दिल्ली-NCR में AQI 400 के पार, वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, GRAP-4 लागू

दिल्ली में प्रदूषण स्तर एक बार फिर से खतरनाक हो चुका है, जिसकी वजह से अब दिल्ली में GRAP-4 लागू कर दिया गया है. ऐसे में कई पाबंदियां भी लागू कर दी गयी हैं.;

Update: 2024-12-16 18:41 GMT

GRAP 4 in Delhi NCR : दिल्ली-NCR की हवा एक बार फिर दमघोंटू हो गई है। बढ़ते वायु प्रदूषण के चलते एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) 400 के गंभीर स्तर पर पहुंच गया है। कुछ इलाकों में यह 400 से भी अधिक हो गया है। इस स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार ने सख्त कदम उठाते हुए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान (GRAP) के चौथे चरण की पाबंदियां लागू कर दी हैं।


वायु गुणवत्ता पर बढ़ता दबाव
सोमवार रात 10 बजे दिल्ली का औसत AQI 400 के पार चला गया, जबकि सोमवार सुबह ही GRAP-3 की पाबंदियां लगाई गई थीं। केंद्र के एयर क्वालिटी मैनेजमेंट कमीशन (CAQM) के निर्देशों के तहत AQI 400 के ऊपर जाते ही GRAP-4 लागू करने की सिफारिश की गई।

GRAP-4 के तहत क्या बदलेगा?
GRAP-4 के तहत निम्न पाबंदियां लागू रहेंगी:

स्कूल बंद रहेंगे, केवल ऑनलाइन और हाइब्रिड मोड में कक्षाएं चलेंगी।
सभी तरह के निर्माण और तोड़फोड़ के कार्य पूरी तरह बंद रहेंगे।
केवल आवश्यक वस्तुएं ले जाने वाले वाहनों को ही अनुमति होगी; बाकी भारी वाहनों की एंट्री पर रोक।
BS-3 पेट्रोल और BS-4 डीजल गाड़ियों पर प्रतिबंध।
सरकारी कार्यालयों में 50% स्टाफ को वर्क फ्रॉम होम पर भेजा जाएगा।

बड़े प्रोजेक्ट्स पर असर
दिल्ली की कई विकास परियोजनाएं GRAP-4 की पाबंदियों से प्रभावित होंगी:
छह अंडरपास और बायपास निर्माण में देरी।
नए अस्पतालों के निर्माण का काम रुकेगा।
प्रमुख सड़कों और फ्लाईओवर्स पर निर्माण कार्य ठप रहेगा।


हवा की स्थिति क्यों बिगड़ रही है?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, धीमी हवा और ठंड के चलते प्रदूषक कण सतह पर टिक गए हैं। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में स्थिति और खराब हो सकती है।

10 सिगरेट पीने बराबर है प्रदूषण का स्वास्थ्य पर असर
डॉक्टरों का कहना है कि दिल्ली की दूषित हवा में सांस लेना रोजाना लगभग 10 सिगरेट पीने के बराबर नुकसान पहुंचाता है। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और दिल की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

सरकार और नागरिकों की भूमिका
इस गंभीर स्थिति में सरकार ने जनता से निजी वाहनों का उपयोग कम करने और सार्वजनिक परिवहन अपनाने की अपील की है। विशेषज्ञों का मानना है कि सामूहिक प्रयासों और सख्त नीतियों के बिना इस समस्या को नियंत्रित करना मुश्किल है।


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