'आप की ईमानदारी पर शक', कैग रिपोर्ट में देरी को लेकर हाई कोर्ट की दिल्ली सरकार को फटकार
AAP government: भाजपा विधायकों की याचिका पर सुनवाई कर रहे जस्टिस सचिन दत्ता ने कहा कि राज्य सरकार को कैग रिपोर्ट को चर्चा के लिए सदन के सामने तुरंत रखना चाहिए था.;
Delhi High Court: दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार को हाई कोर्ट से फटकार सुननी पड़ी है. यह फटकार कैग रिपोर्ट को लेकर लगाई गई है. दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने कहा कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट सदन के पटल पर नहीं रखना पड़े. इसलिए दिल्ली सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने से अपने पैर पीछे खींच लिए. इतना ही नहीं हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की ईमानदारी पर शक भी जताया है.
दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कैग (CAG) रिपोर्ट पर विधानसभा में चर्चा में देरी को लेकर आप (AAP) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार को फटकार लगाई. बता दें कि बीजेपी ने कैग रिपोर्ट का हवाला देते हुए दावा किया है कि शराब नीति घोटाले से दिल्ली को 2026 करोड़ रुपये का राजस्व घाटा हुआ और AAP के कई नेताओं को रिश्वत मिली. ऐसे में जस्टिस सचिन दत्ता की सिंगल-जज बेंच ने कैग रिपोर्ट को लेकर आप सरकार को फटकार लगाई. जस्टिस दत्ता ने कहा कि आपकी ईमानदारी पर शक होता है. सरकार को सदन के समक्ष चर्चा के लिए कैग रिपोर्ट को तुरंत रखना चाहिए था.
जस्टिस दत्ता ने कहा कि जिस तरह से आपने अपने कदम पीछे खींचे हैं, उससे आपकी ईमानदारी पर संदेह पैदा होता है. आपको तुरंत रिपोर्ट स्पीकर को भेजनी चाहिए थी और सदन में चर्चा करानी चाहिए थी. समयसीमा बहुत बड़ी है. देखिए जिस तरह से आप अपने कदम पीछे खींच रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है.
अदालत (Delhi High Court) को दिए गए अपने जवाब में दिल्ली सरकार ने सवाल किया कि चुनाव आने वाले हैं. ऐसे में विधानसभा सत्र कैसे आयोजित किया जा सकता है. पिछली सुनवाई में, दिल्ली विधानसभा सचिवालय ने अदालत को बताया कि शहर प्रशासन पर कैग रिपोर्ट को विधानसभा में पेश करने से कोई फायदा नहीं होगा. क्योंकि विधानसभा का कार्यकाल फरवरी में समाप्त हो रहा है.
विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और भाजपा विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल कुमार बाजपेयी और जितेंद्र महाजन ने पिछले साल याचिका दायर की थी और कैग रिपोर्ट को पेश करने के उद्देश्य से विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए स्पीकर को निर्देश देने की मांग की थी.
राजनीतिक प्रकृति
सुनवाई के दौरान जस्टिस दत्ता ने कहा कि विधानसभा सत्र बुलाना स्पीकर का विशेषाधिकार है और पूछा कि क्या अदालत स्पीकर को ऐसा करने का निर्देश दे सकती है, खासकर जब चुनाव नजदीक हों. सरकार के वरिष्ठ वकील ने याचिका की "राजनीतिक" प्रकृति के संबंध में आपत्ति जताई और आरोप लगाया कि एलजी कार्यालय ने रिपोर्ट को सार्वजनिक किया है और इसे अखबारों के साथ शेयर किया है. कोर्ट (Delhi High Court) ने पूछा कि इससे क्या फर्क पड़ता है?" गुप्ता के वकील ने तर्क दिया कि यह मुद्दा राजनीतिक नहीं है, बल्कि सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने से जुड़ा है और चुनाव की घोषणा से पहले इसे सुलझा लिया जाना चाहिए.