नेत्रवती के किनारे दफन सच, धर्मस्थला में न्याय की पुकार
कर्नाटक का धर्मस्थला, श्रद्धा का प्रतीक अब हत्या व बलात्कार के खुलासों से संकट में है। SIT जांच जारी है, लेकिन श्रद्धालुओं का विश्वास डगमगाया है।;
कर्नाटक का प्रसिद्ध तीर्थस्थल धर्मस्थला, जो अब तक श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक माना जाता था, अब एक गहरे और भयावह विवाद के केंद्र में है। नेत्रवती नदी के सुरम्य तट पर बसा यह नगर सदियों से श्री मंजनाथ मंदिर के कारण प्रसिद्ध है, जो एक शैव मंदिर है, लेकिन इसे हेग्गड़े जैन परिवार द्वारा संचालित किया जाता है। इस मंदिर में शिव के रूप में पूजे जाने वाले देवता का मूल रूप संभवतः बौद्ध परंपरा से जुड़ा माना जाता है जिसे इतिहासकार मनजुघोषा, एक वज्रयान बौद्ध देवता, के रूप में पहचानते हैं।
इतिहास की गहराइयों में धर्मस्थला
डॉ. पुरुषोत्तम बिलीमले, जेएनयू के पूर्व प्रोफेसर और कन्नड़ विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष, बताते हैं कि 4वीं शताब्दी में कर्नाटक के तटीय क्षेत्र में बौद्ध धर्म के प्रसार के समय मनजुघोषा की प्रतिमा कदरी से लाकर धर्मस्थला में स्थापित की गई थी। बाद में 6वीं-7वीं शताब्दी में जब शैव धर्म का प्रभाव बढ़ा, तब कई बौद्ध स्थलों को शैव मंदिरों में बदला गया। 9वीं शताब्दी आते-आते जैन धर्म का प्रभाव भी अत्यधिक बढ़ा और धार्मिक प्रशासनिक ढांचे पर उनका वर्चस्व बन गया। धर्मस्थला आज इन्हीं तीन धाराओं बौद्ध, शैव और जैन का संगम है।
आस्था के साथ-साथ सेवा
यह मंदिर न केवल भक्ति का केंद्र रहा है, बल्कि सामूहिक विवाह, ऋण सहायता, और शिक्षा संस्थानों जैसे सेवा कार्यों के लिए भी प्रसिद्ध है। यहां प्रतिवर्ष महाशिवरात्रि पर लाखों श्रद्धालु आते हैं, जिनमें से हजारों पैदल यात्रा कर पहुंचते हैं। लेकिन 2012 में एक घटना ने इस भक्ति के केंद्र को हिला दिया।
सौजन्या हत्याकांड में खुलासा
9 अक्टूबर 2012 को 17 वर्षीय सौजन्या का बलात्कार और हत्या ने धर्मस्थला की छवि को हमेशा के लिए बदल दिया। एकमात्र आरोपी संतोष राव सबूतों के अभाव में बरी हो गया, जिससे आक्रोश भड़क उठा। इसके बाद पुराने कई मामलों की भी परतें खुलने लगीं। वेदावली, नारायण, यमुना, अनन्या भट्ट, पद्मलता जैसे कई नामों के पीछे बलात्कार और हत्या की कहानियाँ जुड़ी पाई गईं।
4 जुलाई 2025 को धर्मस्थला के एक पूर्व सफाई कर्मचारी ने सनसनीखेज खुलासा किया कि 1995 से 2014 के बीच उसने सैकड़ों शव जिनमें कई युवतियाँ और नाबालिग लड़कियां थीं चुपचाप दफनाए। इन शवों में कई नग्न या अर्धनग्न थीं, जिनपर यौन उत्पीड़न और हिंसा के स्पष्ट निशान थे। जब उसने यह बात उच्चाधिकारियों को बताई, तो उसे चुप रहने को कहा गया और विरोध करने पर पीटा गया। उसे धमकी दी गई और अंततः उसे इन शवों को गुप्त रूप से नेत्रवती नदी के तटों, जंगलों और खुले इलाकों में दफनाना पड़ा।
SIT की जांच और श्रद्धालुओं में डर
