मणिपुर में कुकी गुटों का खूनी संघर्ष, नागा संगठनों ने संपर्क मार्ग किए बंद

अब तक न तो मणिपुर सरकार और न ही केंद्र सरकार ने इस बिगड़ते विवाद को सुलझाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई की है।;

Update: 2025-07-24 12:46 GMT

संघर्षग्रस्त मणिपुर में हालात एक बार फिर बिगड़ते नजर आ रहे हैं। जहां एक ओर कुकी-चिन समुदाय के दो उभरते उग्रवादी संगठनों के बीच खूनी संघर्ष हुआ, वहीं दूसरी ओर नागा संगठनों ने कुकी गुटों की गतिविधियों के खिलाफ सख्त मोर्चा खोल दिया है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि राज्य के कुछ हिस्सों में संचार और परिवहन लगभग ठप हो चुका है।

खूनी संघर्ष

22 जुलाई को मणिपुर के नागा-बहुल तमेंगलोंग जिले के देइवेइजंग गांव में United Kuki National Army (UKNA) और Chin Kuki Mizo Army (CKMA) के कैडरों के बीच भीषण गोलीबारी हुई, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई। दोनों गुट कुकी-चिन-जो समुदाय के नवगठित उग्रवादी संगठन हैं। बताया जा रहा है कि यह संघर्ष क्षेत्रीय दबदबे को लेकर हुआ। कुछ हफ्ते पहले ही UKNA ने Kuki National Army (KNA) के डिप्टी कमांडर-इन-चीफ की हत्या की थी। इन घटनाओं ने समुदाय के भीतर बढ़ते आंतरिक टकराव को उजागर कर दिया है।

नागा संगठनों का विरोध

इस हिंसा से पहले से तनावपूर्ण स्थिति और बिगड़ गई है क्योंकि यह संघर्ष नागा बहुल क्षेत्र में हुआ। नागा संगठनों ने कुकी-जो उग्रवादी शिविरों की मौजूदगी पर आपत्ति जताई है। Foothill Naga Coordination Committee (FNCC) ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजे एक ज्ञापन में चेतावनी दी है कि अगर नागा इलाकों में जबरन SoO (Suspension of Operation) समझौते वाले कुकी उग्रवादी शिविर बनाए गए तो यह "आक्रामक क़दम" माना जाएगा और इससे "अपूरणीय सांप्रदायिक हिंसा" भड़क सकती है, जो 3 मई 2023 की हिंसा से भी अधिक भयावह हो सकती है।

SoO शिविरों को लेकर बढ़ती चिंता

SoO समझौते में शामिल 25 कुकी उग्रवादी संगठनों ने भारत सरकार के साथ शांति प्रक्रिया के तहत संघर्षविराम किया है। लेकिन नागा संगठनों को इस बात की आशंका है कि सरकार इन शिविरों को मीतै-बहुल इलाकों से हटाकर नागा क्षेत्र में स्थानांतरित करने पर सहमत हो गई है। इसी के विरोध में FNCC ने 18 जुलाई की मध्यरात्रि से अनिश्चितकालीन बंद की घोषणा कर दी और कुकी समुदाय की आवाजाही पर रोक लगा दी है।

जीवन अस्त-व्यस्त

इस बंद के चलते चुराचांदपुर और कांगपोकपी जैसे कुकी-बहुल जिलों के बीच संपर्क पूरी तरह टूट गया है। FNCC ने यह विरोध तीन मुख्य वजहों से बताया:-

1. अवैध सड़क निर्माण

2. नागा क्षेत्रों में SoO शिविरों की उपस्थिति

3. अफीम की खेती पर सरकार की चुप्पी

FNCC ने कहा कि यह कदम "शांतिपूर्ण लेकिन दृढ़ विरोध" का हिस्सा है।

कुकी समुदाय की अपील

वहीं, Kuki-Zo Council ने FNCC से अपील की है कि ब्लॉकेड हटाया जाए, क्योंकि यह सड़कें उनके लिए जीवनरेखा जैसी हैं। मीतै क्षेत्रों से होकर गुजरने वाले मार्ग असुरक्षित होने के कारण वे इन्हीं रास्तों पर निर्भर हैं। काउंसिल ने यह भी कहा कि अफीम की खेती के आरोप गलत और बेबुनियाद हैं।

सरकार की चुप्पी

अब तक न तो मणिपुर सरकार और न ही केंद्र सरकार ने इस बिगड़ते विवाद को सुलझाने के लिए कोई ठोस कार्रवाई की है। स्थानीय जनता और विश्लेषकों का मानना है कि यदि जल्द हल नहीं निकाला गया, तो यह विवाद और भयानक रूप ले सकता है।

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