MUDA घोटाले में अदालत ने दिया FIR दर्ज करने का आदेश, सिद्धारमैया बोले जाँच का करेंगे सामना

बेंगलुरु की विशेष अदालत ने लोकायुक्त की मैसूरु जिला पुलिस को एफआईआर दर्ज करने और तीन महीने में जांच रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया; सीएम ने कानूनी रूप से लड़ने की कसम खाई

Update: 2024-09-25 10:44 GMT

MUDA SCAM: कर्णाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की मुश्किलें और भी बढ़ गयी हैं. बेंगलुरु की विशेष अदालत ने MUDA घोटाले मामले में पुलिस एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए हैं, साथ ही कर्नाटक लोकायुक्त को पुलिस जाँच कराने के लिए कहा है. इसके अलावा पुलिस से तीन महीने में जाँच रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है. स्पेशल कोर्ट का ये आदेश कर्णाटक हाई कोर्ट द्वारा सिद्धारमैया की याचिका को ख़ारिज करने के एक दिन बाद आया है. सिद्धारमैया ने कर्णाटक के राज्यपाल थावरचाँद गहलोत के उस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें मुख्यमंत्री के खिलाफ क़ानूनी कार्रवाई करने की इजाजत दी गयी थी.

बेंगलुरु की एक विशेष अदालत ने बुधवार (25 सितंबर) को मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) मामले में कर्नाटक लोकायुक्त को पुलिस जांच का आदेश दिया. विशेष अदालत के न्यायाधीश संतोष गजानन भट ने लोकायुक्त की मैसूर जिला पुलिस को आरटीआई कार्यकर्ता स्नेहमयी कृष्णा द्वारा दायर शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज करने और तीन महीने में रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया है।

सीएम को हाईकोर्ट से मिली थी निराशा
उच्च न्यायालय का यह आदेश मंगलवार को सिद्धारमैया द्वारा दायर रिट याचिका के जवाब में आया, जिसमें उन्होंने मांग की थी कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 और बीएनएसएस की धारा 218 के तहत उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए 16 अगस्त को राज्यपाल द्वारा दी गई अनुमति को रद्द किया जाए.
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी और कहा, “आपत्तिजनक आदेश पारित करने के लिए स्वतंत्र विवेक का प्रयोग करने वाले राज्यपाल की कार्रवाई में कोई दोष नहीं पाया जा सकता है.”
उच्च न्यायालय ने 19 अगस्त के अपने उस अंतरिम आदेश को भी रद्द कर दिया, जिसमें जनप्रतिनिधियों के लिए विशेष अदालत को मुख्यमंत्री के खिलाफ शिकायतों पर निर्णय स्थगित करने का निर्देश दिया गया था, तथा जांच के आदेश देने को हरी झंडी दे दी थी.

MUDA घोटाला
कथित MUDA घोटाला मैसूर में सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को प्राधिकरण द्वारा 14 आवासीय भूखंडों के कथित अवैध आवंटन से संबंधित है. MUDA ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां उन्होंने आवासीय लेआउट विकसित किया था.
आरोप है कि मैसूर के एक पॉश इलाके में पार्वती को मुआवजा देने के लिए जमीन आवंटित की गई थी, जिसकी संपत्ति का मूल्य उनकी उस जमीन की तुलना में अधिक था जिसे MUDA ने “अधिग्रहित” किया था। यह भी आरोप है कि मैसूर तालुक के कसारे गांव में अधिग्रहित 3.16 एकड़ जमीन पर पार्वती का कोई कानूनी हक नहीं था.

इस्तीफा नहीं, कानूनी लड़ाई लड़ेंगे: सीएम
विपक्षी भाजपा और जेडीएस ने एक बार फिर अपना अभियान तेज कर दिया है और लगातार दो अदालती आदेशों के बाद सिद्धारमैया के इस्तीफे की मांग की है. पोस्टर, तख्तियां लेकर और नारे लगाते हुए भाजपा युवा मोर्चा के सदस्यों ने बुधवार को "कावेरी" की ओर मार्च किया, लेकिन पुलिस ने उनके प्रयास को विफल कर दिया, उन्हें एहतियातन हिरासत में ले लिया और बस में भरकर ले गए.
सिद्धारमैया ने अपने इस्तीफे की मांग को बार-बार खारिज किया है और भाजपा तथा जेडीएस पर उनके और राज्य की कांग्रेस सरकार के खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि वह कानूनी रूप से केस लड़ेंगे.
बुधवार को एक्स पर पोस्ट करते हुए सिद्धारमैया ने लिखा था कि वे आदेश की पूरी प्रति की समीक्षा करने के बाद विस्तृत जवाब देंगे. उन्होंने लिखा, "मैं जांच का सामना करने और कानूनी लड़ाई जारी रखने के लिए तैयार हूं. जैसा कि मैंने कल कहा था, मैं आज भी दोहराता हूं: जांच से डरने का कोई सवाल ही नहीं है; मैं हर चीज का सामना करने के लिए दृढ़ संकल्पित हूं। कानूनी विशेषज्ञों से चर्चा करने के बाद मैं आगे की कार्रवाई तय करूंगा."


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