मायावती ने भतीजे की जगह भाई का कद बढ़ाया, 2027 में जीत की कवायद?

2027 के यूपी विधानसभा चुनाव में बीएसपी की हालत 2022 वाली ना हो, इसके लिए मायावती ने कुछ बड़े फैसले किए हैं। नेशनल कोऑर्डिनेटर की भूमिका में अब आनंद कुमार नजर आएंगे।;

By :  Lalit Rai
Update: 2025-03-02 09:19 GMT

Bahujan Samaj Party News: यूपी की सियासत में बीएसपी की भी आंधी चला करती थी। लेकिन वो आंधी अब शांत है। बहुजन से सर्वजन का सफर तय कर मायावती अपने दम पर 2007 में सरकार बनाने में कामयाब हुईं। लेकिन 2012 के बाद मानो उनकी तकदीर उनसे रूठ गई। 2019 के आम चुनाव में उन्हें थोड़ी सफलता मिली। लेकिन श्रेय अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav)को गया।

यह बात अलग है कि मायावती (Mayawati) ने कभी नहीं माना। उनका कहना था कि वो उनकी पार्टी की ताकत की जीत है। लेकिन उसके बाद 2022 में विधानसभा चुनाव में सिर्फ 1 सीट मिली और 2024 के आम चुनाव में शून्य सीट। बीएसपी (BSP Vote Share) का वोट शेयर दिनों दिन घटता गया। अब आगे की राह क्या होगी उसके लिए लखनऊ में बीएसपी की बैठक हुई जिसमें कुछ बड़े फैसले लिए गए। उदाहरण के लिए मायावती ने अपने भतीजे आकाश आनंद (Akash Anand)को सभी पदों से हटा दिया।

बीएसपी में अब दो नेशनल कोऑर्डिनेटर
बीएसपी ने फैसला किया है कि पार्टी में दो लोग नेशनल कोऑर्डिनेटर होंगे। पहले कोऑर्डिनेटर का नाम आनंद कुमार (Anand Kumar) है। आनंद कुमार ,मायावती के भाई और आकाश आनंद के पिता हैं, वहीं दूसरे कोऑर्डिनेटर राज्यसभा सांसद रामजी गौतम (Ramji Gautam) हैं। बता दें कि आकाश आनंद इस बैठक का हिस्सा नहीं बने। अब सवाल यह है कि आकाश आनंद को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले जिम्मेदारी थी। लेकिन बाद में हटाया फिर जिम्मेदारी और एक बार फिर हटा दिया। आम चुनाव 2024 से पहले आकाश आनंद ने सीतापुर में एक सभा में बीजेपी सरकार की तुलना आतंकियों से की थी। उनके बयान पर एफआईआर भी हुआ था। बताया जाता था कि मायावती नहीं चाहती थीं कि आकाश को राजनीति की शुरुआती सफर में मुश्किलों का सामना करना पड़े, लिहाजा पद से हटा दिया। मामला शांत होने के बाद फिर जिम्मेदारी दी गई। 

मायावती को यकीन था कि आकाश आनंद युवा तबके को खासतौर से दलित युवाओं को अपनी तरफ लाने में कामयाब होंगे। लेकिन एक बयान की चर्चा जबरदस्त तरीके से हुई। दरअसल आकाश आनंदे ने जूते मारने जैसा बयान दिया। इसे मायावती ने सही नहीं माना। सियासी जानकार कहते हैं कि बीएसपी को इस समय काफी धीरज के साथ राजनीतिक सफर को तय करना होगा। बीएसपी के सामने ना सिर्फ बाह्य बल्कि आंतरिक चुनौती है। अगर बीएसपी के इतिहास को देखें तो दलित आंदोलन को तेवर देकर यह पार्टी सत्ता में आई। लेकिन धीरे धीरे दलित समाज गैर जाटव वर्ग छिटकता गया। अब कोर वोटर वर्ग यानी दलित बिरादरी में भी चंद्रशेखर रावण सेंध लगा रहे हैं। ऐसे में बीएसपी के सामने चुनौती अधिक है।

मौजूदा राजनीतिक माहौल में पार्टी को ऐसे शख्स की जरूरत है कि जो पार्टी के अंदर युवा और दिग्गज नेताओं के बीच सामंजस्य को बैठाकर आगे बढ़ सके। लेकिन जिस तरह से आकाश आनंद प्रखर होकर अपनी बात रखते हुए बहक जाते वो पार्टी के लिए सही फैसला नहीं साबित हो रहा था। लिहाजा उनकी जगह आनंद कुमार, मायावती की नजर में उपयुक्त दावेदार नजर आए और पार्टी की बड़ी जिम्मेदारी उनके हाथों में सौंप दी। 

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