केरल,कोडाकारा केस और ED, बीजेपी-सीपीएम क्यों हैंआमने सामने?

स्थानीय संदर्भ और गवाहों के बयानों पर आधारित केरल पुलिस की रिपोर्ट ईडी की रिपोर्ट से अलग है। आलोचकों का तर्क है कि यह सुविधाजनक रूप से भाजपा को दोषमुक्त करती है।;

Update: 2025-03-28 09:28 GMT

केरल में कोडाकारा हवाला मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा दाखिल चार्जशीट ने राजनीतिक विवाद को जन्म दे दिया है। चार्जशीट में भारतीय जनता पार्टी (BJP) को क्लीन चिट देने के चलते सत्तारूढ़ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI(M)) और केंद्र सरकार के बीच टकराव तेज हो गया है। यह सिर्फ 2021 के कैश लूट मामले तक सीमित विवाद नहीं है, बल्कि केंद्रीय एजेंसियों की निष्पक्षता और स्वायत्तता को लेकर भी सवाल खड़े करता है।

CPI(M) का आरोप है कि ईडी करुवन्नूर कोऑपरेटिव बैंक घोटाले जैसे मामलों में पार्टी के नेताओं को निशाना बना रही है, जबकि कोडाकारा मामले में बीजेपी के प्रति नरमी बरती गई है।

कैसे शुरू हुआ कोडाकारा हवाला मामला?

2021 के केरल विधानसभा चुनावों के दौरान पुलिस ने त्रिशूर में एक वाहन को रोका और बोरियों में छिपाए गए करोड़ों रुपये जब्त किए।यह कार और 3.56 करोड़ रुपये की नकदी कोडाकारा इलाके में एक गिरोह द्वारा लूट लिए गए थे।केरल पुलिस की प्रारंभिक जांच में आरोप लगाया गया कि यह बीजेपी के लिए अवैध चुनावी फंडिंग थी।

बीजेपी से जुड़े सबूतों को नकारने का आरोप

पूर्व बीजेपी त्रिशूर कार्यालय सचिव तिरुर सतीश सहित कई गवाहों ने बयान दिए कि छह बोरियों में काले धन को पार्टी के निर्देशों पर ले जाया जा रहा था और इसका संबंध बीजेपी के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष के. सुरेंद्रन से था।कॉल रिकॉर्ड्स और चुनाव से ठीक पहले नकदी के परिवहन की टाइमिंग ने भी अवैध चुनावी फंडिंग की पुष्टि की।

ईडी की 'मायाजाल' चार्जशीट

केरल पुलिस की रिपोर्ट के विपरीत, ईडी की चार्जशीट में इस घटना को सिर्फ एक हाईवे लूट बताया गया है।ईडी के अनुसार, 3.56 करोड़ रुपये एक व्यापारी धर्मजन द्वारा भूमि सौदे के लिए भेजे गए थे और इसे कार चालक से लूट लिया गया।बीजेपी नेताओं का कोई जिक्र नहीं, न ही चुनावी फंडिंग की कोई बात।केरल पुलिस की जांच से हटकर ईडी ने इसे महज एक आपराधिक मामला करार दिया।

CPI(M) का तीखा हमला: 'ईडी बीजेपी की ढाल'

CPI(M) के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन ने कहा,"ईडी की रिपोर्ट बीजेपी को बचाने की एक चालाकी है। केरल पुलिस ने बीजेपी तक जांच पहुंचाई थी, लेकिन ईडी ने उसे मिटा दिया। यह न्याय नहीं, राजनीतिक मैनेजमेंट है।"CPI(M) का कहना है कि ईडी का रवैया पक्षपातपूर्ण है।करुवन्नूर बैंक घोटाले में CPI(M) नेताओं पर कड़ी कार्रवाई की जबकि कोडाकारा मामले में बीजेपी नेताओं को बचाने की कोशिश ।

ईडी पर पुलिस की जांच का सवाल

केरल पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,"हमने गवाहों के बयान, कॉल रिकॉर्ड्स और चुनावी फंडिंग के सबूत जुटाए थे, लेकिन ईडी ने उन्हें नजरअंदाज कर दिया। यह उनकी निष्पक्षता पर सवाल खड़ा करता है।"

ईडी का बचाव

ईडी के सूत्रों ने कहा,"हमने जो सबूत मिले, उनके आधार पर जांच की। हमें कोई विश्वसनीय राजनीतिक कनेक्शन नहीं मिला। लेकिन आलोचकों का कहना है कि ईडी ने बीजेपी को बचाने के लिए धर्मजन के अप्रमाणित भूमि सौदे के दावे को अपनाया, जबकि सतीश के गवाह बयान और चुनावी संदर्भ को नजरअंदाज किया।

CPI(M) के लिए 2026 चुनाव से पहले बड़ा मुद्दा

CPI(M) इसे सिर्फ एक केस का मामला नहीं, बल्कि केंद्र सरकार की तानाशाही के रूप में पेश कर रही है।2026 केरल विधानसभा चुनावों से पहले यह मुद्दा CPI(M) के लिए केंद्र के खिलाफ जनभावना भड़काने का हथियार बन सकता है।करुवन्नूर बैंक घोटाले में एक अतिरिक्त चार्जशीट दाखिल करने में ईडी की विफलता से सभी आरोपियों को जमानत मिल गई, लेकिन CPI(M) नेताओं को अब भी समन जारी किया जा रहा है।

कांग्रेस का आरोप: 'बीजेपी और CPI(M) मिले हुए हैं'

विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने कहा,"ईडी की कोडाकारा रिपोर्ट ने उसकी विश्वसनीयता खत्म कर दी है। पुलिस रिपोर्ट में जो तथ्य थे, वे ईडी रिपोर्ट में गायब हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर के नेताओं को बचाने के लिए ईडी विपक्षी नेताओं का शिकार कर रही है।"उन्होंने CPI(M) और बीजेपी के बीच मिलीभगत का भी आरोप लगाया "केंद्र सरकार के मामले और पुलिस जांच में दोनों पार्टियों के नेताओं को बचाया जा रहा है। अब यह देखना बाकी है कि करुवन्नूर बैंक घोटाले में केंद्रीय एजेंसियां CPI(M) को मदद पहुंचाएंगी या नहीं।"

क्या कोडाकारा मामला भाजपा के लिए नया संकट बनेगा?

इस विवाद ने ईडी की निष्पक्षता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।विपक्षी पार्टियां ईडी को बीजेपी का 'हथियार' बता रही हैं।CPI(M) कोडाकारा मामले को 'न्याय की लड़ाई' की तरह पेश कर रही है।बीजेपी इसे CPI(M) का राजनीतिक प्रोपेगेंडा बता रही है।भले ही कोडाकारा चार्जशीट पक्षपातपूर्ण हो या सबूतों के आधार पर, लेकिन इसका राजनीतिक असर केरल की आगामी चुनावी राजनीति में साफ दिखेगा।

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