बिहार 'SIR' का ड्रॉफ्ट जारी, संसद में विपक्षी दलों का हंगामा
चुनाव आयोग ने बिहार में संशोधित वोटर लिस्ट का ड्राफ्ट जारी कर दिया गया है। इसमें 65 लाख नाम हटाए गए हैं। विपक्ष ने इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए संसद में हंगामा किया।;
चुनाव आयोग ने बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया के बाद 1 अगस्त को संशोधित मतदाता सूची का ड्राफ्ट जारी कर दिया है। राज्य के सभी 38 जिलों में जिला निर्वाचन अधिकारियों (DEO) द्वारा मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को इसकी डिजिटल और फिजिकल प्रतियां सौंपी गई हैं। आयोग ने यह ड्राफ्ट सूची अपनी आधिकारिक वेबसाइट https://voters.eci.gov.in पर भी अपलोड कर दी है।अब कोई भी मतदाता दोपहर तीन बजे से वेबसाइट पर जाकर अपना नाम देख सकता है और यदि नाम नहीं मिला, तो 1 अगस्त से 1 सितंबर के बीच आपत्ति दर्ज करा सकता है।
65 लाख मतदाता ड्राफ्ट से बाहर
चुनाव आयोग के अनुसार, बिहार में 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से 7.24 करोड़ ने अपने गणना फॉर्म जमा कर दिए, यानी करीब 91.69% भागीदारी रही। इसका अर्थ है कि लगभग 65 लाख मतदाताओं के नाम 1 अगस्त को जारी मसौदा सूची से हटा दिए गए हैं।
इन नामों को हटाने के पीछे की प्रमुख वजहें हैं –
मतदाता की मृत्यु
स्थायी स्थानांतरण
एक से अधिक स्थानों पर पंजीकरण
1 अगस्त से दावे और आपत्तियों का मौका
मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने बताया कि 1 अगस्त से 1 सितंबर तक सभी मतदाताओं और राजनीतिक दलों को सूची में नाम जोड़ने, हटाने या सुधार के लिए फॉर्म 6 के माध्यम से आवेदन करने का अवसर दिया जाएगा।18 वर्ष की आयु पूरी कर चुके नए युवा मतदाताओं के लिए राज्यव्यापी अभियान भी शुरू किया जाएगा ताकि कोई भी योग्य नागरिक मतदाता सूची से वंचित न रह जाए।
SIR को लेकर विपक्ष का विरोध, संसद में हंगामा
एसआईआर प्रक्रिया पर इंडिया ब्लॉक ने जोरदार विरोध किया है। विपक्षी दलों ने इसे ‘NRC का पिछला दरवाज़ा’ करार दिया और सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती दी है।कांग्रेस की प्रियंका गांधी, डीएमके के ए. राजा, और राजद की मीसा भारती सहित कई विपक्षी सांसदों ने संसद परिसर में तख्तियों और पोस्टरों के साथ विरोध प्रदर्शन किया, जिन पर लिखा था "SIR लोकतंत्र पर वार"।लोकसभा में भी इस मुद्दे को लेकर भारी हंगामा हुआ, जिसके चलते कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
SIR का आगाज और अगला कदम
24 जून: SIR प्रक्रिया शुरू
1 अगस्त: ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी
1 अगस्त – 1 सितंबर: दावे और आपत्तियों की प्रक्रिया
30 सितंबर: अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन
बिहार की मतदाता सूची में व्यापक फेरबदल और उसे लेकर उभरे विवाद ने राज्य में चुनावी माहौल को गरमा दिया है। जहां आयोग इसे पारदर्शिता और पंजीकरण में शुद्धता की प्रक्रिया बता रहा है, वहीं विपक्ष इसे जनतंत्र पर हमला करार दे रहा है। अब देखना होगा कि 30 सितंबर को प्रकाशित होने वाली अंतिम मतदाता सूची में क्या बदलाव सामने आते हैं।