MUDA भूमि घोटाला: हाई कोर्ट से झटका मिलने के बाद सिद्धारमैया ने कहा- 'सच्चाई आएगी सामने'

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कथित MUDA भूमि घोटाले मामले में कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे हैं.

Update: 2024-09-24 12:45 GMT

MUDA land scam: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया कथित MUDA भूमि घोटाले मामले में कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे हैं. उन्होंने मंगलवार को न्यायिक प्रणाली में विश्वास जताते हुए इसे बीजेपी की "बदले की राजनीति" बताया. उन्होंने कहा कि मैं कानून और संविधान में विश्वास करता हूं. आखिर में सत्य की जीत होगी.

मुख्यमंत्री ने भूमि घोटाले के आरोपों को "ढोंग" करार दिया और विपक्षी नेताओं पर हमला बोला, जिन्होंने एक बार फिर उनसे इस्तीफा देने की मांग की. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ आरोप और उनके इस्तीफे की मांग इसलिए की गई है, क्योंकि भाजपा के पास उनकी कल्याणकारी योजनाओं का कोई जवाब नहीं था. मुझे न्यायालयों पर भरोसा है. हमारी पार्टी के सभी विधायक, नेता और कार्यकर्ता और कांग्रेस नेतृत्व मेरे साथ खड़े हैं.

उन्होंने कहा कि भाजपा और जेडीएस ने मेरे खिलाफ राजनीतिक प्रतिशोध का सहारा लिया. क्योंकि मैं गरीबों का समर्थक हूं और सामाजिक न्याय के लिए लड़ रहा हूं. मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं इस बारे में विशेषज्ञों से सलाह लूंगा कि कानून के तहत ऐसी जांच की अनुमति है या नहीं. मुझे विश्वास है कि 17ए के तहत जांच रद्द कर दी जाएगी.

वहीं, सिद्धारमैया के कानूनी सलाहकार एएस पोन्ना ने कहा कि हाई कोर्ट के फैसले के बावजूद राज्यपाल का आदेश "अवैध बना हुआ है" और "देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले आने तक" ऐसा ही रहेगा. उन्होंने कहा कि न्यायिक समीक्षा का सहारा लिया जा रहा है और हम कार्रवाई का सबसे अच्छा तरीका तय कर रहे हैं.

सीएम ने कहा कि आज मेरा इस्तीफा मांगने वाले नेता वही हैं, जिन्होंने गरीबों और उत्पीड़ित लोगों के लिए मेरे द्वारा लागू की गई योजनाओं का विरोध किया था. कर्नाटक के लोगों ने भाजपा को अपने दम पर सत्ता में आने के लिए बहुमत नहीं दिया. इसलिए वह 'ऑपरेशन लोटस' चलाकर सत्ता हासिल करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मुझे इस्तीफा क्यों देना चाहिए? एचडी कुमारस्वामी जमानत पर हैं. क्या उन्होंने इस्तीफा दिया?

वहीं, कांग्रेस ने दावा किया है कि सिद्धारमैया के खिलाफ आरोप इस दक्षिणी राज्य में अपनी सरकार को गिराने की भाजपा की योजना का हिस्सा हैं, जिसे उसने पिछले साल आश्चर्यजनक रूप से प्रभावशाली चुनाव जीत के बाद गिरा दिया था. सिद्धारमैया के कैबिनेट सहयोगी, प्रियांक खड़गे और रामलिंगा रेड्डी भी समर्थन में सामने आए हैं. उन्होंने घोषणा की कि उनके बॉस को इस्तीफा देने की कोई आवश्यकता नहीं है और वह "100 प्रतिशत स्वच्छ मुख्यमंत्री" हैं. वहीं, खास बात यह रही कि डीके शिवकुमार ने भी उनका समर्थन किया है.

शिवकुमार ने कहा कि हम उनके साथ खड़े रहेंगे. हम उनका समर्थन करेंगे. वह राज्य और पार्टी के लिए अच्छा काम कर रहे हैं. यह इसलिए महत्वपूर्ण है. बता दें कि डीके शिवकुमार का यह सपोर्ट इसलिए भी खास है, क्योंकि 2023 के चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए दोनों एक-दूसरे के आमने-सामने थे. कई लोगों का मानना ​​था कि इससे पार्टी में दरार पैदा हो गई है. कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता शमा मोहम्मद ने कहा कि आज एक फैसला आया है. लेकिन मुख्यमंत्री अन्य संभावनाओं की तलाश करेंगे. यह उनकी यात्रा का अंत नहीं है.

इस्तीफे की मांग

इस बीच भाजपा ने सिद्धारमैया पर अपना हमला तेज कर दिया है और एक बार फिर से उनसे इस्तीफे की मांग की है. केंद्रीय मंत्री प्रहलाद जोशी ने फैसले को कांग्रेस सरकार और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया पर तमाचा करार दिया. उन्होंने कहा कि कर्नाटक हाई कोर्ट ने उठाए गए सभी सवालों का जवाब दे दिया है और अब सिद्धारमैया को इस्तीफा दे देना चाहिए, ताकि सीबीआई द्वारा निष्पक्ष जांच की जा सके. जोशी ने कहा कि उनकी पार्टी के पास कोई सबूत नहीं है राज्य सरकार को गिराने की इच्छा है.

भाजपा की राज्य इकाई के प्रमुख विजयेंद्र ने मांग की कि मुख्यमंत्री को अब इस्तीफा दे देना चाहिए. क्योंकि उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ वित्तीय अनियमितता के आरोप हैं. उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री से अनुरोध करता हूं कि वे राज्यपाल के खिलाफ अपने आरोपों को अलग रखें. हाई कोर्ट के आदेश का सम्मान करें. राज्यपाल ने बहुत सोच-समझकर काम किया है.

MUDA भूमि घोटाला

कथित MUDA घोटाला मुख्यमंत्री की पत्नी पार्वती को मैसूर के एक पॉश इलाके में इंफ़्रास्ट्रक्चर विकास के लिए ली गई ज़मीन के मुआवज़े के तौर पर आवंटित की गई ज़मीन के मूल्य पर केंद्रित है. आरोप है कि आवंटित की गई ज़मीन का मूल्य ₹ 4,000 से ₹ ​​5,000 करोड़ तक ली गई ज़मीन से कहीं ज़्यादा है. एक कार्यकर्ता टीजे अब्राहम द्वारा दायर की गई शिकायत में मुख्यमंत्री, उनकी पत्नी और बेटे तथा वरिष्ठ MUDA अधिकारियों का नाम था. आरोप लगाया गया था कि मैसूर के एक इलाके में 14 वैकल्पिक स्थलों का आवंटन अवैध था और इससे 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ.

वहीं, सिद्धारमैया ने दावा किया था कि यह जमीन उनकी पत्नी के भाई ने 1998 में गिफ्ट में दी थी. हालांकि, एक अन्य कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा ने आरोप लगाया कि उनके भाई ने इसे अवैध रूप से खरीदा था और सरकारी अधिकारियों की मदद से जाली दस्तावेजों का उपयोग करके इसे रजिस्टर किया था. यह जमीन 1998 में खरीदी गई दिखाई गई थी. सिद्धारमैया की पत्नी ने 2014 में मुआवज़ा मांगा था, जब वे शीर्ष पद पर थे. राज्यपाल ने 17 अगस्त को मुकदमा चलाने की मंजूरी दी और कांग्रेस द्वारा उग्र विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें सत्तारूढ़ पार्टी ने गहलोत के खिलाफ राज्यव्यापी धरना, पैदल मार्च और रैलियां आयोजित की थी.

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