MUDA scam: सिद्धारमैया की पत्नी ने 'साइट' वापसी की पेशकश की, बीजेपी ने किया पलटवार
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती ने MUDA आयुक्त को पत्र लिखकर मैसूर में विवादास्पद 14 भूमि वापस करने की इच्छा व्यक्त की है.
MUDA land allotment case: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को MUDA भूमि आवंटन मामले में लोकायुक्त और प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच का सामना करना पड़ रहा है. वहीं उनकी पत्नी बीएम पार्वती ने अब MUDA आयुक्त को पत्र लिखकर मैसूर में विवादास्पद 14 भूमि वापस करने की इच्छा जाहिर की है.
ईडी ने मामला किया दर्ज
गौरतलब है कि ईडी अधिकारियों ने दिन में कहा था कि एजेंसी ने हाल ही में राज्य लोकायुक्त की एफआईआर का संज्ञान लेते हुए मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (एमयूडीए) मामले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के एक मामले में सिद्धारमैया, पार्वती और कुछ अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. पूर्व एवं निर्वाचित सांसदों/विधायकों से संबंधित आपराधिक मामलों की सुनवाई करने वाली एक विशेष अदालत ने मैसूर में लोकायुक्त पुलिस को मामले की जांच शुरू करने का निर्देश दिया था. भाजपा ने पार्वती द्वारा MUDA आयुक्त को लिखे पत्र को "अपराध स्वीकारोक्ति" करार दिया और कर्नाटक के मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग की.
पार्वती का पत्र
MUDA आयुक्त को लिखे अपने पत्र में पार्वती ने कहा कि उन्हें मैसूर के विजयनगर के तीसरे और चौथे चरण में 14 वैकल्पिक स्थल आवंटित किए गए. जबकि मैसूर के कसाबा होबली के अंतर्गत केसारे गांव में उनकी 3 एकड़ और 16 गुंटा जमीन का “उपयोग” किया जा रहा था. जबकि उसे अधिग्रहित भी नहीं किया गया था. मैं बिक्री विलेख रद्द करके 14 साइटें वापस करने को तैयार हूं. मैं चाहती हूं कि MUDA इन साइटों का अधिग्रहण करे. मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि इस दिशा में जल्द से जल्द कदम उठाएं. यह पत्र कर्नाटक लोकायुक्त पुलिस द्वारा भूमि आवंटन के संबंध में विशेष अदालत के निर्देश पर सिद्धारमैया के खिलाफ मामला दर्ज करने की पृष्ठभूमि में आया है.
मामले में आरोपी
सिद्धारमैया, पार्वती, उनके साले मल्लिकार्जुन स्वामी और देवराजू, जिनसे स्वामी ने जमीन खरीदकर पार्वती को उपहार में दी थी, तथा अन्य के नाम 27 सितंबर को मैसूर में लोकायुक्त पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर में दर्ज किए गए हैं. एजेंसी के अधिकारियों के अनुसार, मामले का संज्ञान लेते हुए ईडी ने सिद्धारमैया के खिलाफ प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) में मामला दर्ज करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धाराएं लगाईं, जो पुलिस एफआईआर के बराबर है. प्रक्रिया के अनुसार, ईडी को पूछताछ के लिए आरोपियों को बुलाने और यहां तक कि जांच के दौरान उनकी संपत्ति जब्त करने का अधिकार है.
लोगों को पत्र
आम लोगों को लिखे एक अलग पत्र में पार्वती ने कहा कि सिद्धारमैया ने बेदाग सार्वजनिक जीवन जिया है और उन्होंने भी ऐसा जीवन जिया है, जिससे सिद्धारमैया को शर्मिंदा न होना पड़े और उनकी छवि खराब न हो. MUDA साइट के संबंध में लगाए गए आरोपों से वह आहत हैं. उन्होंने कहा कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि उनके भाई द्वारा उन्हें उपहार में दी गई जमीन इतने विवाद का कारण बनेगी. उन्होंने कहा कि मैं अपने पति पर कभी भी अनुचित आरोप नहीं लगा सकती. संपत्ति, संपत्ति और घर सहित कुछ भी मेरे लिए मेरे पति के सम्मान और गरिमा से अधिक कीमती नहीं है. इसलिए, मैंने अपनी 14 साइटें वापस करने का फैसला किया है, जो विवाद का कारण हैं.
राजनीतिक षड्यंत्र
मुख्यमंत्री की पत्नी ने कहा कि उन्होंने यह निर्णय लेने से पहले सिद्धारमैया या अपने बेटे यतीन्द्र की राय नहीं ली है. पार्वती ने यह भी कहा कि उन्होंने अब तक साइट वापस नहीं की है. क्योंकि उन्हें लगता है कि उन्हें अपने पति के खिलाफ राजनीतिक साजिश के खिलाफ लड़ना चाहिए. उन्होंने विपक्षी दलों और मीडिया से अपील की कि वे राजनीतिक कारणों से राजनेताओं के परिवारों की महिलाओं को न घसीटें और उनकी छवि खराब न करें.
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए भाजपा ने पत्र को “अपराध स्वीकारोक्ति” बताया. भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि सिद्धारमैया का इस्तीफा पत्र भेजने के बजाय, एक मोचन पत्र लिखा जा रहा है. उन्होंने MUDA आयुक्त को पत्र लिखकर उन 14 स्थलों को वापस करने की इच्छा व्यक्त की है, जो उन्हें मामले की जांच से बचने के लिए आवंटित किए गए थे. पूनावाला ने पूछा कि अगर कोई गलत काम नहीं हुआ तो आप (साइटों को) वापस क्यों कर रहे हैं? वह भी तब जब हाईकोर्ट और विशेष अदालत के आदेश आ चुके हैं, एफआईआर दर्ज हो चुकी है और ईडी का मामला भी शुरू हो चुका है. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि अपराध का पत्र आया है. भ्रष्टाचार हुआ (MUDA साइट आवंटन में). अब मोचन पत्र काम नहीं करेगा. सिद्धारमैया के लिए इस्तीफा देने का समय आ गया है. उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.
MUDA घोटाला
MUDA साइट आवंटन मामले में, यह आरोप लगाया गया है कि मैसूरु के एक पॉश इलाके में पार्वती को प्रतिपूरक साइट आवंटित की गई थी, जिसका संपत्ति मूल्य उस भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे MUDA ने “अधिग्रहित” किया था. MUDA ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ भूमि के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां आवासीय लेआउट विकसित किया गया था. विवादास्पद योजना के तहत, MUDA ने आवासीय लेआउट बनाने के लिए भूमि खोने वालों को उनसे अधिग्रहित अविकसित भूमि के बदले में 50 प्रतिशत विकसित भूमि आवंटित की. आरोप है कि पार्वती के पास इस 3.16 एकड़ जमीन पर कोई कानूनी अधिकार नहीं था.
मुख्यमंत्री का रुख
कर्नाटक हाई कोर्ट ने इससे पहले भूखंडों के आवंटन में अवैधताओं के आरोपों पर मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच के लिए राज्यपाल थावरचंद गहलोत द्वारा दी गई मंजूरी को बरकरार रखा था. सिद्धारमैया (76) ने पिछले सप्ताह कहा था कि MUDA मुद्दे पर उन्हें निशाना बनाया जा रहा है. क्योंकि विपक्ष उनसे ‘डरा हुआ’ है. उन्होंने यह भी दोहराया कि वह इस्तीफा नहीं देंगे. क्योंकि उन्होंने कोई गलत काम नहीं किया है और कहा कि वह कानूनी रूप से मामला लड़ेंगे.