अब मध्य प्रदेश के उज्जैन में दुकानदारों को दुकान के बाहर नेम प्लेट लगाने का निर्देश

उज्जैन के मेयर ने कहा कि यह कदम मुसलमानों को निशाना बनाकर नहीं उठाया गया है, बल्कि इसका उद्देश्य प्राचीन शहर में आने वाले तीर्थयात्रियों की सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है

Update: 2024-07-21 04:38 GMT

Name Plate on Shops: उत्तर प्रदेश में दुकानदारों को नेम प्लेट लगाने के आदेश पर अभी विवाद थमा भी नहीं है कि इस बीच मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी ठीक ऐसा ही निर्देश जारी कर दिया गया है. उज्जैन नगर निगम ने शनिवार (20 जुलाई) को प्राचीन शहर में दुकान मालिकों को अपने प्रतिष्ठानों के बाहर अपना नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करने का निर्देश जारी किया है. उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश दोनों ही बीजेपी शाषित राज्य हैं, जिस वजह से विपक्ष इस निर्देश का पुरजोर विरोध करते हुए इस कदम को मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाने का आरोप लगाया रहा है.


आदेश मुसलमानों को निशाना नहीं बनाता: मेयर
वहीँ विपक्ष के इस आरोप को नकारते हुए उज्जैन के महापौर मुकेश टटवाल ने कहा कि उल्लंघनकर्ताओं को पहली बार अपराध करने पर 2,000 रुपये का जुर्माना देना होगा और दूसरी बार इस आदेश की अवहेलना करने पर 5,000 रुपये का जुर्माना देना होगा.
महापौर ने कहा कि इस आदेश का उद्देश्य सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है, न कि मुस्लिम दुकानदारों को निशाना बनाना.

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव का गृहनगर उज्जैन अपने पवित्र महाकाल मंदिर के लिए जाना जाता है, जो दुनिया भर से भक्तों को आकर्षित करता है, विशेष रूप से सावन महीने के दौरान, जो सोमवार (22 जुलाई) से शुरू होने वाला है.
टटवाल ने बताया कि उज्जैन की महापौर परिषद ने 26 सितम्बर 2002 को दुकानदारों को अपना नाम प्रदर्शित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी, जिसके बाद निगम सदन ने भी इसे मंजूरी दी थी और तत्पश्चात आपत्तियों और औपचारिकताओं के लिए राज्य सरकार को भेज दिया था.
उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, "सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली गई हैं. इसके क्रियान्वयन में देरी हुई थी, क्योंकि शुरू में नामपट्टिकाओं का आकार और रंग एक जैसा होना अनिवार्य था. अब हमने इन शर्तों में ढील दे दी है. दुकानदारों के नाम और मोबाइल नंबर प्रदर्शित करना ही पर्याप्त होगा."

मेयर ने गुमास्ता लाइसेंस का हवाला दिया
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ये उपाय मध्य प्रदेश दुकान स्थापना अधिनियम या गुमास्ता लाइसेंस पर आधारित है और ये ग्राहकों की सुरक्षा बढ़ाने का काम करता है.
महापौर ने कहा, "उज्जैन एक धार्मिक और पवित्र नगरी है. लोग यहां धार्मिक आस्था के साथ आते हैं. उन्हें उस दुकानदार के बारे में जानने का अधिकार है जिसकी सेवाएं वे ले रहे हैं. यदि कोई ग्राहक असंतुष्ट है या उसके साथ धोखा हुआ है, तो दुकानदार का विवरण जानने से उसे निवारण पाने में मदद मिलती है."

उज्जैन में 2028 में सिंहस्थ (कुंभ) मेला आयोजित किया जाएगा, जो प्रत्येक 12 वर्ष में आयोजित होने वाला एक महत्वपूर्ण धार्मिक मेला है.

यूपी में निर्देश
ये कार्रवाई हाल ही में उत्तर प्रदेश में जारी किए गए निर्देशों की तरह ही है, जहां कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित सभी खाने पीने से सम्बंधित दुकानों आदि पर मालिकों के नाम प्रदर्शित करने को कहा गया था.
उत्तर प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को इस आदेश को पूरे राज्य में लागू कर दिया, जबकि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वहां भी इसी तरह के निर्देश पहले से ही लागू हैं.
इस आदेश की विपक्षी दलों और सत्तारूढ़ गठबंधन के कुछ सदस्यों ने आलोचना की है, जिनका तर्क है कि ये मुस्लिम व्यापारियों को निशाना बनाता है.

(एजेंसियों से प्राप्त इनपुट के साथ)


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