पहलगाम हमले ने हमें अंदर से खोखला कर दिया, बोले- उमर अब्दुल्ला, निशाना भी साधा
जम्मू कश्मीर विधानसभा के विशेष सत्र में सीएम उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले ने हमें अंदर से खोखला कर दिया है। हालांकि इसके साथ यह भी कहा कि सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी नहीं थी।;
जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए भीषण आतंकवादी हमले के बाद उत्पन्न हालात पर चर्चा के लिए विधानसभा का एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया। इस सत्र में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने पहलगाम हमले पर बेहद भावुक भाषण दिया, जिसमें उन्होंने शोक, क्षोभ और केंद्र सरकार पर नाराजगी व्यक्त की।
'पूरा देश इस हमले की चपेट में आया'
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि पहलगाम आतंकी हमले ने न सिर्फ जम्मू-कश्मीर बल्कि पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। श्रद्धांजलि देते हुए उनकी आंखों में आंसू दिखाई दिए। उन्होंने कहा,"किसी ने इस हमले में अपना पिता खोया, किसी ने बेटा, तो किसी ने भाई। मैंने स्वयं सैलानियों को कश्मीर आने का न्योता दिया था। मैं पीड़ित परिवारों से दिल से माफी मांगता हूं।"
"सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की थी"
उमर अब्दुल्ला ने साफ कहा कि सैलानियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की थी। उन्होंने कहा,"हमने सैलानियों को बुलाया, लेकिन उन्हें सुरक्षित वापस नहीं भेज सके। मैं मृतकों के परिजनों से क्या कहूं, हमारे पास माफी के लिए भी शब्द नहीं हैं। इस हमले ने हमें अंदर से खोखला कर दिया है।"
'कश्मीरी आतंकवाद नहीं चाहते'
मुख्यमंत्री ने कश्मीर के आम लोगों की भावनाएं भी सामने रखीं। उन्होंने कहा कि"26 साल में पहली बार मैंने देखा कि हर गांव, हर शहर से लोग इस हमले के खिलाफ सड़कों पर उतरे। कोई भी कश्मीरी इस हमले के साथ नहीं है। कश्मीर के लोग आतंक नहीं चाहते।"उन्होंने जोर दिया कि जनता आज बैनर और पोस्टर लेकर आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर खड़ी है और इस एकता को ठेस पहुंचाने से बचना चाहिए।
'बंदूक नहीं, एकजुट होने की जरूरत'
उमर अब्दुल्ला ने कहा कि बंदूक से आतंक को पूरी तरह खत्म नहीं किया जा सकता, लेकिन उसे कमजोर जरूर किया जा सकता है। उन्होंने कहा,"हमारी कोशिश होनी चाहिए कि ऐसे हालात फिर न बनने पाएं। हमें लोगों के दुख-दर्द के साथ खड़े होना चाहिए और उनकी भावनाओं का सम्मान करना चाहिए।"
आतंक के खिलाफ कश्मीर में नई शुरुआत
अपने भाषण के अंत में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि कश्मीर की मस्जिदों में आतंक के खिलाफ मौन प्रदर्शन आयोजित किए गए हैं, जो इस बात का संकेत है कि कश्मीर में आतंकवाद के अंत की शुरुआत हो चुकी है। उन्होंने कहा, "पहली बार बच्चों ने अपने पिता को खून में लथपथ देखा है। इस पीड़ा ने लोगों को एकजुट कर दिया है।"उन्होंने विश्वास जताया कि जनता की इस एकजुटता के बल पर कश्मीर आतंक के खिलाफ निर्णायक लड़ाई लड़ेगा।