खौफ में बीत रहे रात दिन, करेंसी एक्सचेंज न होने और नेट बंद होने से बढ़ी मुश्किलें

ईरान में शिया मुस्लिम समुदाय के धार्मिक स्थल हैं। इसलिए बड़ी संख्या में जायरीन (धार्मिक यात्री) ईरान जाते हैं। अचानक युद्ध शुरू होने से लोग वहां फंस गए हैं और उनको भारत वापसी का इंतजार है।;

By :  Shilpi Sen
Update: 2025-06-19 14:29 GMT
ईरान में फंसे जायरीन

ईरान इज़राइल युद्ध पर जहां दुनिया भर की नजर है, वहीं लखनऊ में कुछ परिवार अपनों की सलामती की दुआ कर रहे हैं। उनके अपने ईरान में फंसे हैं, जहां के हालात उनकी चिंता को बढ़ा रहे हैं। ये लोग रात दिन बस अपनों के एक फ़ोन का इंतज़ार कर रहे हैं कि उनके सकुशल होने की सूचना मिल जाए। ज़ियारत( धार्मिक यात्रा) पर ईरान गए लोगों के अपने बस यही दुआ कर रहे हैं कि किसी तरह उनके अपने देश लौट आएं। यहां रह रहे लोग भारतीय दूतावास के ज़रिए अपने परिवार के लोगों की वापसी के लिए कोशिश कर रहे हैं। ईरान में शिया समुदाय के दो प्रमुख धार्मिक स्थल हैं, इसलिए वहां लखनऊ के शिया समुदाय से ज़ायरीन (धार्मिक यात्री) यात्रा पर जाते हैं, पर युद्ध शुरू होने की वजह से वहां फंस गए हैं।

ईरान और इराक में शिया मुसलमानों के धार्मिक स्थलों पर हमेशा से लोग ज़ियारत के लिए जाते रहे हैं। लेकिन ईरान और इजरायल के जंग की वजह से वहां गए लोग अलग-अलग शहरों में फंस गए हैं। लखनऊ के गोलागंज में रहने वाला काज़मी परिवार 29 मई को ज़ियारत करने गया था।सैयद मोहम्मद अली काज़मी अपने अपने माता- पिता, पत्नी, बहन और बेटे के साथ ईरान गए थे। उनके ग्रुप में 23 लोग हैं, जिसमें 14 महिलाएं भी हैं। 21 जून को तेहरान एयरपोर्ट से वापसी की फ्लाइट थी, पर इस बीच जंग शुरू हो गई और हालात बिगड़ गए। इन लोगों को जहां थे वहीं रुकना पड़ा।

मोहम्मद अली काज़मी ने बताया कि 'हम लोग परेशान हो गए। मेरे साथ परिवार की महिलाओं के अलावा बुजुर्ग माता पिता भी हैं। फ़िलहाल हम लोग मशहद ( Mashhad) शहर के एक होटल में रुके हुए हैं।’ काज़मी की लखनऊ में रहने वाली बहन ने दूतावास से संपर्क का लिंक ह्वाट्सऐप पर भेजा था। उसमें सब लोगों को डिटेल्स भरी थीं। उसके बाद दूतावास से फ़ोन भी आया था। अब उम्मीद की किरण दिखाई पड़ रही है। ईरान के मशहद शहर में इस्लाम में आठवें इमाम अली अल रिदा की दरगाह है। इसलिए भारत से बड़ी संख्या में शिया मुसलमान यहां ज़ियारत के लिए जाते हैं।



मिर्ज़ा नुसरत अब्बास

 होटल करना है खाली 

ईरान में कोम ( Qom) शहर में ऐसा ही एक परिवार फंसा है। मोहम्मद नासिर अली के माता पिता फरज़ाना बेगम और शमीम आलम अपने और रिश्तेदारों के साथ 24 मई को ज़ियारत करने गए थे। 17 जून को वापसी थी। लेकिन इसी बीच हालात बिगड़ गए। नासिर अली ने ‘द फ़ेडरल देश’ को बताया कि वो रात भर जागकर टीवी पर न्यूज़ देख रहे हैं कि कुछ जानकारी मिल जाए। ‘किसी तरह मेरे वालिद वालिदा और दूसरे लोग वापस आ जाएं। वहां इंटरनेट नहीं चल रहा है। तीन दिन पहले बात हुई थी तो वालिद ने बताया था कि जिस होटल में वो ठहरे थे, वहां से उनको खाली करने के लिए बोल दिया है। ऐसे में करेंसी भी एक्सचेंज नहीं हो रही है। लोगों को कहीं रुकना खाना है तो पैसे चाहिए। अब तीन दिन से बात नहीं हो पायी क्या करें। उनकी सुरक्षा को लेकर बहुत ज़्यादा चिंता है।’ नासिर अली कहते हैं कि प्रधानमंत्री से ये अपील है कि जल्दी से जल्दी उन लोगों को लाने की व्यवस्था करें। भारत अगर चाहे तो जल्दी वापसी हो जाएगी।


 



शमीम आलम और फ़रज़ाना बेगम


अपनों के वापसी की उम्मीद

लखनऊ के मिर्ज़ा फ़रहत अब्बास भी अपने भाई नुसरत अब्बास को लेकर चिंतित हैं, जो और लोगों के साथ वहां ज़ियारत करने गए हैं। फ़रहत अब्बास कहते हैं कि ‘ जिस दिन ये लोग पहुंचे उसी दिन अटैक हो गया। फ़िलहाल नेट बंद हो गया है। ईरान में लखनऊ के बहुत से छात्र पढ़ाई करते हैं और अच्छी बात ये है कि वो भारतीय दूतावास के संपर्क में रहते हैं। भाई का भी संपर्क भी दूतावास से हुआ है। ऐसे में उम्मीद कर रहे हैं कि जल्द वापसी हो।’

पीएम मोदी को पत्र

इस बीच भारत सरकार ने वहां फंसे लोगों को लाने को कोशिश शुरू कर दी है। वहां फंसे लोगों से डिटेल लिया जा रहा है। दरअसल ईरान और इराक़ दोनों जगह शिया समुदाय के धर्मस्थल हैं। जो लोग पहले ईरान गए, फिर वहां से इराक गए, उनकी वापसी की फ्लाइट 22 और 24 जून को है। पर जो लोग पहले इराक गए फिर ईरान वो वहां रह गए हैं। शिया धर्मगुरु और ऑल इंडिया शिया पर्सनल लॉ बोर्ड के महासचिव मौलाना यासूब अब्बास ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर जल्द से जल्द वहां फंसे भारतीयों को लाने की अपील की है। उन्होंने पीएम को एक पत्र लिखकर कहा है कि ‘ हिंदुस्तान से बड़ी संख्या में श्रद्धालु ईरान और इराक ज़ियारत करने के लिए गए हुए हैं, जिनको इस युद्ध की वजह से काफ़ी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हम आपसे गुज़ारिश करते हैं कि आप अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए ईरान और इराक़ में फंसे श्रद्धालुओं को भारत वापस लाने की कृपा करें।’

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