बैरिस्टर 'सावरकर' की वापसी, महाराष्ट्र सरकार ने की बड़ी पहल

महाराष्ट्र सरकार का कहना है कि वीर सावरकर की छीनी गई बैरिस्टर डिग्री लौटाने की पहल शुरू हो चुकी है। इसके साथ ही मुंबई यूनिवर्सिटी में शोध केंद्र खुला।;

Update: 2025-05-28 06:08 GMT
अंग्रेजी सरकार ने वीर सावरकर की बीए और बैरिस्टर की डिग्री छीन ली थी, हालांकि अब बीए की डिग्री वापस मिल चुकी है।

स्वतंत्रता संग्राम के महानायक और युवाओं में देशभक्ति की लौ जगाने वाले वीर विनायक दामोदर सावरकर की अंग्रेजों द्वारा छीनी गई ‘बैरिस्टर’ की उपाधि को बहाल कराने की दिशा में अब महाराष्ट्र सरकार ने ठोस कदम उठाने का ऐलान किया है। इससे पहले उनकी ‘बीए’ की डिग्री मुंबई विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें मरणोपरांत लौटाई जा चुकी है।

फडणवीस ने किया ऐलान, सावरकर को मिलेगा न्याय

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई विश्वविद्यालय में आयोजित ‘स्वातंत्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर अध्ययन एवं शोध केंद्र’ के उद्घाटन समारोह में यह घोषणा की। उन्होंने कहा कि,

“हम सावरकर जी की बैरिस्टर की उपाधि बहाल करवाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे और उन्हें मरणोपरांत यह सम्मान दिलाएंगे।”

इस अवसर पर राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया था, लेकिन वे किसी कारणवश उपस्थित नहीं हो सके। हालांकि बाद में उन्होंने मुंबई में वीर सावरकर के परिजनों से मुलाकात की।

अमित शाह की दीवार पर केवल दो चित्र

फडणवीस ने यह भी कहा कि,

“गृह मंत्री अमित शाह के दिल्ली कार्यालय में केवल दो ही चित्र हैं — एक चाणक्य का और दूसरा वीर सावरकर का। इससे उनकी भावनाएं स्पष्ट होती हैं, इसे शब्दों में कहने की ज़रूरत नहीं।”

उन्होंने आगे कहा कि यह नया शोध केंद्र सावरकर की बैरिस्टर उपाधि की बहाली के प्रयासों में दस्तावेज और प्रमाण जुटाने में सहायक सिद्ध होगा।

“सबसे खतरनाक क्रांतिकारी” थे सावरकर

फडणवीस ने ब्रिटिश अभिलेखों का हवाला देते हुए कहा कि अंग्रेजों ने वीर सावरकर को "सबसे खतरनाक क्रांतिकारी" बताया था। यही कारण था कि उन्होंने उनकी डिग्रियां रद्द कर दी थीं। उन्होंने आगे कहा,

“यदि सावरकर को मार्सिले बंदरगाह में गिरफ़्तार न किया गया होता, तो भारतीय स्वतंत्रता का इतिहास कुछ और होता।”

वे स्वतंत्रता संग्राम के अकेले ऐसे सेनानी थे जिन्हें दो बार आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई गई थी।

उन्होंने आलोचकों पर तंज कसते हुए कहा कि,

“जो लोग उन्हें ‘माफ़ी वीर’ कहते हैं, वे एक बार अंडमान की उस कालकोठरी में 11 घंटे बिता लें, मैं उन्हें पद्मश्री के लिए सिफारिश करूंगा।”

कहां से की थी बैरिस्टर की पढ़ाई?

वीर सावरकर ने लंदन के ग्रेज़ इन लॉ कॉलेज से बार-एट-लॉ की परीक्षा पास की थी। वे कॉलेज के छात्र भी थे, लेकिन उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के कारण उन्हें बार में प्रवेश नहीं दिया गया।

हाल ही में सावरकर पर पुस्तक लिखने वाले प्रो. चिरायु पंडित ने महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने लेखक उदय माहूरकर के साथ मिलकर "वीर सावरकर: द मैन हू कुड हैव प्रिवेंटेड पार्टिशन" पुस्तक लिखी है।

सावरकर का गांव बनेगा पर्यटन केंद्र

इस कार्यक्रम के साथ ही केंद्र सरकार ने यह भी घोषणा की कि सावरकर का पैतृक गांव भगूर को ‘अमृत काल’ के तहत पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाएगा।

महाराष्ट्र सरकार की इस पहल से न केवल वीर सावरकर के सम्मान की पुनः स्थापना होगी, बल्कि इतिहास के उस अध्याय को भी न्याय मिलेगा जिसे उपेक्षा और विवादों के कारण लंबे समय तक दबाया गया था।

Tags:    

Similar News