10 दिन में 4 झटके, हरियाणा की धरती क्यों बार-बार कांप रही है?
हरियाणा में 10 दिन में चार बार धरती हिली। रोहतक में देर रात 3.3 तीव्रता का भूकंप आया। झज्जर और दिल्ली-NCR में पहले भी झटके महसूस हुए हैं।;
हरियाणा के रोहतक जिले में बुधवार देर रात 12:46 बजे भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.3 मापी गई। भूकंप का केंद्र रोहतक शहर से 17 किलोमीटर पूर्व में, धरती की सतह से 10 किलोमीटर नीचे था। खेरी सांपला और खरखौदा जैसे आस-पास के इलाकों में 2 से 5 सेकंड तक कंपन महसूस हुआ, जिससे लोग घबरा गए और रात के समय घरों से बाहर निकलकर खुले स्थानों में जमा हो गए। हालांकि, राहत की बात यह रही कि किसी प्रकार के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है।
बार-बार आ रहे भूकंप के झटके
बीते कुछ दिनों में हरियाणा विशेषकर झज्जर और रोहतक जिलों में लगातार भूकंप के झटके महसूस किए जा रहे हैं। 11 जुलाई को झज्जर में 3.7 तीव्रता का भूकंप दर्ज किया गया था, जिसका असर दिल्ली-एनसीआर तक महसूस किया गया। 10 जुलाई को भी इसी क्षेत्र में 4.4 तीव्रता का एक और भूकंप आया था। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, 10 जुलाई से अब तक रोहतक के 40 किलोमीटर के दायरे में 2.5 या उससे अधिक तीव्रता के चार भूकंप दर्ज हो चुके हैं।
विशेष बात यह है कि 10 जुलाई को झज्जर में केवल दो मिनट के अंतराल में दो झटके महसूस किए गए थे। पहला सुबह 9:04 पर और दूसरा 9:06 पर। अगले दिन 11 जुलाई को फिर भूकंप का झटका आया। लगातार हो रहे इन झटकों ने स्थानीय लोगों में डर और अनिश्चितता बढ़ा दी है।
दिल्ली-एनसीआर में भी महसूस हो रहा असर
दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों में भी इन झटकों का प्रभाव दिखा।इस साल की शुरुआत में 17 फरवरी को दिल्ली-एनसीआर में 4.0 तीव्रता का भूकंप आया था। इसका केंद्र धौला कुआं के पास, दिल्ली से 9 किलोमीटर पूर्व में था। भूकंप की गहराई 5 किलोमीटर थी और सुबह 5:36 बजे इसका असर महसूस किया गया। यह झटका इतना तेज था कि लोग नींद से चौंक कर जाग गए और घरों से बाहर निकल आए।
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल्ली ‘सीस्मिक ज़ोन-IV’ यानी उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र में आता है, जहां मध्यम से लेकर तीव्र भूकंप आने की संभावना बनी रहती है। बार-बार आने वाले झटके इस संवेदनशीलता को और भी अधिक स्पष्ट कर रहे हैं।हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में बार-बार आने वाले भूकंप के हल्के लेकिन लगातार झटके चिंता का विषय बनते जा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इन हलचलों को हल्के में नहीं लेना चाहिए और प्रशासन को आपातकालीन तैयारी और जनजागरूकता अभियान तेज करने की ज़रूरत है।