क्या महायुति में सब कुछ ठीक है? शिवसेना मंत्री की टिप्पणी से बढ़ा विवाद, NCP ने दी इस्तीफे की धमकी
अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने धमकी दी है कि अगर शिवसेना (शिंदे) नेता और महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत को पार्टी द्वारा बर्खास्त नहीं किया गया तो वे इस्तीफा दे देंगे.
Mahayuti Alliance: महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन के लिए एक नई मुसीबत खड़ी हो गई है. अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने धमकी दी है कि अगर शिवसेना (शिंदे) नेता और महाराष्ट्र के स्वास्थ्य मंत्री तानाजी सावंत को पार्टी द्वारा बर्खास्त नहीं किया गया तो वे राज्य मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे देंगे.
एनसीपी की यह धमकी सावंत की उस विवादित टिप्पणी के बाद आई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि वह कैबिनेट मीटिंग में अपने एनसीपी साथियों के बगल में बैठते हैं. लेकिन बाहर आने के बाद उन्हें उल्टी जैसा महसूस होता है. गुरुवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए सावंत ने कहा कि वह एक कट्टर शिवसैनिक हैं और एनसीपी नेताओं के साथ उनकी कभी नहीं पटी. भले ही हम कैबिनेट में एक-दूसरे के बगल में बैठते हों. लेकिन बाहर आने के बाद मुझे उल्टी जैसा महसूस होता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, शुक्रवार को एनसीपी प्रवक्ता उमेश पाटिल ने कहा कि या तो वह बने रहें या एनसीपी. अगर उन्हें बर्खास्त नहीं किया जाता है तो हमें महायुति मंत्रिमंडल से बाहर हो जाना चाहिए. मैं अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अजीत पवार और हमारे सभी वरिष्ठ नेताओं से अनुरोध करता हूं कि वे मंत्रिमंडल से बाहर हो जाएं. एनसीपी नेता ने अजीत पवार से यह भी आग्रह किया कि जब तक सावंत को बर्खास्त नहीं किया जाता, तब तक वे किसी भी कैबिनेट बैठक में शामिल न हों.
माफी स्वीकार नहीं करेंगे: एनसीपी
उन्होंने कहा कि हमारे मंत्रियों को भी सावंत को बर्खास्त किए जाने तक कैबिनेट की बैठकों का बहिष्कार करना चाहिए. हम सावंत की माफ़ी या उनके बयान को स्वीकार नहीं करेंगे कि उनकी बात का गलत अर्थ निकाला गया. हम चाहते हैं कि वह तुरंत पद से हट जाएं. पाटिल ने बिना किसी संकोच के कहा कि एनसीपी सत्ता के लिए बेताब नहीं है और ऐसे मंत्री के साथ काम करने से इनकार करती है, जो इस तरह की अपमानजनक टिप्पणी करता है. वह महायुति कैबिनेट में रहने लायक मंत्री नहीं है. उसे तुरंत बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए.
एनसीपी विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) अमोल मिटकरी ने भी सावंत की टिप्पणी की आलोचना की और पूछा कि क्या गठबंधन को बरकरार रखना केवल उनकी पार्टी की जिम्मेदारी है. उन्होंने कहा कि सावंत ने पहले भी ऐसी टिप्पणियां की हैं, जिससे एनसीपी को ठेस पहुंची है. उन्होंने कहा कि हम केवल गठबंधन धर्म निभाने के लिए चुप हैं. एनसीपी नेता ने कहा कि केवल मुख्यमंत्री ही अपनी बेचैनी का "इलाज" कर सकते हैं.
क्या अजित महायुति से बाहर होंगे?
यह घटना भाजपा, शिवसेना (शिंदे गुट) और अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा वाले महायुति गठबंधन में दरार की खबरों के बीच हुई है और यह भी कहा जा रहा है कि अजित को गठबंधन छोड़ने के लिए मजबूर करने के लिए जानबूझकर किनारे पर रखा जा रहा है. अजित पर तब से दबाव बढ़ रहा है, जब से उनकी पार्टी सिर्फ़ एक सीट जीत पाई और महायुति का लोकसभा चुनावों में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा. आरएसएस से जुड़े एक प्रकाशन ने तो चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन के खराब प्रदर्शन के लिए उनके एनसीपी गुट को ही दोषी ठहराया है.
