झारखंड: कोल्हान में टाइगर बनाम शेर, हेमंत ने चंपई-बीजेपी से निपटने के लिए बनाई ये खास रणनीति

चंपई सोरेन ने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. इस दौरान कोल्हान क्षेत्र से कई झामुमो विधायक भी शामिल हुए. वहीं, स्थानीय पार्टी नेताओं ने हेमंत के नेतृत्व में एकजुटता दिखाई है.

Update: 2024-08-31 13:54 GMT

Champai Soren vs Hemant Soren: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन ने शुक्रवार को औपचारिक रूप से भाजपा में शामिल होने के बाद दावा किया कि आदिवासियों के हितों की रक्षा केवल भाजपा के शासन में ही हो सकती है. बता दें कि उन्होंने झामुमो के कामकाज के प्रति नाराजगी व्यक्त करने के बाद बुधवार को मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. 67 वर्षीय चंपई ने झामुमो नेतृत्व पर आरोप लगाया कि कथित तौर पर उन्हें अपमानित किया गया, ताकि उन्हें 3 जुलाई को मुख्यमंत्री पद से हटने के लिए मजबूर किया जा सके और हेमंत सोरेन को फिर से झारखंड सरकार की कमान सौंपी जा सके.

बता दें कि चंपई सोरेन ने केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के सीएम हिमता बिस्वा सरमा की मौजूदगी में रांची के धुर्वा मैदान में बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण की. इस समारोह में चंपई के गृह क्षेत्र कोल्हान क्षेत्र से कई झामुमो विधायक भी शामिल हुए, जिनमें मंत्री दीपक बिरुआ, समीर मोहंती, दशरथ गगराई, सजीव सरदार, मंगल कालिंदी और निरल पुत्री शामिल थे.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, वहीं, कोल्हान के झामुमो नेताओं ने हेमंत के नेतृत्व के पीछे मजबूती से एकजुटता दिखाई है. साथ ही, उसी दिन घाटशिला के विधायक रामदास सोरेन ने मंत्री पद की शपथ लेने के बाद हेमंत मंत्रिमंडल में चंपई की जगह ली. झामुमो सूत्रों ने कहा कि हेमंत आगामी विधानसभा चुनावों में कोल्हान क्षेत्र में पार्टी का वर्चस्व बनाए रखने के इच्छुक हैं, जिसमें 14 विधानसभा सीटें शामिल हैं, जिसमें चंपई का निर्वाचन क्षेत्र सरायकेला और रामदास की सीट घाटशिला शामिल हैं.

साल 2019 के चुनावों में भाजपा कोल्हान बेल्ट में कोई भी सीट नहीं जीत पाई थी, जहां 11 सीटें झामुमो ने जीती थीं, दो सीटें उसके सहयोगी कांग्रेस ने और एक सीट निर्दलीय ने जीती थी. चंपई को अपने पाले में शामिल करके भाजपा ने इस क्षेत्र में समर्थन जुटाने की कोशिश की है. हालांकि, झामुमो खेमे का मानना ​​है कि आदिवासी मतदाता दलबदलुओं के पक्ष में नहीं हैं.

झामुमो के एक नेता ने कहा कि गीता कोड़ा जैसी लोकप्रिय नेता जो भाजपा में चली गईं, हाल ही में लोकसभा में हार गईं. झामुमो में उभरते सितारे कुणाल सारंगी, जो 2019 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा में चले गए थे, झामुमो उम्मीदवार से हार गए. आदिवासी समुदाय बहुत स्पष्ट है, उन्हें दलबदलू और पीठ में छुरा घोंपने वाले पसंद नहीं हैं. हम इस पर भरोसा कर रहे हैं और उसी के अनुसार काम करेंगे.

