'मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद विवादित ढांचा नहीं', इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला

हिंदू पक्षकार की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में 5 मार्च 2025 को सुनवाई पूरी हो गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार 4 जुलाई को ये फैसला सुनाया गया।;

Update: 2025-07-04 11:36 GMT
हिंदू पक्षकार ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी

उत्तर प्रदेश के मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद से जुड़े एक अहम मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया। कोर्ट ने शाही ईदगाह मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने से इनकार कर दिया है, जिससे हिंदू पक्ष को झटका लगा है।

यह फैसला जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्र की एकल पीठ ने सुनाया। हिंदू पक्षकार अधिवक्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की थी। इस याचिका पर 5 मार्च 2025 को सुनवाई पूरी हो गई थी, जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।

हिंदू पक्षकार की दलीलें

याचिकाकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने अपने तर्क में इतिहास की कई पुस्तकों का हवाला दिया, जिनमें मथुरा के तत्कालीन कलेक्टर एफएस ग्राउस और मुगल इतिहासकार मासरे आलम गिरी द्वारा लिखे गए विवरण शामिल थे। उन्होंने दावा किया कि जिस स्थान पर आज शाही ईदगाह मस्जिद है, वहां पहले श्रीकृष्ण का मंदिर था।

उन्होंने यह भी कहा कि मस्जिद होने का कोई ठोस साक्ष्य शाही ईदगाह पक्ष आज तक कोर्ट में पेश नहीं कर पाया है। भूमि के खसरा-खतौनी रिकॉर्ड में मस्जिद का कोई उल्लेख नहीं है। नगर निगम में उसका कोई पंजीकरण नहीं है, न ही कोई कर अदा किया जा रहा है। यहां तक कि बिजली चोरी की रिपोर्ट भी शाही ईदगाह प्रबंध समिति के खिलाफ दर्ज हो चुकी है।

इन्हीं आधारों पर उन्होंने मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने की मांग की थी।

हालांकि, अदालत ने याचिका को खारिज करते हुए मस्जिद को विवादित ढांचा घोषित करने से इनकार कर दिया। इस निर्णय को हिंदू पक्ष के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।

इस बहुप्रतीक्षित फैसले पर पूरे देश की निगाहें थीं, और अब यह मामला एक बार फिर से सुर्खियों में है।

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