GIFT सिटी की ‘सफलता’ के बाद, गुजरात तीन और जगहों पर शराबबंदी में ढील देगा

लेकिन क्या केवल शराब की आज़ादी से रण उत्सव, सूरत का डायमंड बोर्स और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी विदेशी पर्यटकों को आकर्षित कर पाएंगे — या फिर ये आयोजन ढांचागत कमियों में ही फंसे रहेंगे?

Update: 2025-11-12 16:05 GMT
गुजरात सरकार ने 2021, 2022 और 2023 में रण उत्सव के लिए टेंट लगाने पर 20.98 करोड़ रुपये खर्च किए, लेकिन इस आयोजन में सिर्फ 465 विदेशी पर्यटक ही पहुंचे।
Click the Play button to listen to article

GIFT सिटी के बाद अब गुजरात सरकार कच्छ के धोरडो में होने वाले 100 दिन लंबे वार्षिक रण उत्सव, सूरत के डायमंड बोर्स, और नर्मदा ज़िले के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी परिसर में शराबबंदी में ढील देने जा रही है। सरकार अगले दो हफ्तों के भीतर इसका औपचारिक ऐलान करेगी।

इसके साथ ही सरकार शराब परमिट के लिए एक मोबाइल ऐप लॉन्च करने की भी तैयारी में है।

गुजरात के उपमुख्यमंत्री हर्ष सांघवी ने बताया, “यह कदम राज्य में व्यापार को बढ़ावा देने और अधिक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए उठाया गया है। राज्य के भीतर शराब परमिट प्राप्त करने के लिए मोबाइल ऐप का परीक्षण पूरा होने का इंतज़ार है। जैसे ही यह तैयार होगा, हम ऐप लॉन्च के साथ औपचारिक घोषणा करेंगे।”

मोबाइल ऐप से परमिट की सुविधा

यह मोबाइल ऐप गुजरात के अंदर और बाहर के लोगों दोनों को दस्तावेज़ अपलोड करने, भुगतान करने और सत्यापन के बाद डिजिटल परमिट प्राप्त करने की सुविधा देगा।

यह परमिट धारक को राज्यभर में अधिकृत होटलों से शराब खरीदने की अनुमति देगा।

क्यों शराब कोई जादुई समाधान नहीं है

♦ रण उत्सव और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर भारी खर्च के बावजूद विदेशी पर्यटकों की कमी

♦ सूरत का डायमंड बोर्स अब भी खाली, कनेक्टिविटी बेहद कमजोर

♦ शराब नीति में ढील असल समस्याओं से ध्यान भटकाने का तरीका मानी जा रही है

♦ पर्यटन केंद्रों में उचित सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी का अभाव

♦ पर्यटन नीति में बुनियादी ढांचा और स्थायी योजना की अनदेखी

सांघवी ने आगे कहा, “यह ऐप परमिट लेने की प्रक्रिया को आसान बनाएगा, खासकर उन पर्यटकों के लिए जिन्हें अब तक फार्म लेना और दस्तावेज़ जमा करना मुश्किल लगता था।”

30 दिसंबर 2023 को गुजरात सरकार ने गांधीनगर के बाहरी इलाके में स्थित GIFT सिटी में शराबबंदी के कानून में आंशिक छूट दी थी।

दिलचस्प बात यह है कि अब कच्छ के रण उत्सव, सूरत के डायमंड बोर्स और स्टैच्यू ऑफ यूनिटी में भी शराबबंदी में ढील देने का फैसला तब लिया गया है जब फिनटेक हब ने इस साल पहली बार शराब बिक्री से आय अर्जित की है।

पैसे की मशीन कहलाने वाली GIFT सिटी — जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ड्रीम परियोजना मानी जाती है — अपनी स्थापना के 18 साल बाद तक अपने परिसर में चलने वाले व्यावसायिक उपक्रमों से कोई राजस्व नहीं कमा पाई थी। आखिरकार, इस साल अप्रैल में गुजरात सरकार ने GIFT सिटी में शराब की बिक्री से 94.19 लाख रुपये की कमाई की।

सर्केज़ रोज़ा क्राफ्ट्स एंड विमेन्स कलेक्टिव की संस्थापक भावना रामरखियानी ने The Federal से कहा, “सूखे (Dry) गुजरात में तीन और स्थानों पर शराबबंदी में ढील देकर सरकार GIFT सिटी जैसी सफलता दोहराना चाहती है। लेकिन विदेशी पर्यटकों या निवेशकों को आकर्षित करने के लिए केवल शराब ही पर्याप्त नहीं है। सड़कें और अन्य कनेक्टिविटी सुविधाएं भी बहुत बड़ी भूमिका निभाती हैं। जिन तीन जगहों पर छूट दी जा रही है, उनमें से दो—सूरत का डायमंड बोर्स और धोरडो (जहां हर साल रण उत्सव होता है)—सड़क, रेल और हवाई मार्ग से बहुत खराब तरीके से जुड़े हैं। इसलिए शराब की अनुमति देकर किसी चमत्कार की उम्मीद करने के बजाय, बीजेपी सरकार को इन जगहों पर बेहतर नागरिक सुविधाओं पर ध्यान देना चाहिए ताकि व्यापार और पर्यटन को वास्तविक बढ़ावा मिल सके।”

