सिद्धारमैया की पत्नी के बाद खड़गे के बेटे ने भी लौटाई जमीन
कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खड़गे ने कहा कि उनके भाई राहुल खड़गे, जो सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के अध्यक्ष हैं, ने उचित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए भूमि के लिए आवेदन किया था और आवंटन वैध तरीके से किया गया था.
By : Abhishek Rawat
Update: 2024-10-13 12:22 GMT
Kharge Son Return Site : कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी पार्वती द्वारा MUDA को जमीन वापस लौटाने के बाद अब सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के अध्यक्ष राहुल एम खड़गे ने 'बहु-कौशल विकास केंद्र, प्रशिक्षण संस्थान और अनुसंधान केंद्र' स्थापित करने के लिए बेंगलुरु में पांच एकड़ नागरिक सुविधा स्थल के आवंटन के अपने अनुरोध को वापस ले लिया है.
भाजपा आईटी विभाग के प्रभारी अमित मालवीय ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में साइट के आवंटन पर सवाल उठाया और इसे 'सत्ता का दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों का टकराव' कहा.
भाजपा ने लगाया था सत्ता के दुरूपयोग का आरोप
भाजपा के राज्यसभा सदस्य लहर सिंह सिरोया ने भी 'एक्स' पर फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा, "खड़गे परिवार एयरोस्पेस उद्यमी कब बन गया कि उसे केआईएडीबी की जमीन मिल सके? क्या यह सत्ता के दुरुपयोग, भाई-भतीजावाद और हितों के टकराव का मामला है?" मल्लिकार्जुन खड़गे के छोटे बेटे प्रियांक खड़गे, जो कर्नाटक सरकार में मंत्री हैं, ने अपने 'एक्स' हैंडल पर पत्र की स्कैन की हुई प्रतियों के साथ जानकारी साझा की.
राहुल खड़गे ने पत्र में ये कहा
20 सितंबर को कर्नाटक औद्योगिक विकास बोर्ड (केआईएडीबी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी को लिखे पत्र में राहुल खड़गे ने लिखा, "मल्टी स्किल डेवलपमेंट सेंटर, प्रशिक्षण संस्थान और एक शोध केंद्र स्थापित करने के लिए नागरिक सुविधा स्थल के लिए हमारे अनुरोध को वापस लिया गया है." उन्होंने कहा कि सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट का उद्देश्य छात्रों और बेरोजगार युवाओं के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों में कौशल विकास के माध्यम से अधिक रोजगार के अवसर पैदा करना था.
राहुल खड़गे ने कहा, "प्रस्तावित मल्टी-स्किल डेवलपमेंट सेंटर का मुख्य उद्देश्य युवाओं को रोजगार के लिए अधिक योग्य बनाना तथा उन्हें कौशल और भविष्य के कौशल के साथ उद्योग के लिए तैयार करना है. इसे उन छात्रों की मदद के लिए भी डिजाइन किया गया है जो कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने में असमर्थ हैं."
राहुल खड़गे ने ये भी कहा कि ट्रस्ट ने केआईएडीबी औद्योगिक क्षेत्र के भीतर एक स्थल को प्राथमिकता दी, क्योंकि यह उच्च विकास वाले उद्योगों के निकट है, तथा इससे युवाओं को अमूल्य अनुभव और अवसर मिलेंगे.
उन्होंने बताया, "सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट एक सार्वजनिक शैक्षणिक, सांस्कृतिक और धर्मार्थ ट्रस्ट है, न कि कोई निजी या परिवार द्वारा संचालित ट्रस्ट। इसके तत्वावधान में स्थापित सभी संस्थाएं 'लाभ के लिए नहीं' हैं."
प्रियांक खड़गे ने 'X' पर लिखा
इस सन्दर्भ में जानकारी साझा करते हुए प्रियांक खड़गे ने लिखा कि ट्रस्ट शैक्षणिक संस्थान के लिए सीए साइट के लिए आवेदन करने और आवंटन प्राप्त करने के लिए पूरी तरह से योग्य है. हालांकि, कोई भी शैक्षणिक संस्थान लगातार दुर्भावनापूर्ण, निराधार और राजनीति से प्रेरित आरोपों का सामना करते हुए प्रभावी ढंग से काम नहीं कर सकता है, उन्होंने कहा कि ट्रस्ट लंबे समय तक चलने वाले विवादों में नहीं फंसना चाहता, जो शिक्षा और सामाजिक सेवा के प्राथमिक उद्देश्य से ध्यान और प्रयासों को विचलित कर देगा.
मंत्री ने कहा, "परिस्थितियों को देखते हुए, ट्रस्ट ने केआईएडीबी को पत्र लिखकर हमारा प्रस्ताव वापस लेने तथा कौशल विकास एवं अनुसंधान केंद्र की स्थापना के लिए सीए साइट के लिए हमारे अनुरोध को वापस लेने को कहा है."
ट्रस्ट ने 12 फरवरी, 2024 को केआईएडीबी को अपना प्रस्ताव सौंपा था और एक महीने बाद प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई.