बिहार में 1 लाख लापता मतदाता, 55 लाख मृत या दोहराए गए, SIR में बचे दो दिन

बिहार में विशेष मतदाता पुनरीक्षण अभियान में 56 लाख मतदाता फर्जी या दोहराए गए मिले। 1 लाख लापता। EC का दावा है कि 98% मतदाता सत्यापन पूरा किया गया है।;

Update: 2025-07-24 01:49 GMT
बिहार में वोटर लिस्ट सत्यापन की अंतिम तारीख 25 जुलाई है।

Bihar Voter List Verification:  बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच निर्वाचन आयोग (EC) ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। मतदाता गणना फॉर्म भरने की अंतिम तारीख से महज दो दिन पहले आयोग ने कहा है कि करीब 56 लाख मतदाता या तो मृत हैं, स्थायी रूप से पलायन कर चुके हैं, या कई जगहों पर एक साथ दर्ज हैं। इनमें से एक लाख मतदाता पूरी तरह 'लापता' हैं, जिन्हें ढूंढा नहीं जा सका।

यह संख्या जून 24, 2025 तक बिहार के कुल 7.9 करोड़ मतदाताओं में से लगभग 7% है। निर्वाचन आयोग के अनुसार, ये मतदाता गलत रूप से शामिल किए गए मतदाता हैं, जो आगामी चुनावों में बोगस वोटिंग (फर्जी मतदान) का खतरा पैदा कर सकते थे।

 कौन हैं ये 56 लाख गलत मतदाता?

निर्वाचन आयोग के मुताबिक इन 56 लाख में से 55 लाख या तो मृत हैं, बिहार से स्थायी रूप से बाहर जा चुके हैं, या अन्य स्थानों पर दोबारा दर्ज हैं।जबकि एक लाख मतदाता ऐसे हैं जिन्हें खोजा नहीं जा सका, यानी वे अस्तित्व में ही नहीं हैं।

आयोग को आशंका है कि ये लापता मतदाता अवैध प्रवासी हो सकते हैं जो बंगाल जैसे सीमावर्ती राज्यों में रह रहे हैं, लेकिन किसी भ्रष्ट व्यवस्था या पर्याप्त जांच की कमी के चलते बिहार की मतदाता सूची में नाम दर्ज करा चुके हैं।

ड्राफ्ट मतदाता सूची से बाहर होंगे ये नाम

निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया कि यह पूरी 56 लाख की संख्या 1 अगस्त को प्रकाशित होने वाली ड्राफ्ट मतदाता सूची में शामिल नहीं होगी। इसका उद्देश्य आगामी चुनाव में फर्जी वोटिंग की आशंका को समाप्त करना है।

 98% मतदाताओं का सत्यापन पूरा

इस बीच, बुधवार को आयोग ने जानकारी दी कि अब तक बिहार के 98% से अधिक मतदाताओं का सत्यापन पूरा किया जा चुका है। शेष कार्य फॉर्म जमा करने की अंतिम तिथि तक (दो दिन शेष) पूरा कर लिया जाएगा।

मतदाता सूची की शुद्धता पर ज़ोर

यह कदम बिहार में स्वच्छ और निष्पक्ष चुनाव कराने की दिशा में एक बड़ा प्रयास माना जा रहा है। आयोग अब ऐसे मतदाताओं को हटाकर यह सुनिश्चित करना चाहता है कि मतदाता सूची में सिर्फ वास्तविक और जीवित नागरिक ही दर्ज हों। चुनाव पूर्व मतदाता सूचियों की इस प्रकार की सफाई, विशेषकर इतने बड़े पैमाने पर, बिहार जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील राज्य में बोगस वोटिंग पर रोक लगाने में अहम भूमिका निभा सकती है।

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