19 जुलाई 2025 को सरकार ने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया, जो इन घटनाओं की तह तक जाने के लिए काम कर रहा है। लेकिन तब तक, धर्मस्थला की छवि को गहरा आघात पहुंच चुका था। मंदिर प्रशासन के एक कर्मचारी ने स्वीकार किया कि जहां पहले प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते थे, अब उनकी संख्या कुछ सैकड़ों तक सिमट गई है। Mondays को, जब घंटों लाइन में लगकर भगवान मंजनाथ के दर्शन होते थे, अब केवल 10–15 मिनट में दर्शन मिल जाते हैं।
स्थानीय लोग चुप्पी साधे हुए हैं। कुछ मंदिर कर्मचारी आषाढ़ मास को कारण बताते हैं, लेकिन असलियत किसी से छिपी नहीं। शरण पाटिल, एक श्रद्धालु, कहते हैं कि ये अपराध कुछ व्यक्तियों के हैं इसका ईश्वर से कोई लेना-देना नहीं। हमें दर्शन करना नहीं छोड़ना चाहिए।”
स्थानीय लोगों की पीड़ा और डर
मंजेश, धर्मस्थला के एक होटल कर्मचारी, कहते हैं "कुछ लोगों की गलती की सजा पूरे शहर को मिल रही है। अब लोग बाहर वालों से बात करने से डरते हैं।" एक निवासी प्रकाश (बदला हुआ नाम) ने बताया कि गांव वाले इस डर में जी रहे हैं कि कहीं उनके खेतों में कोई शव न दफन हो। पुलिस की पूछताछ का डर भी है। आसपास के गांव पुडुवेट्टू, कलेरी, कन्याडी, और बोल्यार घने जंगलों से घिरे हैं, जहां SIT द्वारा खोज की जा रही है।
पीड़ित परिवारों की पुकार
कुसुमावती, सौजन्या की माँ, ने कहा, अगर न्याय मिला, तो बेटी की समाधि पर मंदिर बनाएंगे। आज भी वे हर दिन बेटी की तस्वीरों को देखकर शांति पाती हैं। उनके पति कहते हैं कि जिन लोगों को अंतिम बार साउजन्या के आसपास देखा गया, उनकी सही तरीके से जांच नहीं हुई।
चंद्रावती, पद्मलता की बहन, जिनकी बहन कॉलेज से लौटते समय लापता हो गई थी, SIT से मांग कर रही हैं कि उनकी बहन का केस भी जांच में शामिल किया जाए।अनन्या भट्ट, एक एमबीबीएस छात्रा, मंदिर दर्शन के दौरान गायब हो गई थी। उनकी मां सुजाता भट्ट कहती हैं, कम से कम उसकी हड्डियां मिल जाएं, ताकि अंतिम संस्कार कर सकूं।
नारायण सपल्या (62) और उनकी बहन यमुना (45) की हत्या कर दी गई थी। रिश्तेदार गणेश कहते हैं कि उनके पुरखों की 400 साल पुरानी जमीन पर कब्जा करने के लिए यह हत्या की गई। अब परिवार बेल्थंगडी के पास शरण लिए हुए है और न्याय की उम्मीद छोड़ चुका है।
न्याय की राह कठिन
इस पूरे प्रकरण ने धर्मस्थला के प्रति श्रद्धा को गंभीर चुनौती दी है। SIT ने अब तक whistleblower द्वारा बताई गई 15 जगहों की पहचान की है, जहां शव दफन होने की आशंका है। स्थानीय और बाहरी लोगों के बीच भरोसे की दीवार टूट चुकी है। लेकिन कई सामाजिक कार्यकर्ता, जैसे कि सोमनाथ नायक और एस. बालन, मानते हैं कि यह लड़ाई मंदिर के खिलाफ नहीं, बल्कि न्याय के लिए है।
बालन कहते हैं कि यह तीर्थ अब श्रद्धा से ज्यादा श्रापित सत्य का प्रतीक बनता जा रहा है। श्रद्धालुओं का विश्वास टूट रहा है, और यहां के लोग एक सामंती व्यवस्था के शिकार हैं।”
धर्मस्थला की आध्यात्मिक गरिमा संकट में
आज धर्मस्थला पर आस्था, डर और न्याय की उम्मीद के बीच संघर्ष चल रहा है। क्या यह पवित्र तीर्थस्थल कभी फिर से अपने पुराने सम्मान को पा सकेगा? क्या पीड़ितों को न्याय मिलेगा? और क्या श्रद्धालुओं का टूटा विश्वास फिर से बहाल हो सकेगा?यह सब इस बात पर निर्भर करता है कि SIT कितनी ईमानदारी से काम करती है और कितनी जल्दी धर्मस्थला की दबी हुई सच्चाइयों को उजागर कर पाती है।