दिवाली के बाद भी नहीं सुधरी हवा, सियासत ने भी पकड़ी रफ्तार

दिवाली के बाद दिल्ली की हवा बेहद जहरीली हो गई है। AQI 400 पार, वजीरपुर सबसे प्रदूषित इलाका, जबकि NCR के कई शहर भी रेड जोन में शामिल हैं।

Update: 2025-10-22 01:23 GMT

दिवाली की रात छोड़े गए पटाखों का असर अभी तक दिल्ली की हवा से खत्म नहीं हुआ है। राजधानी में बुधवार सुबह भी घना धुआं और धुंध छाया रहा, जिससे दृश्यता काफी कम हो गई। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) अभी भी खतरनाक स्तर यानी ‘रेड जोन’ में बना हुआ है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, राजधानी के ज्यादातर इलाकों में वायु गुणवत्ता बेहद खराब श्रेणी में दर्ज की गई है।

सुबह 5 बजे तक मिले आंकड़ों के अनुसार, वजीरपुर में प्रदूषण का स्तर सबसे ज्यादा जबकि आईजीआई एयरपोर्ट इलाके में सबसे कम दर्ज हुआ। वजीरपुर का AQI 405 रहा, जो गंभीर स्तर पर है।

NCR में भी बिगड़ी हवा

दिल्ली से सटे इलाकों में भी स्थिति चिंताजनक है। नोएडा में AQI 295, फरीदाबाद में 258 और गुरुग्राम में 394 दर्ज किया गया। वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) ने मंगलवार को चेतावनी दी थी कि उत्तरी भारत में हवा की गुणवत्ता तेजी से बिगड़ रही है। प्रमुख प्रदूषक PM2.5 कणीय पदार्थ बना हुआ है, जिसने पूरे क्षेत्र की हवा को विषैला बना दिया है।

दिल्ली के प्रमुख इलाकों में सुबह 5 बजे का AQI

वजीरपुर- 405

रोहिणी- 383

आरके पुरम- 377

आनंद विहार- 364

अशोक विहार- 387

आईटीओ- 360

जेएलएन स्टेडियम- 347

इंडिया गेट- 332

पूसा-351

आईजीआई एयरपोर्ट- 270

यह मौसम का पहला स्मॉग एपिसोड

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) के अनुसार, “दिल्ली-एनसीआर में पटाखों की वजह से इस मौसम का पहला स्मॉग एपिसोड देखने को मिला। दिवाली के बाद 20 अक्टूबर की रात प्रदूषण का स्तर आठ गुना बढ़ गया। खेतों की आग का योगदान बहुत कम (1-2%) था, लेकिन हवा की धीमी गति ने प्रदूषकों को फैलने नहीं दिया।

उन्होंने कहा कि आने वाले महीनों में केवल अस्थायी कदम नहीं, बल्कि दीर्घकालिक नीतिगत कार्रवाई की जरूरत होगी ताकि प्रदूषण के स्रोतों पर नियंत्रण पाया जा सके।

हवा में ज़हर: PM2.5 स्तर 675 तक पहुंचा

पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, दिवाली की रात PM2.5 का स्तर 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया, जो पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक है। 2024 में यह 609, 2023 में 570 और 2022 में 534 था। विशेषज्ञों का कहना है कि बंगाल की खाड़ी में बने डिप्रेशन के कारण हवा की गति कम हो गई, जिससे प्रदूषक लंबे समय तक हवा में तैरते रहे।

ध्वनि प्रदूषण भी चरम पर

दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) के आंकड़ों के मुताबिक, 26 में से 23 नॉइज मॉनिटरिंग स्टेशन पर आवाज की तीव्रता सीमा से ऊपर दर्ज हुई। करोल बाग में रात 11 बजे 93.5 डेसिबल(A) शोर दर्ज हुआ, जबकि अनुमति केवल 55 डेसिबल(A) की है। यहां तक कि साइलेंस जोन जैसे श्री औरोबिंदो मार्ग पर भी 65 डेसिबल(A) तक शोर दर्ज हुआ।

GRAP-II लागू, सुधार की उम्मीद

CAQM ने GRAP-II चरण को सक्रिय कर दिया है। आंकड़ों के अनुसार, प्रदूषण में परिवहन का योगदान 14.6%, नोएडा का 8.3%, गाजियाबाद का 6%, गुरुग्राम का 3.6% और पराली जलाने का लगभग 1% है। पूर्व सीपीसीबी अधिकारी दीपांकर साहा का मानना है कि हवा की रफ्तार बढ़ने पर अगले कुछ दिनों में राहत मिल सकती है।

सियासत भी गरमाई

वायु प्रदूषण को लेकर दिल्ली की सियासत भी तेज हो गई है। पर्यावरण मंत्री मंजींदर सिंह सिरसा ने AAP सरकार पर आरोप लगाया कि वह पंजाब के किसानों को पराली जलाने के लिए उकसा रही है। जवाब में AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने सिरसा को अनपढ़ कहते हुए पलटवार किया और कहा कि “पंजाब का AQI सिर्फ 156 है, जिससे साफ है कि दिल्ली की हवा खराब होने की वजह कुछ और है। दिवाली के बाद दिल्ली एक बार फिर गैस चैंबर में बदल गई है। प्रदूषण के आंकड़े चेतावनी दे रहे हैं कि अगर अब भी ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो सर्दियों के दौरान हालात और भयावह हो सकते हैं।

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