पूजा खेडकर के बाद अब एक्स IAS अभिषेक सिंह भी चर्चा में, क्या है मामला
महाराष्ट्र में ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर इन दिनों चर्चा में हैं. वहीं यूपी से नाता रखने वाले एक और आईएएस अभिषेक सिंह चर्चा में हैं जो कि अब पूर्व हो चुके हैं.
Abhishek Singh IAS News: ट्रेनी आईएएस अफसर पूजा खेडकर चर्चा में हैं. चर्चा की वजह ऑडी कार पर लाल नीली बत्ती लगवाने का। पुणे में कलेक्टरेट स्थित एक अधिकारी के कमरे पर कज्बा करने का यही नहीं आरोप यह भी फर्जी जाति प्रमाण पत्र और मेडिकल सर्टिफिकेट के बाद आईएएस बन बैठीं। इसके साथ ही एक और आईएएस अधिकारी चर्चा में है। नाम अभिषेक सिंह ये यूपी के जौनपुर के रहने वाले हैं. हालांकि अब ये पूर्व आईएएस हो चुके हैं. अभिषेक सिंह ने प्रशासनिक सेवा के साथ एक्टिंग में हाथ आजमाए। सियासी पिच पर भी किस्मत आजमा रहे हैं.हालांकि इनके मेडिकल सर्टिफिकेट को लेकर सवाल उठ रहा है। दरअसल हाल ही में वो एक जिम में एक्सरसाइज और डांस करते नजर आए थे। सवाल यह है कि इसमें परेशानी वाली बात क्या है। सोशल मीडिया पर सवाल उठ रहा है कि जब वो लोकोमोटर डिस्एबिलिटी के शिकार हैं तो डांस और जिम कैसे कर सकते हैं।
2011 बैच के आईएएस रहे हैं अभिषेक
अभिषेक सिंह - 2011 बैच के आईएएस अधिकारी जिन्होंने पिछले साल अभिनेता बनने के लिए इस्तीफा दे दिया था - सोशल मीडिया पर उनके डांस और जिम वीडियो वायरल होने के बाद आलोचनाओं का सामना कर रहे हैं।अभिषेक सिंह द्वारा साझा किए गए वीडियो पर कई उपयोगकर्ताओं ने टिप्पणी की, नौकरशाही चयन प्रक्रिया में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की।अभिषेक सिंह ने यूपीएससी चयन प्रक्रिया में रियायतें पाने के लिए लोकोमोटर विकलांगता का दावा किया।आरोपों का जवाब देते हुए, श्री सिंह ने कहा कि उन्हें आरक्षण का समर्थन करने के लिए निशाना बनाया जा रहा है।
एक्स पर अभिषेक ने क्या कहा
वैसे तो मुझे किसी आलोचना से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, पर ये मेरे जीवन काल में पहली बार है जब मैं अपने आलोचकों को जवाब दे रहा हूँ। और वो इसलिए क्योंकि मेरे हज़ारो समर्थक मुझसे कह रहे हैं कि आप जवाब दें नहीं तो हमारा मनोबल टूट जाएगा।अतः ये मेरा नैतिक कर्तव्य है कि मैं सच्चाई सामने रखूँ जिससे उनका भरोसा ना टूटे। तो ये जवाब मेरे समर्थकों को समर्पित है ना कि आलोचकों को।
जबसे मैंने आरक्षण के पक्ष में आवाज़ उठाना शुरू किया है, आरक्षण विरोधियों की पूरी सेना ने सब काम छोड़कर मुझपे मोर्चा खोल दिया है। उनको यह बात हज़म नहीं हो रही कि एक जनरल कैटेगरी का लड़का आरक्षण के पक्ष में कैसे बोल रहा है?पहले तो आपने मेरी कास्ट पर ही सवाल उठाया और कहा कि मैं झूठा सिंह हूँ, फिर आपने कहा कि मैं अपनी नौकरी वापिस माँग रहा हूँ, और अब कह रहे हैं कि मैंने नौकरी आरक्षण से ली है।मैं आपसे बड़ी विनम्रता पूर्वक एक बात कहना चाहता हूँ। अभिषेक सिंह अपने पुरुषार्थ, कर्मठता और साहस के लिए जाना जाता है। किसी की कृपा के लिए नहीं। मैंने अपने जीवन में जो कुछ हासिल किया है अपने दम पर हासिल किया है, किसी आरक्षण के दम पर नहीं।
देश की सर्वोच्च सेवा में सेलेक्शन लेना, उसमें निर्भीक निडर बिना किसी का दबाव माने ईमानदारी से कार्य करना, और अपनी मर्ज़ी से उसे छोड़ दोबारा शून्य से शुरुआत करना। जब भविष्य अंधकार में छुपा हो तब भी उसमें सूरज ढँढने का हौसला लिए, आँखों में अनगिनत सपने लिए, अपने दम पर आगे बढ़ जाना, साहब इसके लिए चट्टान का कलेजा चाहिए।
आरोपों का दिया जवाब
मैंने अब तक के जीवन में जो भी ठाना है, वो पाया है अपनी मेहनत और लगन से। तो अब जब बात छेड़ ही दी है, तो एक और संकल्प ले रहा हू। इस देश में सरकार के संसाधन जहां जहां भी खर्च होंगे, न्यायसंगत तरीक़े से ही होने चाहिए। सरकार की नौकरियां में आरक्षण जनसंख्या के अनुरूप होना चाहिए। अब मैं आंदोलन शुरू करूंगा और इस 50% की सीलिंग को हटाकर जनसंख्या के अनुरूप आरक्षण की मांग रखूंगा और उसको संवैधानिक तौर पर पूरा कराऊंगा।
और जिन आरक्षण विरोधियों को इससे तकलीफ है, और वो अपनी प्रतिभा का दंभ भरते हैं, उनसे मैं कहूँगा कि यदि इतनी ही प्रतिभा है, तो सरकारी नौकरियों में सेंध लगाना बंद करो और खुले मैदान में आओ और बिज़नेस करो, उद्योगपति बनो, खिलाड़ी बनो, एक्टर बनो। वहाँ तो आपकी सीट कोई नहीं माँग रहा। वहाँ कोई रिजर्वेशन नहीं। खुला मैदान है, आसमान पुकार रहा है, चलो मेरे साथ। जब मैं चल सकता हूँ तो आप क्यूँ नहीं।हालाँकि मैं जात-पात के एकदम ख़िलाफ़ हूँ, और मैं चाहता हूँ कि ये व्यवस्था खत्म हो, इसके लिए हमारी राष्ट्रीय युवा शक्ति इंटरकास्ट शादी करने वालों को धन भी देती है, लेकिन जब तक समाज इसको मानता है तब तक आरक्षण जनसंख्या के आधार पर रहना चाहिए।भविष्य में मुझपर आक्षेप लगाने से पहले दो बार सोच लेना, मैं कोई छुई मुई नहीं हूँ जो डर के बैठ जाऊगा। अपनी प्रतिभा, अपने आत्मविश्वास और अपने साहस के दम पर चलता हूँ, किसी के बाप के दम पर नहीं।