछा कि एमसीडी अधिकारियों ने क्षेत्र में खराब जल निकासी नालों के बारे में आयुक्त को क्यों नहीं बताया गया. एक्टिंग चीफ जस्टिस मनमोहन और जस्टिस तुषार राव गेडेला की पीठ ने कहा कि एमसीडी अधिकारियों को इसकी कोई परवाह नहीं है और यह एक सामान्य बात हो गई है. कोर्ट ने पुलिस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि शुक्र है कि आपने बेसमेंट में घुसने वाले बारिश के पानी का चालान नहीं काटा, जिस तरह से आपने एसयूवी चालक को वहां कार चलाने के लिए गिरफ्तार किया.

एमसीडी में कानून का कोई सम्मान नहीं

सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस इस स्थिति में मिलीभगत कर सकती है. उन्होंने घटना में एक पुलिस चौकी की संलिप्तता पर प्रकाश डाला. एमसीडी के वकील ने कहा कि राऊ कोचिंग सेंटर को छोड़कर सभी के खिलाफ कार्रवाई की गई है. क्योंकि इसे केस प्रॉपर्टी माना जाता है. कोर्ट ने एमसीडी कमिश्नर से पूछा कि इस बात पर जोर देते हुए कि शहर की उम्मीदें उनके कार्यों पर टिकी हैं. क्या गाद निकालने का काम किया गया है. इसके अलावा कोर्ट ने डीसीपी से पूछा कि क्या जांच अधिकारी (आईओ) ने क्षेत्र की मजबूत जल निकासी के नक्शे एकत्र किए हैं. इस पर डीसीपी ने जवाब दिया कि मामले के संबंध में एमसीडी अधिकारियों को नोटिस जारी किया गया है.

कोर्ट को बताया गया कि जिस क्षेत्र में घटना हुई, वहां जल निकासी व्यवस्था लगभग न के बराबर थी, सड़कें अस्थायी नालियों के रूप में काम कर रही थीं. हाई कोर्ट ने कहा कि निर्दोष लोगों को दंडित करना और वास्तविक दोषियों को मुक्त छोड़ देना घोर अन्याय होगा. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को तथ्यों का स्पष्ट विवरण देने का भी निर्देश दिया, जिसमें कहा गया कि ऐसा न करना अस्वीकार्य होगा और इसे 'भाइयों के क्लब' के दृष्टिकोण के समान बताया.

हाई कोर्ट ने सार्वजनिक प्राधिकरणों की प्रभावशीलता की कमी के लिए आलोचना करते हुए कहा कि सार्वजनिक प्राधिकरण इन दिनों काम नहीं कर रहे हैं. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, यहां तक ​​कि सत्ता में बैठे लोगों को भी जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए. हाई कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को वैज्ञानिक तरीके से जांच करने के लिए भी कहा और उन्हें किसी भी बाहरी दबाव के आगे न झुकने की सलाह दी.

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