क्या ज्ञानवापी मस्जिद में होगी खुदाई? 16 अक्टूबर को होगा तय !

हिंदू पक्ष की याचिका में ज्ञानवापी परिसर के शेष हिस्सों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा सर्वेक्षण की मांग की गई है और ये भी कहा गया है कि जाँच के लिए खुदाई की जरुरत है.

Update: 2024-10-10 14:11 GMT

Gyanvapi Mosque Survey : ज्ञानवापी मस्जिद में खुदाई होगी या नहीं इस पर 16 अक्टूबर को फैसला आ सकता है. दरअसल गुरुवार 10 अक्टूबर को अदालत के समक्ष ये दलील दी है कि ज्ञानवापी परिसर में एएसआई द्वारा किया गया सर्वेक्षण अधूरा था. एएसआई बिना खुदाई के सही रिपोर्ट देने की स्थिति में नहीं है, इसलिए उसे खुदाई करने और पूरे ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया जाना चाहिए. हालाँकि मुस्लिम पक्ष ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा है कि मस्जिद में खुदाई नहीं होनी चाहिए.

ज्ञानवापी मामले में मुस्लिम पक्ष द्वारा दो दिन पहले रखी गई दलीलों के जवाब में हिंदू पक्ष की ओर से गुरुवार को अदालत के समक्ष दलीलें पेश कीं. हिंदू पक्ष की याचिका में ज्ञानवापी परिसर के शेष हिस्सों में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से सर्वेक्षण कराने की मांग की गई थी.
प्रस्तुतियों के बाद, अदालत ने सुनवाई की तिथि 16 अक्टूबर निर्धारित की है.

खुदाई की जरुरत
हिंदू पक्ष की ओर से पेश हुए वकील मदन मोहन यादव ने बताया कि वो सिविल जज सीनियर डिवीजन युगुल शंभू के समक्ष पेश हुए और अदालत से मांग की कि ज्ञानवापी परिसर में एएसआई द्वारा किया गया सर्वेक्षण अधूरा था.
यादव के अनुसार उन्होंने अदालत के सामने ये मांग की कि एएसआई बिना खुदाई के सही रिपोर्ट देने की स्थिति में नहीं है, इसलिए उसे खुदाई करने और पूरे ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया जाना चाहिए.

इससे पहले 8 अक्टूबर को मुस्लिम पक्ष ने राखी थी दलील
मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन इंतेज़ामिया कमेटी ने 8 अक्टूबर को याचिका पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा था कि वकीलों ने अदालत के समक्ष दलील देते हुए कहा था कि जब हिंदू पक्ष ने उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में मामले को आगे बढ़ाने की अपील की है, तो निचली अदालत में इस मामले पर बहस करने का कोई मतलब नहीं है. मुस्लिम पक्ष की तरफ से ये भी कहा गया कि जब ज्ञानवापी परिसर का एएसआई सर्वेक्षण एक बार किया जा चुका है, तो दूसरा सर्वेक्षण कराने का कोई औचित्य नहीं है.
समिति के वकीलों की तरफ से ये दलील भी दी गयी कि सर्वेक्षण के लिए मस्जिद परिसर में गड्ढा खोदना किसी भी तरह से व्यावहारिक नहीं है और इससे मस्जिद को नुकसान पहुंच सकता है.

हिन्दू पक्ष ने दी थी ये दलील
हिंदू पक्ष ये पहले हुई सुनवाई में ये दलील दी थी कि 'ज्योतिर्लिंग' का मूल स्थान ज्ञानवापी परिसर में स्थित कथित मस्जिद के गुंबद के नीचे, केंद्र में था. इससे पहले सुनवाई के दौरान दलील दी गई थी कि, "अर्घा से भौगोलिक जल निरंतर बहता था जो ज्ञानवापी कुंड में एकत्र होता था. ऐसा माना जाता था कि इस जल को पीने से ज्ञान प्राप्त होता है. इसलिए इस तीर्थ को 'ज्ञानोदय तीर्थ' भी माना जाता है." इसी वजह से हिंदू पक्ष ने जल इंजीनियरिंग, भूवैज्ञानिकों और पुरातत्वविदों के माध्यम से पानी की जांच की मांग की है.
उन्होंने कहा कि ज्ञानोदय तीर्थ से मिले 'शिवलिंग', जिसे मुस्लिम पक्ष ने 'वजूखाना' कहा है, की भी जांच की जानी चाहिए ताकि यह पता लगाया जा सके कि यह 'शिवलिंग' है या फव्वारा.


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