ISRO की तस्वीरों में दिखा धराली में विनाश, हिला देने वाली जानकारी
उत्तरकाशी के धराली में आई बाढ़ ने तबाही मचा दी। ISRO की सैटेलाइट तस्वीरों में आप देख सकते हैं कि धराली कस्बा अब कैसा दिखता है।;
5 अगस्त 2025, उत्तरकाशी जिले के धराली और हर्षिल गाँवों के लिए एक काला दिन बन गया। दोपहर करीब 1:45 बजे आई एक प्रचंड बाढ़ ने पूरे धराली कस्बे को मलबे के ढेर में तब्दील कर दिया। सुबह से हल्की बारिश हो रही थी, लेकिन इतनी भयंकर तबाही की किसी को भनक भी नहीं थी। धराली की तस्वीर को देखें तो एक छोटे खड्ड या नदी के दोनों तरफ यह कस्बा बसा हुआ था। लेकिन सैलाब वाले दिन धराली का पूर्वी हिस्सा पूरी तरह मलबे के दब गया।
मलबे में तब्दील हुआ धराली
सैलाब का वेग इतना तेज था कि लोगों को संभलने तक का मौका नहीं मिला। पूरा गांव जैसे पलक झपकते ही मिट्टी, पत्थरों और पानी के सैलाब में समा गया। कई घर ढह गए, कई लोग दब गए, और पूरा इलाका खौफ में डूब गया। राहत व बचाव कार्य जारी है, लेकिन मलबे में दबे लोगों की खोज अभी भी चुनौती बनी हुई है।
ISRO ने जारी की उपग्रह तस्वीरें
इस आपदा के वैज्ञानिक कारणों को समझने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की एक शाखा राष्ट्रीय सुदूर संवेदन केंद्र (NRSC) ने Cartosat-2S सैटेलाइट से ली गई तस्वीरें जारी कीं। इन तस्वीरों से साफ है कि बाढ़ ने नदियों के रास्ते बदल दिए और लगभग 20 हेक्टेयर क्षेत्र में मलबा जमा हो गया।
प्री और पोस्ट आपदा तुलना
ISRO ने जून 2024 की प्री-डिजास्टर इमेज की तुलना 5 अगस्त 2025 के सैटेलाइट चित्रों से की। इसमें दिखा कि खीरगाड़ और भागीरथी नदियों के संगम पर लगभग 750x450 मीटर क्षेत्र में पंखे के आकार का मलबा फैला हुआ है। बाढ़ ने नदियों की चौड़ाई कई गुना बढ़ा दी है, जो अचानक आई बाढ़ (Flash Flood) के स्पष्ट संकेत हैं।
क्या सिर्फ बारिश थी कारण?
ISRO के विश्लेषण के अनुसार, सिर्फ भारी बारिश इस आपदा का कारण नहीं थी। वैज्ञानिकों ने संकेत दिया है कि यह एक हिमनद तलछटी निक्षेपों (glacial debris deposits) के अचानक टूटने का परिणाम था। दरअसल, लगभग 36 करोड़ घन मीटर मलबा एक साथ खिसक गया जो 1.4 लाख ओलंपिक स्विमिंग पूल्स के बराबर है।
हिमस्खलन की भयावहता
हिमस्खलन के कारण अस्थिर ग्लेशियर सामग्री अचानक खीरगाड़ धारा से धराली तक तेज़ी से आई। सिर्फ कुछ सेकंड में इसने 20 से अधिक इमारतें ध्वस्त कर दीं और कम से कम पांच लोगों की जान ले ली।
धराली और हर्षिल की यह आपदा केवल एक प्राकृतिक घटना नहीं थी, बल्कि एक बड़ी चेतावनी है। हिमालयी क्षेत्र में बसी बस्तियाँ लगातार प्राकृतिक खतरों के निशाने पर हैं। यह ज़रूरी है कि हम केवल राहत और बचाव नहीं, बल्कि भविष्य की तैयारी और वैज्ञानिक निगरानी पर भी ध्यान दें।