J&K Statehood: उमर कैबिनेट से प्रस्ताव पारित, लेकिन राह कितनी मुश्किल

कैबिनेट की पहली बैठक में जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला ने पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाने वाला प्रस्ताव पारित किया है।

By :  Lalit Rai
Update: 2024-10-18 05:47 GMT

Jammu Kashmir Statehood:  5 अगस्त 2019 से पहले तक जम्मू-कश्मीर राज्य था और लद्दाख भी उसका हिस्सा था। लेकिन पांच अगस्त 2019 को भारत की संसद ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने के साथ ही राज्य का दर्जा भी भंग कर दिया। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया। पांच साल बाद जम्मू-कश्मीर में नई सरकार सत्ता में है। नेशनल कांफ्रेंस के हाथों में सरकार की कमान है। उमर अब्दुल्ला सीएम हैं। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने वादा किया था कि अगर सरकार बनाने का मौका मिला तो पहली कैबिनेट मीटिंग में वो पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का प्रस्ताव पेश करेंगे। 

नेशनल कांफ्रेंस का था मसौदा
प्रस्ताव का मसौदा नेशनल कॉन्फ्रेंस ने तैयार किया है जिसने हाल ही में हुए विधानसभा चुनावों में 42 सीटें जीती हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नई दिल्ली जाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रस्ताव का मसौदा सौंपने की उम्मीद है। हालांकि पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के प्रमुख सज्जाद लोन ने विधानसभा के बजाय कैबिनेट के माध्यम से राज्य का प्रस्ताव पारित करने के एनसी सरकार के फैसले पर सवाल उठाया> जिसे वे ऐसे मुद्दों के लिए उचित संस्था मानते हैं। सज्जाद लोन ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में लिखा कि कैबिनेट शासन की एक बहुसंख्यक संस्था है। यह जम्मू-कश्मीर के लोगों की इच्छा के अनुसार सभी रंगों और विचारों को प्रतिबिंबित नहीं करती है। पूरे देश में मेरी जानकारी के अनुसार, राज्य का दर्जा या अनुच्छेद 370 जैसे प्रमुख मुद्दों को संबोधित करने के लिए विधानसभा उचित संस्था है।

विपक्ष ने बताया दिखावा
उमर अब्दुल्ला के फैसले की कुछ धड़ों ने दिखावे के लिए आलोचना की है। सज्जाद लोन कहते हैं कि असली मसला तो यह है कि प्रस्ताव विधानसभा से पारित किए जाने के बाद केंद्र सरकार को भेजा जाए। यहां सवाल यह है कि अब्दुल्ला किस तरह का संदेश देना चाहते हैं। इस विषय पर जानकार कहते हैं कि यह एक तरह से अपने मतदाताओं को बताने की कोशिश है कि उनके लिए वादे सिर्फ वादे नहीं होते हैं। वो जम्मू-कश्मीर के लोगों के हित के लिए पहले से संकल्प लिए थे। अब जब मौका मिला है तो अपनी तरफ से कोशिश कर रहे हैं। जानकार कहते हैं कि राज्य का दर्जा देने का फैसला और शक्ति दोनों केंद्र सरकार की है। केंद्र का भी कहना है कि उचित समय आने पर जम्मू -कश्मीर के राज्य के दर्जे को बहाल कर दिया जाएगा। लेकिन वो समय कब आएगा असली पेंच तो वहीं है। 

जहां तक उमर अब्दुल्ला की पार्टी और सरकार की बात है वो भी इस बात को समझते हैं कि राज्य का दर्जा पाने के लिए लड़ाई लड़नी होगी। कैबिनेट के जरिए प्रस्ताव पारित करा उन्होंने अपनी निष्ठा को जनता के सामने दिखाया है ताकि उनके वोटर्स में यह भरोसा हो सके कि नेशनल कांफ्रेंस अपनी बात को लेकर गंभीर है। इस सरकार में जम्मू क्षेत्र से आने वाले सुरिंदर सिंह चौधरी को डिप्टी सीएम बनाया है। इसके साथ यह भी कहा कि जम्मू के लोगों के साथ वो अन्याय नहीं होने देंगे। 

Tags:    

Similar News