44 साल बाद सुनाई जाएगी सजा, क्या था यूपी का दिहुली कांड?

18 नवंबर 1981 को यूपी के मैनपुरी जिले के दिहुली गांव में डाकुओं ने 24 लोगों को गोली मार दी थी। डाकुओं को गांव वालों पर मुखबिरी का शक था।;

Update: 2025-03-18 03:32 GMT

Dihuli Case:  44 साल पहले की वो घटना आज भी मैनपुरी जिले के दिहुली गांव के लोगों को याद है। घटना का जिक्र करते हुए लोग कहते हैं कि मंजर याद कर रूह कांप जाती है। तारीख 18 नवंबर थी। ठंड की वजह से सन्नाटा पसरा हुआ था। एकाएक डाकुओं का एक गैंग (राधे संतोषा) गांव में दाखिल होता। माइक के जरिए कहता है कि इस गांव के लोगों ने मुखबिरी की है। पुलिस को उनके ठिकानों के बारे में जानकारी दी है। जिन लोगों ने इस हरकत को अंजाम दिया है, उसे नतीजे भुगतने होंगे। इस ऐलान के साथ ही 24 लोगों को गोली मार दी जाती है। 

जसराना थाना क्षेत्र के गांव दिहुली में हुए 44 वर्ष पुराने सामूहिक नरसंहार मामले में अदालत ने तीन लोगों को हत्या और अन्य गंभीर अपराधों का दोषी करार दिया है। आज कोर्ट द्वारा सजा सुनाए जाने की उम्मीद है।

कोर्ट के फैसले पर गांव में खुशी

कोर्ट के फैसले से गांव में रहने वाले दलित समाज के लोगों ने खुशी जाहिर की और होली खेलकर जश्न मनाया। गांव के भूप सिंह और छोटे सिंह ने कहा कि जिस निर्दयता से हत्यारों ने दलित समाज के लोगों की हत्या की थी, उसी तरह से उन्हें कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने दोषियों के लिए फांसी की मांग की।

डकैतों के हमले में 24 की मौत, 9 घायल

18 नवंबर 1981 को कुख्यात डकैत राधे-संतोषा और उसके गिरोह ने मुखबिरी का आरोप लगाते हुए गांव में तांडव मचाया था। डकैतों ने दलित समाज के 24 लोगों की गोलियों से हत्या कर दी थी, जबकि 9 लोग गंभीर रूप से घायल हुए थे। घटना के बाद पुलिस ने मामले की विवेचना कर चार्जशीट दाखिल की, लेकिन मुकदमे की प्रक्रिया के दौरान कई आरोपी मौत के शिकार हो गए।

कोर्ट ने तीन को दोषी ठहराया, एक भगोड़ा घोषित

अदालत ने तीन अभियुक्तों को हत्या सहित गंभीर धाराओं में दोषी ठहराया है, जबकि एक आरोपी को भगोड़ा घोषित किया गया है। पुलिस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए है। ग्रामीणों ने आशा जताई कि दोषियों को फांसी की सजा मिलेगी, जिससे न्याय की उम्मीद पूरी हो सके।

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