तमिलनाडु हिरासत मौत मामला: हाईकोर्ट ने कहा— 'राज्य ने मारा अपना नागरिक'
हिरासत में मौत का यह मामला पुलिस की अत्याचार प्रवृत्ति पर सवाल उठाता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राज्य ही अपने नागरिक की जान लेने का अधिकार नहीं रखता।;
मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने सिवगंगा जिले के अजित कुमार की हिरासत में मौत के मामले में आक्रोश और निंदा जाहिर करते हुए तुरंत न्यायिक जांच का आदेश दिया है। जजों ने टिप्पणी की कि अजित का शरीर हर हिस्से पर चोटों से भरा है। राज्य ने अपना ही नागरिक मार डाला। यह बयान पुलिस की बेरहमी और हिरासत में शारीरिक हिंसा को लेकर न्यायालय की गंभीरता को दर्शाता है।
जांच के आदेश और समयसीमा
न्यायिक जांच के लिए मदुरै कोर्ट ने जुडिशियल मजिस्ट्रेट जॉन सुन्दरलाल सुरेश को नियुक्त किया है। रिपोर्ट 8 जुलाई तक दाखिल करने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही कोर्ट ने अनुसूचित पुलिस अधिकारियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया है, ताकि सबूत नष्ट होने और छेड़खानी की घटनाओं की जांच हो सके।
दर्दनाक वीडियो
एक वायरल वीडियो में पुलिस के मारपीट करते हुए प्लास्टिक पाइप और लोहे की रॉड से अजित पर प्रहार दिखा। यह वीडियो मदुरै पुलिस बेंच में प्रस्तुत किया गया और आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ मामला और तेज़ हुआ। शुरुआती पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में 44 बाहरी चोटें, सिर, शरीर, हाथ-पैर और आंतरिक चोटों की पुष्टि हुई है। जज बोले कि इतनी चोटें साधारण हत्यारे भी नहीं पहुंचाते; यह सब ‘पावर’ का दुरुपयोग है।
कोर्ट के उठाए सवाल:
- एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई?
- एसपी को ट्रांसफर मात्र क्यों, निलंबित क्यों नहीं किया गया?
- पूछताछ थाने में क्यों नहीं, बाहरी जगह क्यों की गई?
- रॉड और पाइप किसने दिए पुलिसकर्मियों को?
- क्या सबूत नष्ट नहीं किए गए?
साथ ही, कोर्ट ने कहा कि CCTV फुटेज बिना छेड़छाड़ सुरक्षित रखा जाए। कोर्ट ने कहा कि यह "पुलिस-संगठित अपराध" है और हिरासत में मौतों को लेकर ज्यादा सख्त मुकदमा होना चाहिए। क्योंकि आरोपी अदालत के संरक्षण में होते हैं।
इस मामले में अभी तक छह पुलिसकर्मी निलंबित, जिनमें हेड कांस्टेबल कनन, प्रभु, राज, आनंद, शंकरमानिकंडन शामिल हैं। पांच को गिरफ्तार किया गया, ड्राइवर रामचंद्रन अभी निलंबित है। केस को अब हत्या (धारा 196(2)(a) BNS) में परिवर्तित किया गया है।
CB-CID जांच की तैयारी
जांच अब CB-CID को सौंप दी गई है, जिसमें फौरी न्यायिक समीक्षा भी शामिल है। राज्य सरकार को दो दिन में विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट में जमा करने को कहा गया है।