‘गुरिल्ला युद्ध’ की वापसी, बलिदान के लिए उकसा रहे माओवादी
छत्तीसगढ़ में माओवादियों ने अपनी हार के बाद नई रणनीति अपनाई है, अब देशभर में विस्तार की योजना पर काम कर रहे हैं।;
छत्तीसगढ़ और उसके आसपास के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा बलों की लगातार सघन कार्रवाई और माओवादी शीर्ष नेतृत्व के सफाए के बाद, भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) ने अब अपनी दशकों पुरानी रणनीति को बदल दिया है। अब वे केवल कुछ चुनिंदा क्षेत्रों तक सीमित रहने के बजाय देशभर में अपने संगठन और गतिविधियों का विस्तार करने की योजना पर काम कर रहे हैं।
अबूझमाड़ से पीछे हटे, अब हरियाणा तक पांव पसारने की कोशिश
21 मई को मुठभेड़ में मारे गए सीपीआई (माओवादी) के महासचिव नामबाला केशव राव उर्फ ‘बसवराजू’ की मौत के बाद से संगठन बुरी तरह बिखरा हुआ है। पिछले एक वर्ष में सुरक्षा बलों ने केंद्रीय समिति के तीन सदस्यों और राज्य स्तरीय समितियों के 16 सदस्यों को ढेर किया है। इससे पार्टी के गढ़, खासकर छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ जैसे इलाके खाली हो चुके हैं।
संगठन के एक हालिया दस्तावेज में माओवादी कार्यकर्ताओं से अपील की गई है कि वे अब देश के अलग-अलग हिस्सों में फैलकर काम करें। दस्तावेज में कहा गया है हमें छोटे क्षेत्रों तक सीमित नहीं रहना है, हमें विकेंद्रीकरण करना होगा। वर्ग संघर्ष को कानूनी-अवैध, खुली-गुप्त दोनों तरह की रणनीतियों से जोड़ना होगा। हमें शहरों, मैदानों और जंगलों में जनता के चारों वर्गों को क्रांतिकारी आंदोलन में जोड़ना होगा।
हरियाणा में गिरफ्तार हुआ बस्तर से आया माओवादी
माओवादियों की इस नई योजना का खुलासा तब हुआ जब 29 जुलाई को एनआईए ने हरियाणा के रोहतक से बस्तर (छत्तीसगढ़) निवासी प्रियांशु कश्यप को गिरफ्तार किया। वह वहां क्षेत्रीय समिति प्रमुख के रूप में सक्रिय था और उत्तरी क्षेत्रीय ब्यूरो (एनआरबी) – जिसमें यूपी, उत्तराखंड, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं – में माओवादी गतिविधियों को पुनर्जीवित करने की कोशिश में लगा था।इससे पहले एनआईए ने अजय सिंघल उर्फ अमन को भी गिरफ्तार किया था, जो हरियाणा-पंजाब के लिए राज्य आयोजन समिति का प्रमुख बताया गया था।
झारखंड से मिल रहा था फंड, ‘गुरिल्ला युद्ध’ पर फिर ज़ोर
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि पुनर्जीवन की इस कोशिश को झारखंड स्थित पूर्वी क्षेत्रीय ब्यूरो से आर्थिक सहयोग मिल रहा था। माओवादी दस्तावेज में लिखा है कि पिछले वर्ष में करीब 357 कॉमरेड शहीद हुए हैं, फिर भी गुरिल्ला युद्ध जारी रहेगा।
दस्तावेज में माओवादियों की रणनीति को हवा और बहते पानी जैसी लचकदार बताते हुए लिखा गया है हवा की तरह हमेशा गतिशील रहो, एक जगह ठहरो नहीं। बहते पानी की तरह अपने से कई गुना ताकतवर दुश्मन से सीधी लड़ाई मत लड़ो, बल्कि ताकत बचाते हुए रणनीति अपनाओ।
समर्पण नहीं, बलिदान दो – माओवादी दस्तावेज में अपील
राज्य सरकारों द्वारा घोषित पुनर्वास और समर्पण योजनाओं को खारिज करते हुए दस्तावेज में लिखा गया है हमें जनता के हित में अपने प्राण देने को तैयार रहना चाहिए। दुश्मन की मनोवैज्ञानिक चाल में नहीं फंसना चाहिए। हमें शहीदों के विचारों का प्रचार करना होगा और नई पीढ़ी को क्रांतिकारी आंदोलन से जोड़ना होगा। साथ ही यह भी कहा गया कि मौजूदा नुकसान अस्थायी हैं, कार्यकर्ताओं को आत्मविश्वास नहीं खोना चाहिए और समर्पण व विश्वासघात से बचना चाहिए।
पुलिस की प्रतिक्रिया
मध्यप्रदेश में एंटी-नक्सल ऑपरेशंस के विशेष पुलिस महानिदेशक पंकज श्रीवास्तव ने कहा कि माओवादी आंदोलन अब दिशाहीन और अतीत में फंसा हुआ है।अब न तो उन्हें नए कार्यकर्ता मिल रहे हैं, न ही वो मुद्दे जिनके कारण लोग माओवाद से जुड़ते थे। अब तो यह सिर्फ एक संगठित अपराध गिरोह की तरह रह गया है। आदिवासी अब उनका साथ नहीं दे रहे। समाज आगे बढ़ चुका है, लेकिन माओवादी अब भी पुराने नारों में उलझे हैं।
छत्तीसगढ़ और अन्य पूर्वी राज्यों में भारी नुकसान झेलने के बाद माओवादी संगठन अब अपने आंदोलन को राष्ट्रीय स्तर पर फैलाने की कोशिश में हैं। हालांकि, सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि यह आंदोलन न केवल अपने मूल कारणों से भटक चुका है, बल्कि अब जनसमर्थन और दिशा दोनों से ही वंचित होता जा रहा है।