तमिलनाडु के पोलाची यौन शोषण मामले में सभी 9 दोषियों को उम्रकैद की सजा

आरोपियों को आपराधिक षडयंत्र, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और बार-बार बलात्कार का दोषी ठहराया गया; सामूहिक बलात्कार और बार-बार बलात्कार को दो अपराध माना गया;

Update: 2025-05-13 08:02 GMT

Pollachi sexual abuse case : तमिलनाडु के पोलाची यौन शोषण मामले में सभी नौ दोषियों को मंगलवार (13 मई) को कोयंबटूर की एक महिला अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। दोषियों को आपराधिक साज़िश, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और बार-बार बलात्कार जैसे गंभीर अपराधों का दोषी पाया गया। अदालत ने सामूहिक बलात्कार और बार-बार बलात्कार को दो अलग-अलग अपराध मानते हुए सजा सुनाई।


अदालत का फैसला
कोयंबटूर की महिला अदालत की न्यायाधीश नंदिनी देवी की अध्यक्षता में सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया गया। दोषियों में एन. ऋषवंत उर्फ सबरीराजन, के. तिरुनवुक्करासु, एन. सतीश, टी. वसंतकुमार, आर. मणिवन्नन उर्फ मणि, के. अरुलानंतम, पी. बाबू उर्फ ‘बाइक’ बाबू, हैरोनिमस पॉल और एम. अरुणकुमार शामिल हैं। अदालत ने पीड़ितों को ₹85 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है।


अपराध और जांच
सरकारी वकील सुंदरमोहन के अनुसार, इन आरोपियों के खिलाफ आपराधिक साजिश, यौन उत्पीड़न, बलात्कार, सामूहिक बलात्कार और बार-बार बलात्कार के तहत आरोप दर्ज किए गए थे। अदालत ने सामूहिक बलात्कार और बार-बार बलात्कार के आरोपों की पुष्टि स्पष्ट रूप से की।


मामले की शुरुआत और सबूत
यह मामला 24 फरवरी 2019 को तब सामने आया जब एक 19 वर्षीय कॉलेज छात्रा ने पोलाची ईस्ट पुलिस थाने में शिकायत दर्ज करवाई। उसने आरोप लगाया कि आरोपियों ने चलती कार में उसका यौन शोषण किया, उसका अपराध रिकॉर्ड किया, उसकी सोने की चेन छीनी और फिर उसे ब्लैकमेल करने लगे।

कुल आठ पीड़िताओं ने आरोपियों के खिलाफ बयान दिए। आरोपियों के फोन से मिले वीडियो और तिरुनवुक्करासु के फार्महाउस से बरामद डिजिटल सामग्री ने आरोप साबित करने में अहम भूमिका निभाई।


CBI की जांच
मामले की गंभीरता को देखते हुए अप्रैल 2019 में इसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी गई। CBI ने 1,500 पन्नों की चार्जशीट दायर की। किसी भी आरोपी को ज़मानत नहीं मिली। मार्च 2019 में सोशल मीडिया पर एक पीड़िता के वीडियो के लीक होने से यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आ गया था, जिसमें वह गिड़गिड़ाते हुए कह रही थी, "अन्ना, अडिक्काथिंगा, अन्ना" (भाई, मत मारो भाई)।


पुलिस और राजनीतिक दखल के आरोप
मामले की शुरुआत में पुलिस पर लापरवाही के आरोप लगे, यहां तक कि कोयंबटूर ग्रामीण एसपी द्वारा पीड़िता की पहचान उजागर करने का भी मामला सामने आया। आरोपियों में AIADMK पार्टी के कार्यकर्ताओं के शामिल होने के कारण राजनीतिक दखल की भी आशंका जताई गई।


जनता का आक्रोश और न्याय की दिशा में कदम
सरकारी वकील ने अदालत से पीड़ितों को और अधिक मुआवज़ा दिलाने की भी मांग की। जबकि बचाव पक्ष ने आरोपियों की उम्र और पारिवारिक स्थिति का हवाला देकर नरमी की अपील की, जिसे अभियोजन पक्ष ने खारिज कर दिया और सख्त सजा की मांग की।

यह फैसला पीड़ितों के बयानों और डिजिटल सबूतों के आधार पर दिया गया और यह इस हाई-प्रोफाइल मामले में न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। राज्यभर में छात्रों और महिला संगठनों के विरोध प्रदर्शनों ने मामले को CBI को सौंपने और तेज़ कार्रवाई के लिए सरकार को मजबूर किया।


AIADMK से जुड़े तार
CBI जांच में सामने आया कि नौ आरोपियों में से कुछ AIADMK पार्टी से जुड़े हुए थे। यह मामला न सिर्फ न्याय व्यवस्था के लिए एक कसौटी था, बल्कि यह भी दिखाता है कि जन आंदोलन और मीडिया की भूमिका न्याय दिलाने में कितनी अहम हो सकती है।


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