अपेक्षाओं पर खरी नहीं उतरी RANN उत्सव की कहानी

रणोत्सव या रण उत्सव 2005 से गुजरात पर्यटन विभाग द्वारा आयोजित किया जाने वाला वार्षिक उत्सव है।

यह उत्सव कच्छ की स्थानीय कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए शुरू किया गया था। शुरुआत में यह तीन दिन का आयोजन हुआ करता था, लेकिन वर्षों के साथ यह कच्छ के रेगिस्तान स्थित धोरडो गांव में 100 दिन का भव्य उत्सव बन गया।

हालांकि आयोजन और प्रचार-प्रसार पर करोड़ों रुपये खर्च करने के बावजूद रणोत्सव विदेशी पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर सका।

पर्यटन विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2021, 2022 और 2023 में रणोत्सव के लिए टेंट लगाने पर 20.98 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन विदेशी पर्यटकों की संख्या सिर्फ 465 रही।

ज्यादातर घरेलू पर्यटक

गुजरात पर्यटन विभाग के सचिव राजेंद्र कुमार ने बताया, “हर साल गुजरात में करीब 50 लाख पर्यटक आते हैं। इनमें से अधिकांश घरेलू होते हैं, जो रण उत्सव, गिर वन्यजीव अभयारण्य, सापुतारा फेस्टिवल, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और देवभूमि द्वारका के धार्मिक पर्यटन से आकर्षित होते हैं।”

“हालांकि 2025 को छोड़ दें, तो इन पर्यटकों में अधिकांश अन्य राज्यों से आने वाले थे। 2023 को छोड़कर गुजरात में विदेशी पर्यटकों की संख्या बहुत कम रही है। उस साल आईसीसी पुरुष क्रिकेट विश्व कप के कारण विदेशी पर्यटकों की संख्या में 28 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। लेकिन यह बढ़ोतरी केवल अहमदाबाद तक सीमित रही और राज्य के अन्य पर्यटन स्थलों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा,” उन्होंने कहा।

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की स्थिति भी लगभग ऐसी ही है।

काफी प्रचार-प्रसार के बावजूद, नर्मदा ज़िले के एकतानगर में स्थित दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति ‘स्टैच्यू ऑफ यूनिटी’ पर आने वाले कुल पर्यटकों में विदेशी पर्यटकों की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से भी कम है।

पर्यटन आयुक्त कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर वर्ष 2023 में 50 लाख, 2022 में 46 लाख, 2021 में 34.34 लाख और 2020 में 12.81 लाख पर्यटक पहुंचे।

हालांकि इनमें से अधिकांश घरेलू पर्यटक थे। 2021 में मात्र 25,291 और 2022 में केवल 22,000 विदेशी पर्यटक ही आए थे।

डायमंड बोर्स: एक भूतिया इमारत

सूरत डायमंड बोर्स (SDB) गुजरात सरकार की एक और बड़ी परियोजना थी, जिसका उद्घाटन दिसंबर 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बड़े धूमधाम से किया था।

दो साल बाद, यह सूरत के बाहरी इलाके खाजोद गांव में एक “भूतिया इमारत” बनकर खड़ी है।

64 लाख वर्गफुट में फैली और 3,200 करोड़ रुपये की लागत से बनी इस इमारत को अमेरिका के पेंटागन से भी बड़ी बताकर दुनिया की सबसे विशाल कार्यालय इमारत कहा गया था।

इसमें 4,500 दफ्तरों की जगह है, जहाँ 1.5 लाख कर्मचारियों के बैठने की व्यवस्था थी। इसका उद्देश्य देश के हीरों के व्यापार के लिए एक “वन-स्टॉप डेस्टिनेशन” बनना था। लेकिन लगभग 1,000 कंपनियों में से अधिकांश जो शुरुआत में यहाँ काम करने आई थीं, अब यहाँ से जा चुकी हैं।

एक डायमंड व्यापारी का अनुभव

“मुंबई से आए व्यापारी अब वापस भारत डायमंड बोर्स (Mumbai) चले गए हैं, जबकि सूरत के स्थानीय व्यापारी अपने पुराने इलाकों—कतरगाम और वराछा—में अपने दफ्तर फिर से खोल चुके हैं, जो पारंपरिक रूप से हीरा कारोबार के केंद्र हैं।

मुझे अफसोस है कि मैंने SDB में ऑफिस खरीदा। उस पैसे को मैं अपने व्यापार में बेहतर उपयोग कर सकता था।

मैंने पिछले साल फरवरी में वह जगह छोड़ दी क्योंकि शहर से इतनी दूर बने रहने का कोई मतलब नहीं था। SDB को सूरत शहर से जोड़ने के लिए कोई परिवहन सुविधा नहीं है।

एयरपोर्ट से आने वाला कोई भी व्यक्ति टैक्सी किराए में भारी रकम चुका देता था। इसके अलावा, कर्मचारियों के लिए रोज़ाना आना-जाना भी मुश्किल था,” सूरत के एक डायमंड व्यापारी ने The Federal को बताया।

उन्होंने आगे कहा, “अभी सूरत के हीरा व्यापारियों के लिए समय बहुत मुश्किल है, खासकर इस साल अमेरिका द्वारा लगाए गए नए शुल्कों के बाद। मुझे नहीं लगता कि सिर्फ शराब की बिक्री और सेवन की अनुमति देने से व्यापारी फिर से SDB लौटने के लिए प्रेरित होंगे।”

Tags:    

Similar News