कोलकाता में आरजी कर कांड की पीड़िता को न्याय की मांग पर एक साल बाद फिर प्रदर्शन; पुलिस ने बरसाईं लाठियां
कोलकाता में राज्य सरकार के मुख्यालय नाबन्ना की ओर मार्च को रोका गया। पीड़िता के परिजनों का आरोप है कि उन्हें पुलिस की कार्रवाई में चोटें लगी हैं।;
राज्य सरकार के अधीन आरजी कर अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात महिला डॉक्टर के साथ हुए बलात्कार और हत्या की पहली बरसी पर, शनिवार (9 अगस्त) को कोलकाता में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच टकराव हुआ। नाबन्ना स्थित पश्चिम बंगाल राज्य सचिवालय की ओर मार्च कर रहे प्रदर्शनकारियों पर पुलिस ने पार्क स्ट्रीट क्रॉसिंग पर लाठीचार्ज किया। इस घटना ने पिछले वर्ष देशभर में आक्रोश फैलाया था।
बैरिकेड तोड़ने की कोशिश में बढ़ा तनाव
स्थिति तब बिगड़ी जब प्रदर्शनकारियों ने रानी रश्मोनी रोड, सेंट्रल कोलकाता स्थित असेंबली पॉइंट से आगे बढ़ने की कोशिश की और पुलिस चेतावनी के बावजूद बैरिकेड पर चढ़ने या उसे गिराने की कोशिश की। पुलिस ने आगे बढ़ने से रोका तो विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी, भाजपा नेता अग्निमित्रा पॉल और अन्य भाजपा विधायक जे.एल. नेहरू रोड क्रॉसिंग पर धरने पर बैठ गए। भाजपा नेताओं का आरोप है कि पुलिस की कार्रवाई में 100 से अधिक प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं।
भाजपा की ममता को चेतावनी
अधिकारी ने मीडिया से कहा कि लाठीचार्ज में आरजी कर पीड़िता के माता-पिता भी घायल हुए हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चेतावनी दी कि यह आंदोलन और बड़ा होगा और वह इस विशाल जनसमूह से डर रही हैं। अधिकारी ने कहा, "ममता बनर्जी को इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। यह आंदोलन यहीं से और बड़ा होगा।"
‘नाबन्ना चलो अभियान’ के तहत कुछ प्रदर्शनकारी शनिवार को हावड़ा जिले के संत्रागाछी पहुंचे और पुलिस द्वारा लगाए गए लोहे के बैरिकेड को तोड़ने की कोशिश की।
सीएम के इस्तीफे की मांग
तेज आवाज में चल रहे लाउडस्पीकर से पुलिस बार-बार प्रदर्शनकारियों को कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार कानून-व्यवस्था बनाए रखने की चेतावनी दे रही थी। बावजूद इसके, कुछ प्रदर्शनकारियों ने 10 फुट ऊंचे बैरिकेड पर चढ़ने और उसे तोड़ने के लिए लोहे के औजारों का इस्तेमाल किया। प्रदर्शनकारी तिरंगा, पोस्टर और बैनर लिए हुए थे, जिन पर पीड़िता को न्याय और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के इस्तीफे की मांग लिखी थी।
पीड़िता की मां घायल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पीड़िता के माता-पिता भी इस प्रदर्शन में शामिल थे। उनका जुलूस कोलकाता रेस कोर्स के पास पुलिस ने रोक दिया। इस पर उन्होंने पुलिस से सवाल किया कि शांतिपूर्ण मार्च की हाईकोर्ट से अनुमति होने के बावजूद उन्हें क्यों रोका जा रहा है। पीड़िता की मां का आरोप है कि पुलिस ने उन्हें धक्का-मुक्की में चोट पहुंचाई, जिससे उनके सिर में लाठी लगी और चोट आ गई। उन्होंने कहा कि झड़प में उनका शंखा (पारंपरिक चूड़ी) टूट गया।
उन्होंने कहा,"हमें इस तरह क्यों रोका जा रहा है? हम तो बस नाबन्ना पहुंचकर अपनी बेटी के लिए न्याय मांगना चाहते हैं।"
दिन की शुरुआत में, मृतक डॉक्टर के माता-पिता ने नागरिकों से नाबन्ना मार्च में शामिल होने की अपील की, वहीं विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने भाजपा कार्यकर्ताओं से बिना पार्टी का झंडा लिए जुलूस में शामिल होने का आग्रह किया। अधिकारी और भाजपा के कुछ विधायक दिन में पहले ही एस्प्लेनेड के दोरीना क्रॉसिंग पर पीड़िता के माता-पिता के साथ जुड़ गए थे, जहां किसी भी तरह का भाजपा बैनर या प्रतीक मौजूद नहीं था। अधिकारी ने कहा, "ममता बनर्जी प्रशासन इस विशाल भीड़ से डर रहा है जो विरोध में इकट्ठी हुई है।"