झामुमो के एक अन्य नेता ने कहा कि सरायकेला में चंपई आमतौर पर 1,000-2,500 वोटों के अंतर से जीतते रहे हैं. साल 2019 के चुनावों में हेमंत लहर के कारण वे 15,000 से अधिक वोटों से जीते थे. वे 2019 में लोकसभा के लिए दौड़े. लेकिन 3 लाख से अधिक वोटों से हार गए. चंपई के उम्मीदवार समीर मोहंती भी हाल ही में हुए लोकसभा चुनावों में जमशेदपुर से करीब 2.60 लाख वोटों से हार गए थे. उन्होंने कहा कि चंपई की लोकप्रियता की अपनी सीमाएं हैं. मुख्यमंत्री के एक करीबी सूत्र ने कहा कि हेमंत की अनुपस्थिति में चंपई लोकसभा में अपने उम्मीदवारों को सुनिश्चित करके कोल्हान में एक जन नेता बनना चाहते थे. लेकिन विभिन्न कारकों के कारण यह सफल नहीं हो सका. चंपई लोकसभा चुनावों में चाईबासा सीट से जीतने वाले जोभा मांझी को अपने सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से नेतृत्व नहीं दिला पाए. यह एकमात्र क्षेत्र था, जहां चाईबासा लोकसभा क्षेत्र में झामुमो पीछे रह गया. इसलिए अब तक हम चिंतित नहीं हैं. हालांकि, हम सतर्क हैं. क्योंकि हम चंपई पर हमला नहीं कर सकते और चंपई भी, जो सीधे हेमंत सोरेन पर हमला नहीं कर रहे हैं. इस प्रकार, वर्तमान में उनके बीच एक छद्म युद्ध चल रहा है.

यह पहली बार नहीं है, जब झामुमो को चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. साल 2021 में हेमंत के सहयोगी पंकज मिश्रा को कथित अवैध खनन मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें सीएम से पूछताछ की गई थी. फिर 2022 में हेमंत के खुद के पत्थर की खदान के मालिक होने को लेकर विवाद खड़ा हो गया, जिसे बाद में उन्होंने सरेंडर कर दिया. यह मामला राजभवन द्वारा चुनाव आयोग को यह जांचने के लिए भेजा गया था कि क्या यह लाभ के पद का मामला है, जिसकी राय अभी तक सार्वजनिक नहीं की गई है. फिर ईडी ने हेमंत से एक कथित भूमि घोटाले के सिलसिले में पूछताछ शुरू की, जिसमें उन्हें इस साल की शुरुआत में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था, जिसके कारण उनका इस्तीफा हुआ और चंपई को सीएम नियुक्त किया गया. हालांकि, 28 जून को हेमंत को हाईकोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर रिहा कर दिया गया, जिसके कारण उन्होंने 4 जुलाई को चंपई की जगह फिर से सीएम का कार्यभार संभाला.

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, झामुमो के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि साल 2021 के अंत से, हमारी सरकार मुश्किलों में घिरी हुई है. हालांकि, प्रत्येक संकट के साथ, हेमंत और मजबूत होकर उभरे हैं. उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. लेकिन फिर उनकी पत्नी कल्पना ने कमान संभाली और झामुमो कार्यकर्ताओं में जोश भरा. चंपई का भाजपा में शामिल होना पार्टी के लिए वरदान साबित हुआ है. क्योंकि अब पुराने नेताओं के चले जाने से हेमंत के पास विधानसभा चुनाव से पहले युवा नेताओं की मदद से पार्टी को पुनर्गठित करने और उसमें नई जान फूंकने की आजादी और गुंजाइश होगी.

हेमंत अपनी सरकार की नई योजना, 'मैया सम्मान योजना' को लागू करने के लिए राज्य भर के संभाग मुख्यालयों में कई कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं, जिसके तहत गरीब परिवारों की 21 वर्ष और उससे अधिक उम्र की प्रत्येक महिला को 1,000 रुपये प्रति माह दिए जाएंगे. 27 अगस्त को हेमंत इसी संबंध में दुमका में एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे. दिलचस्प बात यह है कि 28 अगस्त को इसी तरह के कार्यक्रम के लिए कोल्हान संभाग के मुख्यालय चाईबासा को नहीं चुना गया, बल्कि इसे सरायकेला में आयोजित किया गया. झामुमो के एक सूत्र ने कहा कि सरायकेला एक सोची-समझी पसंद थी. हेमंत को सुनने के लिए एक लाख से अधिक लोग समारोह में शामिल हुए. यह ‘टाइगर’ (चंपई सोरेन) के लिए संदेश था कि कोल्हान में ‘शेर’ (हेमंत सोरेन) आ गया है.

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