तमिलनाडु में HIV प्रसार-रोकथाम बन चुकी है बड़ी चुनौती, क्या यह है वजह?
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि राज्य में फंड, टेस्टिंग किट और मेडिकल प्रोफेशनल्स की कमी है। यही नहीं राज्य सरकार पर वास्तविक केस संख्या के ना बताने का भी आरोप है।;
तमिलनाडु में HIV संक्रमण को लेकर हालात चिंताजनक होते जा रहे हैं। अचानक मामलों में वृद्धि, वास्तविक आंकड़ों को छिपाने के आरोप, टेस्टिंग किट्स की कमी, चिकित्सा और शिक्षा के लिए सीमित फंड, और नशे की बढ़ती लत ये सभी राज्य में HIV के हालात को और गंभीर बना रहे हैं।
क्या छिपाए जा रहे हैं आंकड़े?
स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम के अनुसार, तमिलनाडु में वर्तमान में HIV संक्रमित व्यक्तियों की संख्या 1,57,908 है, लेकिन इन में से केवल 1,41,341 लोगों को ही संयुक्त दवा उपचार (Combined Drug Therapy) मिल रही है। करीब 16,000 से अधिक मामलों का अंतर कई सवाल खड़े करता है। यहाँ तक कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी भी इस आंकड़े को लेकर स्पष्ट नहीं हैं।
डेटा में विसंगति
तमिलनाडु एड्स नियंत्रण समिति (TANSACS), जो राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम (NACP) के तहत HIV/AIDS से जुड़ी योजनाएं चलाती है, के अनुसार मार्च 2024 तक राज्य में 1,32,301 लोग एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (ART) पर थे। HIV पॉजिटिव नेटवर्क के संस्थापक करुणानिधि गोविंदसामी ने सरकार पर पिछले एक दशक से मामलों को छिपाने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि वास्तव में संक्रमित लोगों की संख्या 2 लाख से अधिक हो सकती है।
प्रशासन का पक्ष
स्वास्थ्य सचिव पी. सेन्थिलकुमार ने किसी भी "अलार्मिंग" वृद्धि से इनकार किया और बताया कि हर साल 8,000 से 9,000 नए मामले सामने आते हैं। पिछले छह महीनों में लगभग 4,000 से 4,500 नए केस दर्ज किए गए हैं, जो सामान्य प्रवृत्ति है।
HIV रोकथाम में चुनौतियाँ
राज्य में कई चुनौतियाँ सामने हैं — अस्पष्ट डेटा, टेस्टिंग किट्स की कमी, अपर्याप्त मानव संसाधन, और HIV संक्रमित लोगों की शिक्षा व पोषण के लिए कम फंड। 87 एनजीओ मिलकर 20 करोड़ के बजट से जागरूकता कार्यक्रम चला रहे हैं, और हर एक को लक्षित समुदायों के लिए 25 लाख रुपये आवंटित किए गए हैं।
हाई-रिस्क ज़िले
त्रिची, इरोड, करूर, मदुरै, कोयंबटूर, वेल्लोर, विल्लुपुरम, सलेम और नामक्कल जैसे जिले HIV संक्रमण के उच्च प्रसार वाले ज़िलों में आते हैं। हाइवे कनेक्टिविटी के कारण इन क्षेत्रों में संक्रमण का खतरा अधिक है।
टेस्टिंग किट्स और डॉक्टरों की कमी
राज्य के कई सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में टेस्टिंग किट्स की कमी है। कुछ जिलों में TANSACS की इकाइयों ने अन्य जिलों से किट्स मंगवाए हैं। इसके अलावा, 10 से अधिक ART केंद्र पिछले दो वर्षों से डॉक्टरों की अनुपस्थिति से जूझ रहे हैं। HIV पॉजिटिव नेटवर्क और PLHA समूहों ने सरकार से डॉक्टरों की नियुक्ति की मांग की है।
निगरानी और जनजागरूकता में गिरावट
साउथ इंडियन पॉजिटिव नेटवर्क की संस्थापक नूरी सलीम ने बताया कि HIV संक्रमित लोगों के साथ कम्युनिटी एंगेजमेंट में भारी गिरावट आई है। TANSACS द्वारा आयोजित सालाना चार कार्यकारी बैठकें भी अब नहीं हो रही हैं।
बच्चों के लिए अपर्याप्त सहायता
2009-10 में HIV प्रभावित बच्चों की सहायता के लिए सरकार ने 25 करोड़ रुपये की कोष निधि स्थापित की थी। लेकिन नूरी सलीम का मानना है कि यह राशि बच्चों की उच्च शिक्षा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है और इसे बढ़ाने की आवश्यकता है।
संक्रमण रोकने की जरूरत
YRG सेंटर फॉर एड्स रिसर्च एंड एजुकेशन (CARE) के प्रशिक्षु प्रबंधक के. सतीश कुमार का कहना है कि जैसे-जैसे HIV संक्रमित लोग अधिक समय तक जीवित रह रहे हैं, संक्रमण को रोकना अधिक ज़रूरी हो गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से रोकथाम की रणनीतियाँ आम लोगों तक पहुंचनी चाहिए।
सरकार का जवाब
स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य भर में नियमित रूप से HIV रोकथाम और जागरूकता कार्यक्रम चल रहे हैं और परामर्श केंद्रों में पर्याप्त स्टाफ है। यदि किसी विशेष मामले की रिपोर्ट की जाती है, तो परियोजना निदेशक उस पर ध्यान देंगे।
तमिलनाडु में HIV की वर्तमान स्थिति सरकार और समाज दोनों के लिए एक चेतावनी है। आंकड़ों की पारदर्शिता, बेहतर संसाधनों की उपलब्धता, और व्यापक जनजागरूकता की नितांत आवश्यकता है। वरना यह संकट और गहराता जा सकता है।