ध्वजारोहण समारोह से होगा मिशन यूपी की रणनीति का आग़ाज़ ? हिंदुत्व+सुशासन के नैरेटिव से चुनावी तैयारियों को धार दे सकती है बीजेपी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी इस समारोह को ख़ास बनाने वाली है।वहीं बीजेपी राम मंदिर आंदोलन की याद ताज़ा कर और मंदिर निर्माण का लक्ष्य पूर्ण होने के उद्घोष से यूपी चुनाव से पहले सियासी ज़मीन तैयार कर सकती है।

By :  Shilpi Sen
Update: 2025-11-19 17:26 GMT
ध्वजारोहण समारोह से पीएम नरेंद्र मोदी मिशन यूपी की रणनीति का आग़ाज़ कर सकते हैं

उत्तर प्रदेश की राजनीति में हैट्रिक का लक्ष्य तय कर रणनीति बनाने में जुटी बीजेपी 25 नवंबर को अयोध्या में राम मंदिर ध्वजारोहण समारोह के ज़रिए क्या यूपी विधानसभा चुनाव की रणनीति का आगाज़ करने जा रही है ? यह सवाल अब यूपी बीजेपी और प्रदेश के सियासी गलियारे में तेजी से उभर रहा है।इस दिन अयोध्या राम मंदिर निर्माण के पूर्ण होने पर ध्वजारोहण समारोह होगा जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शामिल होंगे।चर्चा यह है कि बीजेपी यूपी विधानसभा चुनाव को देखते हुए हिंदुत्व+विकास के नैरेटिव को नए सिरे से गढ़ सकती है।

पीएम मोदी दे सकते हैं आगामी रणनीति का संकेत-

बिहार चुनाव के बाद बीजेपी के रणनीतिकारों ने उत्तर प्रदेश में फोकस बढ़ा दिया है।2027 में होने वाले चुनाव से क़रीब पंद्रह महीने पहले होने वाले इस आयोजन पर सबकी नज़र टिक गई है।अयोध्या में 25 नवंबर को राम जन्मभूमि मंदिर में ध्वजारोहण समारोह है।इसे बीजेपी के लिए यूपी चुनाव की रणनीति और तैयारियों का आग़ाज़ माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी इस समारोह को ख़ास बनाने वाली है वहीं बीजेपी के लिए संजीवनी रहे मुद्दे राम मंदिर आंदोलन और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हो रहे मंदिर निर्माण का लक्ष्य पूरा होने का उद्घोष पार्टी के लिए आगे की सियासी ज़मीन तैयार करने का एक मौक़ा हो सकता है।राम मंदिर आंदोलन में बीजेपी नेताओं की भूमिका और योगदान को बताने का यह मौक़ा होगा तो वहीं प्रधानमंत्री के संदेश से मिलने वाली दिशा ख़ास होगी।माना यह जा रहा कि दिसंबर में ही भाजपा प्रदेश अध्यक्ष घोषित करेगी और फिर पार्टी यूपी चुनाव की रणनीति को निर्धारित ट्रैक पर दौड़ाएगी।

हिंदुत्व और विकास यानि ‘अयोध्या मॉडल’-

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर को ‘राष्ट्र मंदिर’ बताते हुए पहले भी संदेश दिया है। इस बार भी विधानसभा चुनाव के लिए कोई दिशा मिल सकती है।ध्वजारोहण समारोह में संघ प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी भी ख़ास होगी। इससे संघ और बीजेपी के तालमेल के लिए भी संदेश मिल सकता है।इस दिन शंखनाद और वैदिक मंत्रोच्चार के बीच मंदिर के शिखर पर 22 फीट लंबा धर्म ध्वज फहराया जाएगा।एक तरफ़ श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट और यूपी सरकार ने समारोह को ऐतिहासिक बनाने के लिए तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है वहीं यह चर्चा भी हो रही है कि क्या 2027 यूपी विधानसभा के चुनावी जंग का पहला चैप्टर अयोध्या में लिखा जाने वाला है? पिछले कुछ समय से यूपी सरकार ने जिस तरह अयोध्या में विकास कार्य किए हैं और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर अयोध्या को स्थापित करने के लिए कदम बढ़ाया है उसका भी बखान इस मौके पर हो सकता है।अयोध्या में मंदिर निर्माण और अब तक हुए विकास की बात सामने रखकर बीजेपी हिंदुत्व+विकास के एजेंडे को एकसाथ साध सकती है।

दलित और ओबीसी पर फोकस बढ़ा सकती है पार्टी-

बिहार चुनाव में एनडीए को मिली ज़बरदस्त सफलता के बाद बीजेपी अब उत्तर प्रदेश पर ध्यान देना चाहती है।बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत से पार्टी का हौंसला बुलंद है तो पार्टी अब इससे सबक लेकर पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलितों पर फोकस बढ़ा सकती है।बिहार में पिछड़ों, अति पिछड़ों और दलित वोटरों ने एनडीए का साथ दिया।इस सफलता को यूपी में दोहराने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी है कि बीजेपी यूपी में अखिलेश यादव के पीडीए( PDA) की काट निकाले।पार्टी हिंदुत्व के नैरेटिव को नए सिरे से पेश कर इस चुनौती का सामना कर सकती है।

मंदिर निर्माण में बाधा डालने के लिए सपा-कांग्रेस पर निशाना-

दरअसल राम मंदिर का ध्वजारोहण समारोह सांस्कृतिक उत्सव है लेकिन राम मंदिर का मुद्दा संघ-बीजेपी का सबसे पुराना सियासी मुद्दा भी रहा है। मंदिर आंदोलन ने ही सबसे पहले बीजेपी को शून्य से शिखर तक पहुंचाया था।बीजेपी एक बार फिर राम मंदिर आंदोलन की याद ताज़ा करके विपक्ष को चुनौती दे सकती है।बीजेपी पहले से ही इस बात को कहती रही है कि मंदिर निर्माण सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हुआ है लेकिन यह केंद्र की मोदी सरकार की मज़बूत इच्छाशक्ति की वजह से संभव हुआ कि इतनी जल्दी मंदिर बनकर तैयार हुआ।वहीं दूसरी ओर बीजेपी मुलायम सिंह यादव सरकार में रामभक्तों पर गोली चलाने और कांग्रेस के राम जन्मभूमि के फैसले में रोड़े अटकाने के लिए भी आने वाले दिनों में सपा-कांग्रेस पर सियासी निशाना साध सकती है।उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए भी राम मंदिर का मुद्दा ख़ास रहा है।राम मंदिर आंदोलन में अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ के साथ योगी शामिल हुए हैं।ऐसे में इस मौके को योगी के हिंदुत्व की सियासी दांव के तौर पर भी देखा का सकता है।योगी बिहार चुनाव प्रचार में भी ‘रामराज्य’ की बात कर चुके हैं।अयोध्या में लोकसभा चुनाव में सपा को मिली जीत के बावजूद बीजेपी ‘अयोध्या मॉडल’ को चुनावी रणनीति में स्थान दे सकती है।

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