हादसे में भाई को खोने वाली बहन बोली– 'चाहिए पारदर्शिता और जिम्मेदारी की जवाबदेही'
एयर इंडिया हादसे में अपनों को खो चुके परिवारों की तकलीफ सिर्फ इस कारण और बढ़ रही है कि प्रशासनिक तैयारी और सूचना तंत्र पूरी तरह असफल रहा है।;
एयर इंडिया विमान हादसे के बाद देशभर में शोक की लहर है। अहमदाबाद से लंदन जा रही फ्लाइट के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद पीड़ित परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। लेकिन सबसे ज्यादा तकलीफदेह यह है कि तीन दिन बीत जाने के बाद भी मृतकों के शवों की पहचान नहीं हो पाई है। इस प्रक्रिया में हो रही देरी ने परिवारों की पीड़ा को और भी बढ़ा दिया है। ऐसे ही परिवार की सदस्य तृप्ति सोनी ने The Federal से बातचीत में अपनी आपबीती साझा की। उन्होंने बताया कि इस हादसे में उनके भाई और भाभी की मृत्यु हो गई। उन्होंने बताया कि हादसे के समय से लेकर अब तक प्रशासन की ओर से कोई स्पष्ट सूचना नहीं मिली है और न ही एयर इंडिया की ओर से कोई सहयोग मिला है।
हादसे की सूचना
तृप्ति कहती हैं कि मैं अपने भाई से एयरपोर्ट तक लगातार बात कर रही थी। बोर्डिंग से पहले भी हम बिजनेस से जुड़ी कुछ बातों पर चर्चा कर रहे थे। मुझे पूरा भरोसा था कि वो लंदन सुरक्षित पहुंच जाएंगे। लेकिन लगभग आधे घंटे बाद भतीजे का फोन आया कि विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। यह सुनकर दिल बैठ गया। उन्हें हादसे की खबर टीवी और सोशल मीडिया के जरिए तत्काल मिली। उन्होंने बताया कि जब किसी विमान हादसे की खबर आती है तो दिल में डर बैठ जाता है कि शायद कोई नहीं बचा होगा। वीडियो में आग की लपटें और धमाका देखकर भी कुछ उम्मीद थी कि शायद भाई घायल हो, अस्पताल में हो... लेकिन शाम तक जब घायल यात्रियों की सूची में नाम नहीं आया, तब यकीन हो गया कि अब वे नहीं रहे।
डीएनए टेस्ट
तृप्ति कहती हैं कि यह तीसरा दिन है और अब तक डीएनए रिपोर्ट पूरी नहीं हुई है। पहले दिन हमारे डीएनए सैंपल लिए गए और कहा गया कि 72 घंटे में रिपोर्ट आएगी। लेकिन अब तक कुछ नहीं बताया गया। रोज सुबह से शाम तक अस्पताल जाकर जानकारी लेते हैं। लेकिन कोई आधिकारिक जवाब नहीं मिल रहा। अब तक न स्थानीय प्रशासन और न ही राज्य सरकार की ओर से कोई आधिकारिक संपर्क हुआ है। आज तीसरे दिन सिर्फ एयर इंडिया की ओर से एक कॉल आया, जिसमें सिर्फ पता और सामान्य जानकारी ली गई। बाकी कोई मदद नहीं मिली।
सिस्टम पूरी तरह फेल
तृप्ति ने दुख जताया कि हादसे के बाद की व्यवस्था बेहद अव्यवस्थित और अमानवीय थी। 300 शवों को एक ही अस्पताल में लाया गया। लेकिन उन्हें रखने की कोई व्यवस्था नहीं थी। अगर सरकारी अस्पताल में जगह नहीं थी तो प्राइवेट अस्पतालों की मदद ली जानी चाहिए थी। इस तरह की तैयारियां सरकार को पहले से करनी चाहिए थीं। तृप्ति बताती हैं कि उनके डॉक्टर ने कहा कि डेंचर (दांत) की X-ray से भी शवों की पहचान हो सकती है। अगर प्रशासन इस बारे में जानकारी देता तो जिनके पास ऐसी रिपोर्ट होती, वे तुरंत मुहैया कराते। इससे पहचान की प्रक्रिया तेज हो सकती थी। लेकिन किसी ने हमें ये जानकारी नहीं दी।
जवाबदेही की मांग
तृप्ति ने कहा कि अब हादसा हो चुका है। लेकिन पीड़ित परिवारों को जवाब और न्याय मिलना जरूरी है। हम बस चाहते हैं कि निष्पक्ष जांच हो और जल्द से जल्द पता चले कि यह हादसा हुआ क्यों? जब तक सच्चाई सामने नहीं आती, हमें मानसिक शांति नहीं मिलेगी। शवों की पहचान में हो रही देरी हमारा दुख और बढ़ा रही है।