हिजाब विवाद: केरल सरकार ने छात्रा का साथ दिया, लेकिन सवाल अब भी बाकी

यह मामला केरल के सहायता प्राप्त (aided) स्कूलों की जटिलता को उजागर करता है, जो धर्म आधारित संस्थाओं द्वारा संचालित होते हैं, लेकिन सरकारी फंडिंग पाते हैं। ऐसे संस्थानों के लिए संवैधानिक अधिकारों और संस्था के नियमों के बीच संतुलन बनाना चुनौती बन गया है।

Update: 2025-10-17 15:17 GMT
केरल के शिक्षा मंत्री वी. शिवनकुट्टी एक हिजाब पहने छात्रा के साथ। फोटो: वी. शिवनकुट्टी का फेसबुक अकाउंट।
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hijab controversy kerala: केरल के कोच्चि शहर में एक कैथोलिक चर्च द्वारा संचालित सेंट रीटा हाई स्कूल में एक कक्षा 8 की छात्रा के हिजाब पहनने पर विवाद ने नया मोड़ ले लिया है। स्कूल में हिजाब पहनने की अनुमति न मिलने के कारण छात्रा ने स्कूल छोड़ दिया, जिसके बाद यह मामला राज्यभर में चर्चा का विषय बन गया। इस पूरे विवाद के बीच केरल के शिक्षा मंत्री वी.शिवनकुट्टी ने फेसबुक पर एक हिजाब पहने छात्रा को गले लगाते हुए फोटो पोस्ट की और लिखा कि "केरल में बच्चों को गले लगाना परंपरा रही है।" यह संदेश साफ तौर पर हिजाब पहनने वाली छात्रा के समर्थन में था।

संविधान और सेक्युलरिज़्म का साथ

शिवनकुट्टी ने कहा कि जिस शिक्षक ने खुद हेडस्कार्फ पहन रखा है, वही बच्ची को मना कर रही है – यह विडंबनापूर्ण है। उन्होंने स्कूल प्रबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार हर छात्र के अधिकारों की रक्षा करेगी, चाहे वह एक ही मामला क्यों न हो। उन्होंने साफ किया कि छात्रा को कक्षा में हिजाब पहनने से रोकना न केवल गलत था, बल्कि संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन भी है – खासकर अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 25 (धर्म की स्वतंत्रता) के तहत।

जांच में स्कूल दोषी

राज्य शिक्षा विभाग की जांच में पाया गया कि स्कूल की पोशाक नीति में हिजाब पर कोई रोक नहीं है। बावजूद इसके छात्रा को कक्षा में प्रवेश नहीं देने और बार-बार टोकने से वह मानसिक तनाव में आ गई। छात्रा के पिता अनस ने फेसबुक पर लिखा कि सरकार और शिक्षा विभाग का समर्थन मिला, लेकिन स्कूल का रवैया बेहद निराशाजनक रहा। कुछ शिक्षकों और ननों ने कहा कि हिजाब पहनने से दूसरे छात्र डर सकते हैं, जिससे मेरी बेटी का मन टूट गया। अंततः परिवार ने छात्रा को किसी और स्कूल में दाखिल कराने का फैसला लिया।

अनुशासन और एकरूपता का हवाला

स्कूल प्रबंधन का कहना है कि यह निर्णय धार्मिक आधार पर नहीं, बल्कि संस्थान की नीतियों के अनुसार लिया गया था। उनका मानना है कि अगर एक छात्रा को हिजाब की अनुमति दी जाती है तो अन्य छात्र भी इसी तरह की मांग करेंगे, जिससे स्कूल में अनुशासन और परंपरा पर असर पड़ेगा।

कांग्रेस और बीजेपी आमने-सामने

कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने शुरुआत में मध्यस्थता की कोशिश की थी, लेकिन आरोप लगे कि उन्होंने स्कूल के पक्ष में दबाव बनाकर छात्रा से हिजाब हटवाने की कोशिश की। एक स्थानीय सरकारी अधिकारी ने कहा कि कांग्रेस ने संविधान के अधिकारों और स्कूल की प्रशासनिक प्राथमिकताओं में फर्क नहीं किया। वहीं, बीजेपी ने इस विवाद को 'कट्टरता' और तुष्टीकरण की राजनीति से जोड़ा। उन्होंने इसे मुस्लिम पहचान के सार्वजनिक प्रदर्शन के तौर पर पेश किया और SDPI (एक इस्लामी संगठन) की भूमिका पर सवाल उठाए।

मीडिया में भी दिखा विचारों का टकराव

कैथोलिक चर्च से जुड़ा अखबार 'दीपिका' जहां सरकार और मुस्लिम समुदाय पर निशाना साधता नजर आया। वहीं, मुस्लिम संगठन सुप्रभातम् ने शिक्षा मंत्री के संविधान समर्थक रुख की तारीफ की। स्थानीय अभिभावक एग्नेस इग्नेशियस ने कहा कि एक छात्रा को पढ़ाई से अलग कर देना सबसे दुखद बात है। यह विवाद स्कूल और राजनीतिक दलों ने मिलकर पैदा किया। मैं खुद एक कॉन्वेंट स्कूल में पढ़ी हूं और मेरी मुस्लिम सहपाठी हर दिन हिजाब पहनती थी, कभी कोई दिक्कत नहीं हुई।

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