दिलचस्प बात यह है कि एनसीपी के खिलाफ मंत्री की विवादास्पद टिप्पणी अजीत पवार के कुछ आश्चर्यजनक कदमों के ठीक बाद आई, जिससे महायुति में अंदरूनी कलह का संकेत मिलता है. सिंधुदुर्ग में छत्रपति शिवाजी महाराज की मूर्ति गिरने के लिए अजीत ने राज्य के लोगों से माफ़ी मांगी. उनकी पार्टी ने इसके लिए ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ़ कार्रवाई की मांग करते हुए राज्य भर में मौन विरोध-प्रदर्शन भी किया. इसके अलावा, अजीत ने उस जगह का दौरा भी किया ,जहां मूर्ति गिरी थी.
उनकी पार्टी को बाहर निकालो: प्रतिद्वंद्वी गुट
इस बीच अजित के चाचा शरद पवार की अगुवाई वाली एनसीपी (सपा) ने सावंत की टिप्पणी पर पलटवार करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि भाजपा अजित की पार्टी को महायुति से बाहर निकाल दे. प्रतिद्वंद्वी एनसीपी गुट ने कहा कि यह अजित पवार के लिए भी "जागने और हालात को समझने" का समय है.
एनसीपी (एसपी) के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा कि सावंत की टिप्पणी से पता चलता है कि महायुति को अब एनसीपी की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा कि आरएसएस के मुखपत्र ने भाजपा से सवाल किया था कि उन्होंने अजित पवार के साथ गठबंधन क्यों किया. भाजपा कैडर भी यही सवाल पूछ रहा है. अब शिंदे सेना के नेता अपमानजनक बातें कह रहे हैं जैसे कि "जब वे एनसीपी नेताओं के बगल में बैठते हैं तो उन्हें उल्टी आने लगती है. क्रैस्टो ने कहा कि अब समय आ गया है, जब भाजपा धीरे-धीरे, लेकिन लगातार अजित पवार को महायुति से बाहर निकाल देगी. सबकुछ ठीक नहीं है और दरारें दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं. अब समय आ गया है कि अजित पवार जाग जाएं और हालात को समझें.
अजीत ने आत्मसम्मान खो दिया है: तपासे
एनसीपी (एसपी) के एक अन्य प्रवक्ता महेश तपासे ने दावा किया कि अजित ने अपना आत्मसम्मान खो दिया है और एनसीपी के साथ गठबंधन को लेकर शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के भीतर असंतोष बढ़ रहा है. मैंने कभी नहीं सोचा था कि अजित दादा, जिन्हें कभी एनसीपी में काफी सम्मान प्राप्त था, सत्ता के लिए अपने आत्मसम्मान से समझौता कर लेंगे. अजित पवार को सरकार में शामिल करने को लेकर शिंदे सेना के सदस्यों में बढ़ती बेचैनी अब सावंत की टिप्पणी से स्पष्ट रूप से सामने आ गई है.
उन्होंने कहा कि मंत्री तानाजी सावंत के बयान ने अजीत दादा की राजनीतिक प्रतिष्ठा को पूरी तरह खत्म कर दिया है और फिर भी उनकी अपनी पार्टी के सदस्य चुप हैं. मौजूदा हालात को देखते हुए, एनसीपी को महाराष्ट्र में आगामी विधानसभा चुनावों में 25 सीटें भी नहीं मिलेंगी और इसी हताशा के कारण ऐसा अपमानजनक व्यवहार किया गया है.
बता दें कि शरद पवार द्वारा स्थापित एनसीपी जुलाई 2023 में विभाजित हो गई, जब अजित पवार और उनके समर्थक विधायक महायुति में शामिल हो गए. इसके बाद अजित पवार गुट को पार्टी का नाम और घड़ी का चुनाव चिह्न मिल गया. विभाजन के बाद से ही दोनों गुट एक-दूसरे पर निशाना साध रहे हैं.