कोविड फिर सक्रिय! महामारी की तैयारी पर दिल्ली हाई कोर्ट सख्त
Delhi High Court ने कहा कि केवल समितियां बनाना पर्याप्त नहीं है, जब तक कि उनके कामकाज और निर्णयों पर ठोस कार्रवाई न हो.;
Corona Update: दिल्ली हाई कोर्ट ने हाल ही में टिप्पणी की कि अगली कोविड महामारी अभी खत्म नहीं हुई है, बल्कि समाज में सक्रिय रूप से मौजूद है. कोर्ट ने इस संदर्भ में केंद्र सरकार से सैंपल कलेक्शन, टेस्टिंग सेंटर्स और ट्रांसपोर्ट प्रोटोकॉल को लेकर तैयारियों की जानकारी मांगी है. जस्टिस गिरीश कथपालिया ने कहा कि भले ही अदालत को भरोसा है कि उचित कदम उठाए जा रहे होंगे. लेकिन इन सभी उपायों और प्रोटोकॉल को रिकॉर्ड पर लाना जरूरी है.
कोविड अब भी मौजूद
28 मई को दिए आदेश में हाई कोर्ट ने कहा कि समाचार रिपोर्टों के अनुसार, कोविड-19 वर्तमान में समाज में सक्रिय है. ऐसे में 30 मई 2023 की बैठक के बाद उठाए गए कदमों में अगर कोई भी कमी रही तो यह एक गंभीर मामला है. कोर्ट ने मामले की तात्कालिकता को रेखांकित करते हुए कहा कि स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SoP) जल्द से जल्द तय किए जाएं और सुनिश्चित किया जाए कि पिछली बैठक में लिए गए निर्णयों पर कार्रवाई पूरी हो.
अवमानना याचिका पर सुनवाई
कोर्ट यह टिप्पणी डॉ. रोहित जैन द्वारा दायर की गई अवमानना याचिका पर सुनवाई के दौरान कर रहा था. डॉ. जैन ने आरोप लगाया कि हाई कोर्ट के 27 जनवरी 2023 के आदेश का पालन नहीं किया गया, जिसमें केंद्र सरकार को निर्देश दिया गया था कि वह कोविड सैंपल कलेक्शन और ट्रांसपोर्ट के लिए न्यूनतम मानकों को तय करे.
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने पहले उनकी याचिका को यह कहते हुए निपटा दिया था कि इसे एक अभ्यावेदन के रूप में माना जाए और केंद्र सरकार इसे 12 हफ्तों में तय करे। डॉ. जैन ने कोर्ट को बताया कि अब तक इस मुद्दे पर कोई दिशानिर्देश तैयार नहीं किए गए हैं.
छह हफ्ते में मांगी स्टेटस रिपोर्ट
कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता मोनिका अरोड़ा को निर्देश दिया कि वे संबंधित अधिकारियों को अदालत के निर्देशों से अवगत कराएं और 6 सप्ताह के भीतर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करें. अगली सुनवाई की तारीख 18 जुलाई तय की गई है.
विशेषज्ञ समितियों का गठन
सरकार की ओर से जानकारी दी गई कि 30 मई 2023 को स्वास्थ्य सेवाओं के अतिरिक्त महानिदेशक की अध्यक्षता में बैठक हुई थी, जिसमें याचिकाकर्ता को भी आमंत्रित किया गया था. इस बैठक में पैथोलॉजी, बायोकैमिस्ट्री, हीमेटोलॉजी और माइक्रोबायोलॉजी के विशेषज्ञों की चार उप-समितियाँ गठित करने का निर्णय लिया गया था, जिन्हें सैंपल कलेक्शन, सैंपल सेंटर्स और ट्रांसपोर्ट पॉलिसी के लिए SoP तैयार करने का कार्य सौंपा गया. इन SoP में सैंपल स्टोरेज स्टैंडर्ड्स को भी शामिल किया जाना था. लेकिन अदालत ने टिप्पणी की कि बैठक के मिनट्स या प्रगति पर अब तक कोई रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई है.
सिर्फ समिति बनाने से काम नहीं चलेगा— कोर्ट
कोर्ट ने कहा कि केवल समितियां बनाना पर्याप्त नहीं है, जब तक कि उनके कामकाज और निर्णयों पर ठोस कार्रवाई न हो. इसलिए अदालत ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्र से स्पष्ट रिपोर्ट मांगी है.