मॉडर्न लुक में लेफ्ट फ्रंट, पश्चिम बंगाल में TMC-BJP को दे पाएगा मात ?

2019 के आम चुनाव में लेफ्ट दलों की झोली खाली रह गई थी. 2024 के आम चुनाव में कांग्रेस के साथ मिलकर टीएमसी और बीजेपी को टक्कर दे रहे हैं.

By :  Lalit Rai
Update: 2024-05-15 09:08 GMT

West Bengal Loksabha Election 2024: पश्चिम बंगाल की राजनीति का जब जिक्र होता था तो सिर्फ आंखों के सामने फहरता हुआ लाल झंडा नजर आता था. लेकिन साल 2000 के बाद टीएमसी ने वाम के किले में दो फूल खिला दिए. वाम दल जो जमीन पर मजबूत हुआ करते थे. अब वो संघर्ष कर रहे हैं. सवाल यही है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि वाम दलों को पश्चिम बंगाल में अस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ रही है. वैचारिक तौर पर सीपीएम, सीपीआई, फॉरवर्ड ब्लॉक कांग्रेस के विरोधी रहे हैं. लेकिन समय ने ऐसा बदलाव कर दिया कि ये दल सुविधाजनक राजनीति को चुनना पसंद कर लिया. अगर ऐसा ना होता तो बंगाल में कांग्रेस के साथ और केरल में विरोध में नहीं होते.

वाम दलों का बदल रहा है रूप रंग
पश्चिम बंगाल में वाम दलों के कार्यकर्ताओं में जोश भरने की जिम्मेदारी 67 साल के मोहम्मद सलीम को मिली है. मोहम्मद सलीम के सामने चुनौती भी कम नहीं है. अगर आप राजनीति को देखें तो पाएंगे कि समय के साथ वाम दलों के वोट बैंक पर कब्जा टीएमसी ने कर लिया और अब बीजेपी को टीएमसी के विकल्प के तौर पर देखा जा रहा है. साल 2019 के चुनावी नतीजों को देखें तो 42 सीटों में 22 पर टीएमसी, 18 पर बीजेपी और दो सीट कांग्रेस के खाते में गई. सीपीएम का खाता तक नहीं खुल सका.जानकार कहते हैं कि पहले तो टीएमसी ने वाम दलों और कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी की. बाद में वाम दलों के बचे खुचे वोटों पर बीजेपी ने एक तरह से कब्जा कर लिया. बीजेपी को 2019 के आम चुनाव में 22.76 फीसद मत हासिल हुए थे. वाम दलों के वोट बैंक में 16 फीसद की कमी आ गई. जब जबकि दो साल के बाद पश्चिम बंगाल में विधानसभा के चुनाव होंगे लेफ्ट दल विचारधारा की लड़ाई में उलझे हुए हैं. अगर 2021 विधानसभा चुनाव की बात करें तो वाम दलों और कांग्रेस के खाते में एक भी सीट नहीं आई थी.

क्या कांग्रेस के साथ मिलकर खेला करेगा लेफ्ट

ऐसे हालात में लेफ्ट के सामने जमीनी स्तर पर अपने आपको जिंदगी देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. जानकार कहते हैं कि हालांकि 2024 के आम चुनाव में ऐसा लग रहा है कि वाम दल के नेता कुछ कोशिश करते नजर आ रहे हैं. राजनीतिक विश्लेषक अमल सरकार बताते हैं कि अब युवाओं को, जमीनी स्तर पर काम करने वालों को जिस तरह से तरजीह मिल रही है उससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अब बौद्धिकता के कृत्रिम जाल से निकलने की कोशिश हो रही है.आम चुनाव 2024 में इंडिया ब्लॉक ने वाम दलों को 30 सीट दी है, इन 30 सीटों में सिर्फ चार उम्मीदवार ऐसे हैं जिनकी उम्र 60 के पार है, जबकि 8 कैंडिडेट अपने उम्र के तीसरे दशक में हैं. वाम दलों में यूथ ब्रिगेड की तरफ से अब आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस की बात की जा रही है. खास बात यह है कि चुनावी प्रचार की तैयारी में वाम दल, टीएमसी और बीजेपी से आगे निकल चुके थे.लेफ्ट पार्टी ने नए तेवर और कलेवर के साथ पश्चिम बंगाल में 50 दिनों तक इंसाफ यात्रा का आगाज किया था.इस यात्रा की अगुवाई स्टेट सेक्रेटरी मिनाक्षी मुखर्जी ने किया था.इस यात्रा के जरिए वाम दलों ने पश्चिम बंगाल के लोगों को बताया कि टीएमसी का मतलब भ्रष्टाचार और बीजेपी का अर्थ सांप्रदायिकता है.

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