पंजाब में आये सैलाब का एपी सेंटर कैसे बना माधोपुर बराज ?

बराज से महज 8 घंटे में 14 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने की वजह से दो गेट टूट गए और देखते ही देखते पठानकोट और गुरदासपुर में बाढ़ आ गयी, जिसके बाद पूरा सूबा इसकी चपेट में आ गया.;

By :  Lalit Rai
Update: 2025-09-07 11:45 GMT
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Punjab Floods Is Natural Disaster Or Man Made Mistake : पंजाब में 37 साल बाद आये सैलाब ने पूरे सूबे को झकझोर के रख दिया है. आलम ये है कि सभी 23 जिले पानी से डूबे हुए हैं, जिसकी वजह से सारा जन जीवन अस्त व्यस्त है. बड़ी संख्या में लोग विस्थापित की तरह जीने को मजबूर हैं. खेतों में लहलहाती फसल बर्बाद हो चुकी है और मवेशी भी बड़ी संख्या में मारे गए हैं. इस बीच सवाल ये उठने लगा है कि आखिर पंजाब में इतने भयानक सैलाब का कारण क्या रहा ? ऐसा कौनसा बिंदु रहा, जिसकी वजह से समूचा पंजाब बाढ़ की चपेट में आ गया. द फ़ेडरल देश की टीम (जो पंजाब के ग्राउंड जीरो पर मौजूद है) ने जब इस सवाल को टटोला तो इस पूरी बाढ़ का केंद्र या दूसरे शब्दों में कहें कि एपी सेंटर पठानकोट में स्थित माधोपुर बराज पाया गया. तमाम लोगों का ये दावा है कि माधोपुर बाँध जो पंजाब और जम्मू कश्मीर की सीमा पर स्थित है, से अचानक 14 लाख क्यूसेक पानी को 8 घंटे के अन्दर छोड़ा गया, पानी का इतना ज्यादा प्रभाव बराज के सारे गेट संभाल न सके और दो गेट टूट गए. जिसकी वजह से सैलाब की शुरुआत हो गयी, एक ऐसी शुरुआत जो पूरे राज्य को डुबाने के बाद ही ख़त्म हुई. अब इस बात को लेकर ये सवाल भी खड़े हो रहे हैं कि पंजाब में आई ये बाढ़ वाकई में प्रकृति की देन है या फिर इंसानी लापरवाही की?


क्या है सबसे बड़ा सवाल

पंजाब में आई इस भीषण बाढ़ के बाद जहाँ एक ओर राज्य सरकार की नीरसता की वजह से लोग नाराज हैं तो दूसरी ओर माधोपुर बराज से महज आठ घंटे में छोड़े गए 14 लाख क्यूसेक पानी की वजह से सरकार की कार्यप्रणाली पर भी सवालों के घेरे में आ गयी है. लोगों का कहना है कि जम्मू कश्मीर हो या फिर पंजाब जब बरसात बहुत ज्यादा हुई और नदियों में पानी भी बहुत अधिक मात्रा में आ गया तो फिर ऐसे में माधोपुर बराज में पानी को इतने लम्बे समय तक क्यों रोका गया? क्या राज्य सरकार, प्रशासन और बराज के जो अधिकारी हैं, उन्हें इस बात की सुध नहीं थी कि जिस कदर बाराज में पानी एकत्र हो रहा है, अगर उसे सही समय पर और सही तरह से नहीं छोड़ा गया तो फिर बाढ़ आ सकती है.

लोग इस बात पर भी सवाल उठा रहे हैं कि पहले तो पानी को रोका गया और फिर जब छोड़ने का निर्णय लिया तो ऐसे लिया कि एक साथ ही 14 लाख क्यूसेक पानी छोड़ दिया. सिर्फ इतना ही नहीं बराज के जो गेट हैं उनकी हालत पर भी गौर नहीं किया गया, यही वजह रही कि बराज के दो गेट टूट गए और पठानकोट से बाढ़ की शुरुआत हो गयी.


एक एक कर सैंकड़ों गाँव डूबते चले गए

रावी नदी जब उफान पर आई तो एक एक कर पंजाब के सैंकड़ों गाँव डूबते चले गए. पठानकोट और गुरदासपुर दो जिले बाढ़ की चपेट में आये और फिर पानी अपनी सीमा बढाते हुए एक एक कर सभी 23 जिलों में फ़ैल गया. पंजाब से गुजरने वाली सभी नदी और नाले उफान पर बहने लगे. जिसके बाद ये सैलाब इन दो जिलों से आगे बढ़ता चला गया और पूरे पंजाब को अपनी जद में ले लिया. सूत्रों का कहना है कि बराज से पानी छोड़ने में हुई देरी को इस सैलाब की मुख्य वजह माना जा रहा है. यही वजह है कि प्राकृतिक नहीं बल्कि मानव जनित आपदा है. वहीँ गेट टूटने के पीछे भी लपरवाही मानी जा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि बराज के गेट का रखरखाव 12 महीने चलती है. ग्रीसिंग और ओइलिंग बेहद जरुरी होती है, अगर इसमें लापरवाही होती है तो फिर गेट जंग खा जाते हैं और टूट जाते हैं.


माधोपुर बराज

माधोपुर बराज पंजाब राज्य में पठानकोट के पास रावी नदी पर स्थित है, जो रणजीत सागर बांध के नीचे बनाया गया है. इसका निर्माण 19वीं शताब्दी में हुआ था और 1959 में इसका पुनर्निर्माण किया गया था, जिसका मुख्य उद्देश्य ऊपरी बारी दोआब नहर (UBDC) में पानी को मोड़ना और पंजाब के गुरदासपुर, अमृतसर और आसपास के क्षेत्रों की सिंचाई करना है.


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